Hindi Newsमध्य प्रदेश न्यूज़A 7 year long legal battle was fought for Rs 1.50 know the interesting story of MP

1.50 रुपये की खातिर लड़ी 7 साल लंबी कानूनी लड़ाई, जानिए MP का दिलचस्प केस

  • मध्य प्रदेश के सागर जिले से अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ने का बेहद दिलचस्प मामला सामने आया है। यहां के निवासी चक्रेश जैन ने 1.50 रुपये की बेहद छोटी सी रकम के लिए कानून का दरवाजा खटखटाया और लंबी लड़ाई लड़कर जीत दर्ज की।

Ratan Gupta लाइव हिन्दुस्तान, सागरFri, 3 Jan 2025 07:30 PM
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मध्य प्रदेश के सागर जिले से अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ने का बेहद दिलचस्प मामला सामने आया है। यहां के निवासी चक्रेश जैन ने 1.50 रुपये की बेहद छोटी सी रकम के लिए कानून का दरवाजा खटखटाया और लंबी लड़ाई लड़कर जीत दर्ज की। उन्होंने इस रकम के लिए एक गैस एजेंसी के खिलाफ मुकदमा दायर किया था, जिसे सात साल तक लड़ा और अंत में जीत हांसिल की।

गैस की डिलीवरी से शुरू हुआ मामला

जैन ने 14 नवंबर 2017 को भारत गैस एजेंसी से गैस सिलेंडर बुक किया था। सिलेंडर का बिल 753.50 रुपये था, लेकिन डिलीवरी करने वाले व्यक्ति ने 755 रुपये वसूल लिए और बदले में पैसे न होने का हवाला देते हुए बचे हुए 1.50 रुपये वापस करने से इनकार कर दिया। जब जैन ने रिफंड मांगा, तो उन्हें सीधे एजेंसी से संपर्क करने के लिए कहा गया। बिना देरी किए उन्होंने एजेंसी और राष्ट्रीय उपभोक्ता फोरम दोनों में औपचारिक शिकायत दर्ज कराई, जिससे एक ऐसी लड़ाई शुरू हुई जो सात साल तक चली।

गैस एजेंसी ने शिकायत को बताया तुच्छ

चक्रेश द्वारा दायर की गई प्रारंभिक शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं हुई, तो उन्होंने 15 जुलाई 2019 को सागर में जिला उपभोक्ता फोरम में मामला दायर किया। गैस एजेंसी ने उनकी चिंताओं को तुच्छ बताकर खारिज कर दिया और मामले को आगे बढ़ाने के लिए उनका मजाक उड़ाया। हालांकि जैन अपने वकील राजेश सिंह के समर्थन से न्याय की तलाश में अडिग रहे।

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गैस एजेंसी को देना होगा इतना मुआवजा

पांच साल की लंबी सुनवाई के बाद, उपभोक्ता फोरम ने एजेंसी की सेवा में कमी को स्वीकार किया और एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया। एजेंसी को दो महीने के भीतर 1.50 रुपये वापस करने का आदेश दिया। इसके साथ ही आदेश दिया कि गैस कंपनी जैन को 6 फीसदी वार्षिक ब्याज भी देगी। एजेंसी को जैन द्वारा झेली गई मानसिक, वित्तीय और सेवा-संबंधी कठिनाइयों के लिए 2,000 रुपये का मुआवजा देने और उनके कानूनी खर्चों को पूरा करने के लिए 2,000 रुपये का भुगतान करने का भी निर्देश दिया गया।

यह 1.50 रुपये के लिए नहीं...

यह मामला उपभोक्ता अधिकारों से जुड़ी लड़ाई के महत्व को बताता है। चक्रेश जैन की लड़ाई व्यवसायों और सेवाओं को प्रदान करने वालों के लिए एक चेतावनी के रूप में भी काम करती है। ये सीख देती है कि उन्हें उपभोक्ताओं के साथ ना केवल उचित व्यवहार करना है, बल्कि नैतिक मानको को भी बनाए रखना है। जैन ने कहा यह केवल 1.50 रुपये के बारे में नहीं था; यह हमारे अधिकारों और आत्म-सम्मान की लड़ाई थी।

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