मिनी स्विट्जरलैंड के नाम से जाना जाता है उत्तराखंड का चोपता, इन जगहों पर देखने को मिलेगी कुदरत की खूबसूरती
Famous Places To Visit Near Chopta: अगर आप भारत में रहकर ही कुदरत की खूबसूरत का नजारा लेना चाहते हैं तो उत्तराखंड के चोपता में घूमने जरूर जाएं। यह जगह देखने में इतनी खूबसूरत है कि इसे मिनी स्विट्जरलैंड के नाम से भी जाना जाता है।
हिल स्टेशनों का टूरिस्ट सीजन कभी खत्म नहीं होता है। पर्यटक बारह महीनों यहां आकर कुदरत की खूबसूरती का मजा ले सकते हैं। अगर आप भी शहर की भीड़भाड़ से दूर अपनी छुट्टियों को प्रकृति की गोद में शांति और खूबसूरत नजारों के साथ गुजारना चाहते हैं तो उत्तराखंड के चोपता के बारे में सोच सकते हैं। उत्तराखंड का चोपता कुदरत की खूबसूरती को खुद में समेटे हुए हैं, यही वजह है कि इसे मिनी स्विट्जरलैंड के नाम से भी जाना जाता है। यहां की ताजी हवा और हरी-भरी हरियाली आपके मन को तरोताजा कर देगी। चोपता में आपको एडवेंचर से लेकर धार्मिक जगहों की शांति, हर एक चीज एक साथ देखने को मिल सकती है। तो आइए जान लेते हैं चोपता में घूमने वाली ऐसी ही कुछ खूबसूरत जगहों के बारे में।
चोपता तुंगनाथ ट्रेक
यहां यात्रियों को प्रसिद्ध तीर्थ और पर्यटन स्थल तुंगनाथ मंदिर देखने को मिलेगा। तुंगनाथ मंदिर चोपता से 3.5 किमी दूर और 3680 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। बता दें, तुंगनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित सबसे ऊंचा मंदिर है। यह पंच केदार मंदिरों में से एक है, जो इस स्थान को एक अलग धार्मिक महत्व देता है। माना जाता है कि यह मंदिर पांच हजार साल से भी अधिक पुराना है। जिसका निर्माण पांडवों ने करवाया था।
कंचुला कोरक कस्तूरी मृग अभयारण्य
कंचुला कोरक कस्तूरी मृग अभयारण्य, उत्तराखंड के चोपता में स्थित एक संरक्षित वन्यजीव अभयारण्य है। लगभग 5 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला यह अभयारण्य कस्तूरी मृग और कई अन्य हिमालयी जीवों का घर है। इस अभयारण्य की शुरुआत दुर्लभ जीवों की संख्या बढ़ाने के लिए की गई थी। यह जगह वन्यजीव प्रेमियों के लिए एक प्रमुख आकर्षण का केंद्र मानी जाती है।
चंद्रशिला ट्रेक
चोपता घाटी के प्रमुख आकर्षणों में से एक, चंद्रशिला ट्रेक भारतीय ट्रैकिंग के शौकीनों के बीच सबसे लोकप्रिय ट्रेक में से एक है। यह ट्रेक चोपता से तुंगनाथ (दुनिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर) तक शुरू होता है, जो 3.5 किमी लंबा ट्रेक रूट है, यहां से चंद्रशिला 1.5 किलोमीटर दूर है, और एक खड़ी चढ़ाई है। पौराणिक कथाओं के अनुसार रावण का वध करने के बाद भगवान राम ने यहीं तपस्या की थी।
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