MP के 'किंग कांस्टेबल' को लेकर बड़ा खुलासा, अनुकंपा पर नौकरी लेने में भी की थी हेराफेरी
मध्य प्रदेश परिवहन विभाग के जिस पूर्व कांस्टेबल के पास करोड़ों की काली कमाई का खुलासा हुआ है, उसने अपनी अनुकंपा पर नियुक्ति के आवेदन में बड़ा हेरफेर किया था। उसे पिता की मौत के बाद अनुकंपा के आधार पर नौकरी मिली थी।
मध्य प्रदेश परिवहन विभाग के पूर्व कांस्टेबल सौरभ शर्मा की नौकरी की शुरुआत ही फर्जीवाड़ा से हुई थी। उसने पिता की जगह पर अनुकंपा नियुक्ति के प्रारूप आवेदन में बड़े भाई सचिन शर्मा की जानकारी ही नहीं दी थी। अनुकंपा नियुक्ति के नाम पर फर्जीवाड़ा पहले ही दिन से किया गया था। अब सौरभ शर्मा का अनुकंपा नियुक्ति आवेदन सामने आया है। इसमें मां और खुद की जानकारी ही परिवार के रूप में लिखी है। इसी आवेदन पर तत्कालीन सीएमएचओ के हस्ताक्षर व सील हैं और अंत में सौरभ शर्मा के भी हस्ताक्षर हैं।
सौरभ ने खुद की पूरी जानकारी इस प्रारूप में लिखी थी और पता 47 विनय नगर सेक्टर 2 ग्वालियर लिखा था। इस मामले में लोकायुक्त एसपी से शिकायत भी की गई है। सौरभ शर्मा ने अनुकंपा नियुक्ति के लिए दिसंबर 2015 में अपने हाथों से आवेदन पत्र निर्धारित प्रारूप में भरकर हस्ताक्षर किए थे। इसमें अनुकंपा नियुक्ति के फार्म की प्रति संलग्न है। इसमें उसने अपने पिता का पूरा नाम राकेश कुमार शर्मा लिखा है। पिता की मृत्यु की तिथि नवंबर 2015 लिखी है। शैक्षणिक योग्यता के विवरण में बीएससी पीजीडीसीए लिखा है।
परिवार के सदस्यों में मां उर्मा शर्मा व खुद की जानकारी लिखी है। जिस बड़े भाई सचिन शर्मा की जानकारी छिपाई थी, वह सितंबर 2013 को शासकीय सेवा में आ चुका था और रायपुर वित्त विभाग के कार्यालय में सहायक संचालक के पद पर आडिट सेल में कार्यरत है।
पूर्व परिवहन कांस्टेबल सौरभ शर्मा की अनुकंपा नियुक्त मामले में लोकायुक्त में एक और शिकायत हुई है। RTI कार्यकर्ता एडवोकेट संकेत साहू ने सौरभ शर्मा और CMHO पर केस दर्ज करने की मांग की है। आरटीआई कार्यकर्ता संकेत ने सौरभ के रंगीन नियुक्ति आवेदन के साथ लोकायुक्त SP को शिकायत की है। संकेत के मुताबिक सौरभ ने अपने अनुकंपा नियुक्ति आवेदन में तथ्य छुपाए थे। सौरभ ने आवेदन में परिवार के सदस्यों के कॉलम में अपने भाई की जानकारी छिपाई थी।
सौरभ का बड़ा भाई सचिन शर्मा छत्तीसगढ़ में सरकारी नोकरी में तैनात था, लेकिन सौरभ ने भाई की जानकारी ही छिपा ली। सौरभ की मां उमा शर्मा ने आवेदन में सहमति कॉलम पर हस्ताक्षर किए थे। तत्कालीन CMHO ने इस आवेदन को वेरिफाई किया था। RTI कार्यकर्ता एडवोकेट संकेत साहू ने इस आवेदन पर सौरभ और तत्कालीन सीएमएचओ सहित अन्य लोगों पर केस दर्ज करने की मांग की है।
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