सोयाबीन समेत सभी फसलों का खरीदी मूल्य बढ़ाने की मांग, खंडवा में ट्रैक्टर-ट्रॉली पर निकले हजारों किसान
- संयुक्त कृषक संगठन ने सोयाबीन के दाम 6 हजार रु., मक्का 2500 रु., कपास 10 हजार रु., गेहूं 3500 रु. प्रति क्विंटल से अधिक किए जाने की मांग की साथ ही किसानों को साल 2023 का सोयाबीन फसल बीमा दिलाए जाने की मांग भी विशेष रूप से रखी।
खंडवा में संयुक्त कृषक संगठन के आह्वान पर जिले के किसानों ने बुधवार को खंडवा जिला मुख्यालय पर एक बड़ा ट्रैक्टर मार्च निकालकर सरकार के खिलाफ हल्ला बोला। किसानों ने सभी फसलों के दाम बढ़ाने और सोयाबीन की एमएसपी 6 हजार रुपए प्रति क्विंटल तय करते हुए खरीदी करने की मांग की। इसके अलावा किसानों ने सैटेलाइट सर्वे की जगह मैनुअल सर्वे कराने और किसानों का कर्जा भी माफ करने की मांग की।
इस ट्रैक्टर मार्च में खंडवा के लगभग 5 हजार से अधिक किसान करीब 500 से ज्यादा ट्रैक्टर-ट्रॉलियों और मोटरसाइकिलों पर 5 किमी तक रैली निकालकर कलेक्टर कार्यालय पहुंचे। उन्होंने खरीफ की फसलें आने से पहले सोयाबीन, कपास व मक्का की उपज के सही दाम मिले इसको लेकर कलेक्टोरेट के बाहर प्रदर्शन कर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। किसानों ने सरकार से उचित दाम पर ही सोयाबीन, मक्का, कपास सहित अन्य उपजों को खरीदने की मांग की।
नाराज किसानों ने कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के बयान पर कहा अब नेताओं की बातों पर भरोसा नहीं रहा। किसानों का कहना था कि अबकी बार सोयाबीन का भाव 6 हजार पार होना चाहिए। हालांकि सरकार ने एमएसपी पर एक प्रस्ताव पारित कर 4855 रुपए की एमएसपी की बात भी की है लेकिन किसानों को मानें तो इस एमएसपी पर उन्हें लागत मूल्य भी नहीं मिल पा रहा है इसलिए प्रति किलो 10 रुपए का बोनस दिया जाए जिससे सोयाबीन का भाव 6 हजार रुपए हो जाएगा।
संयुक्त कृषक संगठन ने सोयाबीन के दाम 6 हजार रु., मक्का 2500 रु., कपास 10 हजार रु., गेहूं 3500 रु. प्रति क्विंटल से अधिक किए जाने की मांग की साथ ही किसानों को साल 2023 का सोयाबीन फसल बीमा दिलाए जाने की मांग भी विशेष रूप से रखी। किसान जय पटेल ने बताया कि आंदोलन को लेकर संगठन के पदाधिकारियों ने जिले के 360 गांवों तक प्रचार प्रसार किया जा रहा है। जिसमें किसानों से 8 रैली में शामिल होने का आव्हान किया जा रहा है।
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के बयान पर किसान नेता ने कहा कि यह सब सरकार चॉकलेट देती है अगर उनके दिल में करने की इच्छा शक्ति है तो किसानों के हित में फैसले करके दिखाएं अन्यथा किसान सड़क पर उतरकर अपना हक लेकर रहेंगे
रिपोर्ट- निशात मोहम्मद सिद्दीकी, खंडवा
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