चुनाव यात्राः न्यू जलपाई गुड़ी में स्वच्छता तो सुधारी पर कई काम अभी बाकी
द्वारका एक्सप्रेस ट्रेन शाम 3.30 बजे के करीब असम को छोड़कर बंगाल में प्रवेश कर गई है। ट्रेन बंगाल सीमा में न्यू अलिपुर द्वार से होती हुई न्यू जलपाई गुड़ी की ओर बढ़ रही है। न्यू जलपाई गुड़ी की खास बात...
द्वारका एक्सप्रेस ट्रेन शाम 3.30 बजे के करीब असम को छोड़कर बंगाल में प्रवेश कर गई है। ट्रेन बंगाल सीमा में न्यू अलिपुर द्वार से होती हुई न्यू जलपाई गुड़ी की ओर बढ़ रही है।
न्यू जलपाई गुड़ी की खास बात ये है कि यह सिक्किम, भूटान और बंगाल के पर्वतीय इलाकों का बेस भी है। मेरे साथ दो ऐसे परिवार हैं, जिन्हें यहीं तक जाना है। उनके साथ बातचीत का सिलसिला शुरू होता है। उन्हीं में से एक प्रणय जो निजी कंपनी में काम करते हैं, कहते हंै कि साफ-सफाई में जैसा बदलाव अब देखने को मिला, पहले नहीं था। उनका कहना था कि वे अधिकांश समय टूर पर होते हैं। इसलिए वह दावे से यह बात कह सकते हैं।
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प्रणय यह भी बताते हैं कि सिक्किम की स्थानीय राजनीति में न्यू जलपाईगुड़ी का अहम रोल है। गोरखालैंड की मांग उठाने भी दिल्ली का रास्ता यहीं से तय होता है। पूर्वोत्तर और असम भी यहां से गुजरे बिना नहीं पहुंचा जा सकता। इस शहर को विभिन्न संस्कृतियों का संगम कहा जाता है। एक अन्य सहयात्री मानिक डे भी उनकी बातों से इत्तेफाक रखते हैं। मानिक की पत्नी कहती हैं कि हम लोग स्वच्छता अभियान से बेहद प्रभावित हैं। उम्मीद है कि भारत सफाई से कई जंग जीत सकता है।
बातों का सिलसिला चल रहा होता है कि साथ में एक और यात्री अभिजीत गांगुली भी कूद पड़ते हैं। वह दिल्ली में एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करते हैं। कहते हैं कि ट्रेन में खाने की गुणवत्ता भी बेहतर हुई है। बिल मांगा तो तुंरत बिल दे दिया। इस पर प्रणय बीच में बोलते हैं, ये बदलाव तो लोग देख ही रहे हैं। हालांकि अब भी सुधार की बहुत जरूरत है। अवैध वेंडर, बिना टिकट कोच और प्लेटफॉर्म पर आना बंद होना चाहिए।
इस बीच, मानिक डे जो अपनी पत्नी के साथ यात्रा कर रहे हैं, कहते हैं कि उनकी पत्नी को लिवर की बीमारी है। इलाज के लिए हैदराबाद ले जाना पड़ता है। मगर इस बात की खुशी है कि अब गुवाहाटी में एम्स खुल रहा है। चर्चा के दौरान पहले के असम और आज के असम की भी तुलना शुरू हो गई। प्रणय बोले, पहले अपराध के साथ उग्रवाद, आतंक के कारण असम में शाम 6 बजे तक सब बंद हो जाता था। अब लोग रात तक आराम से घूमते देखे जा सकते हैं। पूर्वोत्तर में सड़क और पर्यटन की दिशा में भी काम हुआ है।
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प्रियंका गांधी के राजनीति में औपचारिक प्रवेश के सवाल पर मानिक डे कहते हैं कि प्रियंका भाजपा के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती हैं। मगर इसके लिए पहले उन्हें लोगों में भरोसा और मजबूत करना होगा। इस बीच, तपाक से अभिजीत बोल पड़ते हैं- मोदी ने भी कच्ची गोलियां नहीं खेली हैं साहब। कांग्रेस को बहुत पापड़ बेलने होंगे। उनकी इस बात पर वहां बैठे सभी के चेहरों पर मुस्कान तैर जाती है। लोकसभा चुनाव में ममता बनर्जी के पश्चिम बंगाल में प्रदर्शन को लेकर अभिजीत कहते हैं कि अभी कुछ नहीं कह सकते। भाजपा जिस तरह पूरे राज्य में अपनी पैठ बनाने में जुटी है ऐसे में दीदी के लिए चुनौती तो बढ़ी ही है। इन्हीं चर्चाओं के बीच शाम करीब 8.30 बजे ट्रेन न्यू जलपाई गुड़ी पहुंची जाती है। प्रणय और मानिक परिवार सहित यहीं उतर जाते हैं। हालांकि ट्रेन तब तक करीब पौन घंटा लेट हो चुकी थी। (सफर जारी)
जब सीट के लिए सरकार को कोसा
बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन में कार्यरत बक्सर के मूल निवासी सत्येंद्र राय भी परिवार को लेकर घर लौट रहे हैं। जलपाई गुड़ी से एक ही बर्थ कंफर्म हुई। ऐसे में वो पत्नी-बच्चों के साथ जद्दोजहद में हैं। एक ही सीट पर जैसे-तैसे बैठने के बाद गुस्सा फूट ही पड़ता है कि आखिर यह कब हो पाएगा कि सबको सुखद यात्रा आसानी से उपलब्ध हो। कहते हैं कि पिछले 30 वर्षों से रेलवे में यही हालत देख रहे हैं। किसी सरकार ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। साफ-सफाई अच्छी बात है लेकिन सीट ही नहीं मिले तो कोई क्या करे।
भाजपा-कांग्रेस दोनों के लिए अहम
जलपाई गुड़ी सुरक्षित सीट (एससी) है। 1984 से करीब 30 साल तक इस पर वामपंथियों का कब्जा रहा। 2014 में तृणमूल कांग्रेस ने यहां से जीत दर्ज कर वामपंथ का पुराना किला ढहा दिया। इस बार फिर यहां त्रिकोणीय मुकाबला है। कांग्रेस, भाजपा के साथ ही तृणमूल कांग्रेस भी पूरी ताकत लगाए हुए है।
- 85% से ज्यादा मतदान हुआ था 2014 में इस सीट पर।
- 38% वोट लेकर तृणमूल के बिजॉय चंद्र बर्मन 2014 में यहां से जीते थे।
- 32.6% वोट के साथ माकपा के महेंद्र कुमार दूसरे स्थान पर रहे थे।
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