Holi 2025: होली सेलिब्रेशन के लिए मथुरा की ये जगह रहेंगी बेस्ट, यहां हर तरफ दिखेगा गुलाल

  • होली सेलिब्रेशन के लिए ज्यादातर लोगों की पहली पसंद मथुरा होती हैं। यहां की होली सबसे अलग और खास होती है। अगर इस त्योहार पर आप भी मथुरा जाने के बारे में सोच रहे हैं तो जानिए किन जगहों पर जाना चाहिए।

Avantika Jain लाइव हिन्दुस्तानWed, 26 Feb 2025 06:16 PM
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Holi 2025: होली सेलिब्रेशन के लिए मथुरा की ये जगह रहेंगी बेस्ट, यहां हर तरफ दिखेगा गुलाल

होली खेलना भले ही कम लोगों को पसंद हो लेकिन इस त्योहार का इंतजार हर किसी को रहता है। हर साल होली मार्च महीने की शुरुआत या अंत में आती है। इस साल 14 मार्च को रंग खेले जाएंगे। यह एक ऐसा त्योहार है जो न केवल चेहरे को बल्कि दिलों को भी खुशियों के रंगों से रंग देता है। इस दिन हर कोई आपसी गिले शिकवे भूलकर एक दूसरे को रंग लगाते हैं और गले लगते हैं। इस त्योहार पर ज्यादातर लोग मथुरा जाने की प्लानिंग करते हैं। अगर आप भी इस खास त्योहार पर मथुरा जा रहे हैं तो जानिए होली सेलिब्रेशन के लिए यहां कि कौन-सी जगह पर जाएं।

1) श्रीजी मंदिर, बरसाना

बरसाना में होली बहुत पारंपरिक उत्साह और उमंग के साथ मनाई जाती है। पूरे देश से लोग श्रीजी मंदिर में लड्डू होली देखने आते हैं। यहां

पर लोग जुलूस में मंदिर के चारों ओर घूमते हुए गाने गाते हैं। नाच-गाने के साथ चारों ओर रंग-बिरंगे लड्डू और फूल फेंके जाते हैं।

2) बरसाना की लठमार होली

लठमार होली सिर्फ एक और खेल नहीं है, यह महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देता है, कुछ ऐसा ही श्री

कृष्ण करते थे। होली के दौरान वह अपने दोस्तों के साथ बरसाना आते थे, लेकिन वहां की महिलाएं उन्हें बांस की लाठियों से डराती थीं। ऐसे में अब ये होली उत्सव का एक हिस्सा बन गया है। जहां नंदगांव के पुरुष बरसाना आते हैं और महिलाएं लट्ठ के साथ उनका इंतजार करती हैं।

3) बांके बिहारी मंदिर

रंगभरनी एकादशी पर वृन्दावन के बांके बिहारी मंदिर में इसका उत्सव देखने लायक होता है। हर साल भक्त रंगों के रंगों के साथ श्री कृष्ण के प्रति अपने प्रेम और भक्ति को प्रदर्शित करने के लिए प्राचीन मंदिर में आते हैं। यहां का होली उत्सव देखने लायक होता है।

4) गोकुल होली

कहते हैं कि कान्हा बचपन में शरारती थे, खासकर गोकुल की गोपियों को छेड़ने में उन्हें बहुत मजा आता था। लठमार होली परंपरा के समान छड़ी मार होली इसी के सम्मान में मनाई जाती है। छड़ी मार होली के दिन कान्हा की पालकी सजाई जाती है और महिलाएं उनके पीछे-पीछे लाठियां लेकर चलती हैं। बरसाना अपने 'लट्ठमार होली' उत्सव के लिए फेमस है, जबकि गोकुल 'छड़ीमार होली' की परंपरा को बरकरार रखने के लिए।

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