मेनोपॉज को लेकर क्या कहती है स्टडी, यहां जानिए हफ्ते की तमाम जानकारियां
- हमारी दुनिया में हम से जुड़ी क्या खबरें हैं? हमारे लिए उपयोगी कौन-सी खबर है? किसने अपनी उपलब्धि से हमारा सिर गर्व से ऊंचा उठा दिया? ऐसी तमाम जानकारियां हर सप्ताह आप से यहां साझा करेंगी, जयंती रंगनाथन
वल्र्ड बैंक के एक ताजातरीन रिपोर्ट के अनुसार पूरे दक्षिण एशिया में शादीशुदा कामकाजी औरतों के साथ भेदभाव किया जाता है। इसकी वजह से 12 प्रतिशत से अधिक कामकाजी महिलाओं को शादी के बाद या तो नौकरी छोड़नी पड़ जाती है या नौकरी में उनकी तनख्वाह कम कर दी जाती है। अध्ययन में इसे मैरिज पेनल्टी कहा गया है। जहां महिलाएं शादी के बाद करियर में पिछड़ जाती हैं, वहीं पुरुष शादी के बाद करियर में ऊचांइयों की तरफ बढ़ते हैं। इस अध्ययन में इस बात का भी खुलासा हुआ है कि शादी और बच्चों का दबाव सबसे अधिक स्त्रियां ही झेलती हैं। वो अगर अपने करियर पर ध्यान देना भी चाहें, तो नहीं दे पाती। वल्र्ड बैंक ग्लोबल मैप के अनुसार भारत और मालदीव में 21 प्रतिशत युवतियां शादी के पांच साल बाद नौकरी छोड़ने की सोचती हैं या ऐसी नौकरी करना चाहती हैं, जहां उन्हें अपने हिसाब से काम करने की आजादी मिले। साउथ एशियन डेवलेपमेंट अपडेट के अनुसार भारत में स्थितियां बदल रही हैं। वल्र्ड बैंक की चीफ इकोनॉमिस्ट फ्रेंजिस्का ओहनसोर्ज कहती हैं, ‘अभी तक महिलाओं को लेबर फोर्स को प्रभावित करने वाला नहीं समझा जाता था। पर, भारत में पिछले दस सालों में महिलाओं के करियर में सकारात्मक परिवर्तन हुआ है। 13 प्रतिशत युवतियां करियर को गंभीरता से ले रही हैं और 51 प्रतिशत युवतियां शादी के बाद भी नौकरी जारी रख रही हैं।’ उनका मानना है कि शिक्षा और करिअर में अवसर अगर लड़कियों को भी उसी अनुपात में मिले, जितना लड़कों को मिल रहा है तो आने वाले सालों में ये आंकड़े तेजी से बदलते नजर आएंगे। इस अध्ययन के मुताबिक शादी के बाद भी कामकाजी महिलाओं को वर्कफोर्स में शामिल रखने में उच्च शिक्षा अहम भूमिका निभा सकती है। अगर पुरुष और महिला दोनों ज्यादा पढ़े-लिखे हों, तो शादी के बाद भी महिलाएं नौकरी नहीं छोड़तीं। अध्ययन में पाया गया कि ऐसी महिलाएं जिन्होंने कॉलेज की पढ़ाई की है या फिर उन्होंने कॉलेज जा चुके पुरुष से शादी की है, वे मैरिज पेनेल्टी से बच जाती हैं और शादी के बाद भी नौकरी जारी रखती हैं।
एक बूढ़ा होता देश
अभी हमने बात की कि किस तरह शादी के बाद लड़कियों को अपने करियर से समझौता करना पड़ता है। चीन में यही हाल चार दशक पहले तक था। अब वहां स्थितियां पूरी तरह बदल गई हैं। वहां का युवा अब शादी नहीं करना चाहता। अपना परिवार नहीं बढ़ाना चाहता। वहां लगातार शिशु जन्म दर घट रहा है। इकोनॉमिक टाइम्स में प्रकाशित खबर के अनुसार पिछले दो सालों में चीन के शहरों और गांवों में बाइस हजार्र ंकडरगार्टन बंद हुए हैं। इनकी जगह ली है, नर्सिंग होम्स और पालतू जानवरों के केंद्र ने। चीन की सरकार ने हाल ही में रिटायरमेंट की उम्र में भी तीन साल का इजाफा कर दिया है। लगातार घटती जनसंख्या र्से ंचतित होकर सरकार दंपतियों को बच्चा पैदा करने पर कई तरह के प्रलोभन भी दे रही है। चीन ही नहीं, दक्षिण कोरिया और जापान में भी कमोबेश यही हाल है। युवतियां शादी से दूर भाग रही हैं। शादी के बाद जोड़े परिवार की जिम्मेदारियां उठाने से घबराते हैं, खासकर बच्चों की जिम्मेदारी। स्त्रियां किसी भी सूरत में करियर के साथ समझौता नहीं करना चाहतीं।
मेनोपॉज से धीमी नहीं होगी जिंदगी की चाल
मेनोपॉज के बाद औरतों के शरीर में कई परिवर्तन होते हैं। एक बड़ी समस्या है, हड्डियों का घनत्व कम होना। अमेरिका के हेल्थ जर्नल अमेरिकन सोसाइटी ऑफ बोन एंड मिनिरल रिसर्च में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक मेनोपॉज के बाद महिलाओं की हड्डियों के कमजोर होने के कारणों का पता लगा लिया गया है। वजह है, पीरियड बंद होने के बाद शरीर में इंटरल्यूकिन 9 का स्तर बढ़ जाना। यह यह शरीर में हड्डियों के क्षरण की वजह बनता है। एम्स के बायोटेक्नोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉक्टर रूपेश श्रीवास्तव का कहना है कि इस अध्ययन के बाद अब इलाज आसान हो जाएगा और महिलाएं स्वस्थ महूसस कर पाएंगी।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।