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‘ओजस्वी’ बच्चे कैसे पैदा किए जा सकते हैं, मध्य प्रदेश पुलिस की DIG ने स्कूल में स्टूडेंट्स को दिए टिप्स

मध्य प्रदेश पुलिस की एक महिला डीआईजी सविता सोहाने का स्कूल में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स को कथित तौर पर ‘ओजस्वी’ बच्चे पैदा करने के टिप्स देने का एक वीडियो वायरल हो रहा है। वायरल वीडियो में वह पूर्णिमा की रात को गर्भधारण न करने सहित कई बातें बताते हुए सुनी जा सकती हैं।

Praveen Sharma लाइव हिन्दुस्तान, शहडोल। भाषाSat, 11 Jan 2025 09:57 AM
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मध्य प्रदेश पुलिस की एक महिला डीआईजी सविता सोहाने का स्कूल में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स को कथित तौर पर ‘ओजस्वी’ बच्चे पैदा करने के टिप्स देने का एक वीडियो वायरल हो रहा है। वायरल वीडियो में वह स्कूल में पढ़ने वाले किशोर उम्र के छात्र-छात्राओं को ‘ओजस्वी’ बच्चे पैदा करने के लिए क्या करें और क्या न करने की सलाह देती नजर आ रही हैं। वह पूर्णिमा की रात को गर्भधारण न करने सहित कई बातें बताते हुए सुनी जा सकती हैं।

शहडोल की डीआईजी सविता सोहाने ने पिछले साल 4 अक्टूबर को यहां एक प्राइवेट स्कूल में 10 से 12वीं क्लास तक के विद्यार्थियों को बालिकाओं की सुरक्षा के लिए जागरूकता कार्यक्रम के तहत व्याख्यान दिया। वीडियो में अविवाहित पुलिस अधिकारी को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि ‘आप पृथ्वी पर नया बचपन (नई पीढ़ी) लाएंगे। आप इसे कैसे अंजाम देंगे।’

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उन्होंने वीडियो में कहा, “इसके लिए आपको योजना बनाने की जरूरत है। पहली बात यह ध्यान रखें कि पूर्णिमा के दिन गर्भधारण न करें। सूर्य देवता को जल चढ़ाकर नमस्कार करें, ताकि ‘ओजस्वी’ संतान पैदा हो।”

वायरल वीडियो पर टिप्पणी के लिए संपर्क किए जाने पर सविता ने बताया कि उन्हें धर्मग्रंथ पढ़ना, हिंदू संतों के प्रवचन सुनना और व्याख्यान देना पसंद है। उन्होंने बताया कि वह ‘मैं हूं अभिमन्यु’ कार्यक्रम को संबोधित कर रही थीं, जिसका उद्देश्य सुरक्षित वातावरण बनाना और बालिकाओं के प्रति सम्मान को बढ़ावा देना है।

महिला पुलिस अधिकारी ने बताया, “हर महीने मैं एक स्कूल में व्याख्यान देती हूं। 31 वर्ष पूर्व पुलिस सेवा में शामिल होने से पहले, मैं चार वर्ष तक सागर जिले के एक सरकारी इंटर कॉलेज स्कूल में लेक्चरर थी।”

उन्होंने बताया, “मैंने जो कहा, वह आध्यात्मिक आनंद की खोज में मिली जानकारी पर आधारित था।”

अधिकारी ने पूर्णिमा की रात गर्भधारण से बचने की सलाह के बारे में बताया कि हिंदू धर्म में इसे पवित्र अवधि माना जाता है। उन्होंने बताया कि एक घंटे से अधिक समय तक दिए गए व्याख्यान का उद्देश्य महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हो रहे जघन्य अपराधों के बीच बालिकाओं के प्रति सम्मान की भावना पैदा करना था, लेकिन इसका केवल एक हिस्सा ही प्रसारित किया गया और संदर्भ हटा दिया गया।

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