Hindi Newsलाइफस्टाइल न्यूज़यात्राknow things related to Govardhan Puja And Giriraj Parvat

गोवर्धन पूजा के दिन की जाती है गिरिराज पर्वत की परिक्रमा, जानिए इससे जुड़ी खास बातें

दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा की जाती है। इस दिन का खास महत्व है। कुछ लोग इस दिन गिरिराज पर्वत की परिक्रमा भी करते हैं। आज यानी 2 नवंबर को गोवर्धन पूजा के दिन जानिए गोवर्धन पूजा और गिरिराज पर्वत से जुड़ी बातें।

Avantika Jain लाइव हिन्दुस्तानSat, 2 Nov 2024 01:26 PM
share Share

गोवर्धन पूजा इस बार 2 नवंबर को मनाई जाएगी। इस दिन गोबर से भगवान श्रीकृष्ण और गोवर्धन पर्वत का चित्र बनाया जाता है और फिर विधि विधान से पूजा की जाती है। आज इस पूजा के खास मौके पर जानिए गोवर्धन पर्वत से जुड़ी कुछ खास बातों के बारे में। इसी के साथ ये भी जानिए कि आखिर क्यों मनाया जाता है इस दिन अन्नकूट

कहां है गोवर्धन पर्वत

गोवर्धन पर्वत उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में है। यह वृंदावन से करीब 21 किलोमीटर की दूरी पर है। गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा के दौरान राधा कुंड, श्यामा कुंड, दान घाटी मंदिर, मुखारविंद, कुसुम सरोवर, रिनामोचना, और पुचारी जैसे पवित्र स्थलों के दर्शन जरूर करें।

क्यों होती है गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा

गोवर्धन पर्वत को गिरिराज पर्वत भी कहते हैं। यह उत्तर प्रदेश के वृंदावन से करीब 22 किलोमीटर दूर है। माना जाता है कि गोवर्धन पर्वत के हर छोटे-बड़े पत्थर में श्री कृष्ण का वास है। माना जाता है कि इसके परिक्रमा करने से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और भक्तों को सुख-शांति का आशीर्वाद मिलता है। वैसे तो सालभर लोग इस पर्वत की परिक्रमा करते हैं लेकिन गोवर्धन पूजा के दिन लोग खासतौर पर इसकी परिक्रमा करते हैं।

कितनी बार लगाई जाती है परिक्रमा

कहते हैं कि गोवर्धन पूजा के दिन आप गोबर से बने गिरिराज जी की 7 या 11 बार परिक्रमा लगाना अच्छा माना जाता है। ऐसा भी कहा जाता है कि परिक्रमा परिवार के साथ लगानी चाहिए। ऐसा करके घर में चल रहे कलह-क्लेश से भी छुटकारा मिल जाता है।

यूं शुरू हुई गोवर्धन पूजा

गोवर्धन पूजा के दिन गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाकर उसकी पूजा की जाती है। माना जाता है है कि जब बारिश के कारण सभी गांव वाले परेशान हुए तब श्री कृष्ण ने अपनी छोटी उंगली से पर्वत को उठाया था और सभी की जान बचाई। इसके बाद श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को पूजनीय बताया और तभी से ब्रजवासियों ने गोवर्धन पर्वत की पूजा शुरू की। इस पूजा का उद्देश्य प्रकृति और धरती माता के प्रति सम्मान को प्रदर्शित करना भी है।

गोवर्धन पूजा पर क्यों बनता है अन्नकूट

'अन्नकूट' का मतलब है अन्न का पहाड़। कहते हैं कि 7 दिन बाद जब इंद्र देवता शांत हुए तब सभी अपने घर में रखी सब्जियों को लेकर आए और फिर अन्नकूट का प्रसाद तैयार किया। माना जाता है किए भगवान श्रीकृष्ण के प्रति अपनी कृतज्ञता जताने के लिए लोग गोवर्धन पूजा के दिन उन्हें 56 या 108 तरह के पकवानों का भोग लगाते हैं। उस भोग को अन्नकूट कहा जाता है।

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।

अगला लेखऐप पर पढ़ें