Lok Sabha Election: पिछले चार दशक में कई बार 85-90 फीसदी उम्मीदवारों की हुई जमानत जब्त, जानें दिलचस्प किस्से
Lok Sabha Elections 2019: उत्तर प्रदेश में हुए लोकसभा चुनावों में जमानत जब्त होने के भी दिलचस्प रिकार्ड रहे हैं। मजेदार बात यह है कि राज्य स्तरीय क्षेत्रीय दल व पंजीकृत गैर मान्यता प्राप्त...
Lok Sabha Elections 2019: उत्तर प्रदेश में हुए लोकसभा चुनावों में जमानत जब्त होने के भी दिलचस्प रिकार्ड रहे हैं। मजेदार बात यह है कि राज्य स्तरीय क्षेत्रीय दल व पंजीकृत गैर मान्यता प्राप्त पार्टियों के अलावा निर्दलीय प्रत्याशियों के ही नहीं बल्कि बड़े पैमाने पर राष्ट्रीय पार्टियों के प्रत्याशियों तक के जमानत जब्त होते रहे हैं। आंकड़े बताते हैं कि पिछले चार दशक के दौरान हुए लोकसभा चुनावों में कई बार तो 85 से 90 फीसदी तक उम्मीदवारों की जमानत जब्त हुई हैं।
आंकड़े के अनुसार, वर्ष 1996 के संसदीय चुनाव में तीन हजार 297 उम्मीदवार प्रदेश भर में खड़े हुए जिसमें से तीन हजार 62 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई। इसी प्रकार बीते 2014 के लोकसभा चुनाव में प्रदेश में एक हजार 288 प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरे थे, जिसमें से एक हजार 87 उम्मीदवार अपनी जमानत तक नहीं बचा पाए। गौर करने वाली बात यह है कि इतने बड़े पैमाने पर जमानत जब्त होने के बाद भी चुनाव में खड़े होने वाले प्रत्याशियों की संख्या घटने का नाम नहीं ले रही। ये लगातार बढ़ती ही जा रही है।
दो दशकों तक चुनावी प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके एक पूर्व प्रशासनिक अधिकारी बताते हैं, 'यह विडम्बना ही है कि विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र में आज भी तमाम लोग चुनाव रूपी लोकतांत्रिक पर्व को गंभीरता से नहीं लेते। बताते हैं कि जितनी बड़ी संख्या में लोगों की जमानत जब्त हो जाती है उसका एक बड़ा हिस्सा मतलब हजारों लोग सिर्फ पब्लिक फिगर बनने के लिए चुनावों में खड़े होते हैं। राजनीतिक या सामाजिक सरोकारों से उनका कोई लेना-देना नहीं होता। उनका मकसद सिर्फ चुनावलड़कर नाम कमाना होता है।
आयोग की होती है कमाई
जब्त होने वाली जमानत राशि चुनाव आयोग की कमाई का एक महत्वपूर्ण जरिया है। पूरे प्रदेश की अगर बात करें तो हर चुनाव में ये रकम कई करोड़ रुपये में पहुंच जाती है।
चुनाव में क्या होती है जमानत
चुनाव लड़ने के लिए हर प्रत्याशी को जमानत के रूप में चुनाव आयोग के पास एक निश्चित राशि जमा करनी होती है। जब प्रत्याशी निश्चित मत हासिल नहीं कर पाता तो उसकी जमानत जब्त हो जाती है। अर्थात वह राशि आयोग की हो जाती है। लोकसभा चुनाव में सामान्य उम्मीदवारों के लिए जमानत राशि 25 हजार तथा अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लिए 12 हजार 500 रुपये जमानत की राशि निर्धारित है।
शौकिया उतरते हैं मैदान में
राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो बड़ी संख्या में ऐसे लोग है जो शौकिया चुनाव मैदानों में उतरते है। लेकिन अगर उन पर होने वाले सरकारी राजस्व की हानि का आंकलन किया जाए तो हजारों प्रत्याशियों पर करोड़ों रुपये का राजस्व खर्च हो रहा है।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।