हर की पौड़ी पर ही क्यों गंगा स्नान करते हैं लोग, क्या आपको पता है हरिद्वार नाम का सही मतलब?
Haridwar Har Ki Pauri: हरिद्वार दिल्ली से करीबन 240 किलोमीटर दूर है। ये भारत वासियों के लिए काफी खास है। हिंदू धर्म का पालन करने वाले लोगो के लिए इस जगह का अलग ही महत्व है। इस आर्टिक में जानिए की आखिर हर की पौड़ी पर ही क्यों गंगा स्नान करने जाते हैं लोग और हरिद्वार नाम का सही मतलब।
उत्तराखंड को देव भूमि कहा जाता है। ऐसा इसिलिए क्योंकि यहां पर ढेरों मंदिर हैं और केदारनाथ-बद्रीनाथ समेत गंगोत्री और यमुनोत्री के लिए भी यहीं यात्रा होती है। हालांकि, इन सभी बड़े धामों पर जाने से पहले लोग हरिद्वार जाते हैं। हरिद्वार एक ऐसी जगह है, जो दिल्ली के आस पास रह रहे लोगों के लिए वीकेंड डेस्टिनेशन हैं। इस जगह पर लोग गंगा स्नान करने के लिए आते हैं। वैसे तो हरिद्वार में कई घाट हैं लेकिन हर की पौड़ी/पैड़ी पर लोगों की ज्यादा भीड़ होती है। क्या आकपिला, गंगाद्वार के नाम प जानते हैं ऐसा क्यों है? इस आर्टिकल में जानते हैं।
क्यों हर की पौड़ी/पैड़ी पर होती है सबसे ज्यादा भीड़
वैसे तो हरीद्वार में कई जगह है जिन्हें लेकर अलग-अलग मान्यता है। वहीं यहां पर कई घाट भी हैं, लेकिन उनके मुकाबले सबसे ज्यादा भीड़ हर की पौड़ी/पैड़ी पर ही होती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इस जगह को लेकर मान्यता है कि जब असुरों और देवताओं के बीच समुद्र मंथन हुआ तब लड़ाई के बीच में असुर अमृत का कलश लेकर भागने लगे। तभी उस कलश में से 4 बूंदें गिर गई। इनमें से एक बूंद हरीद्वार में गिरी। माना जाता है कि ये बूंद हर की पौड़ी/पैड़ी पर ही गिरी थी। इसलिए लोग हरिद्वार आकर इस जगह पर स्नान लेते हैं। वहीं कहा ये भी जाता है कि हर की पौड़ी/पैड़ी पर खुद विष्णू भगवान आए थे। इसलिए इस घाट की मान्यता खास है।
क्या है हरिद्वार नाम का मतलब
हरिद्वार नाम का दो शब्दों को जोड़ कर बना है। हरी और द्वार, जिसमें हरी का मतलब है भगवान और द्वार का मतलब है दरवाजा। लोगों का मानना है कि ये भगवान से मिलने या फिर स्वर्ग जाने का दरवाजा है। हरिद्वार नाम मिलने से पहले इस जगह को मायापुरी, कपिला, गंगाद्वार के नाम से भी जाना जाता था।
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