Hindi Newsलाइफस्टाइल न्यूज़Sex education in children according to doctor know the guidelines

बच्चों के लिए सेक्स एजुकेशन कब और क्यों? जानें कैसे करें बच्चों से बात

हम भले ही 21वीं सदी में जी रहे हैं, लेकिन 'सेक्स' जैसे किसी शब्द को सुनते ही आज भी हम खुद को असहज महसूस करने लगते हैं। ऐसे में उस पर बात करना हमारे लिए और भी मुश्किल हो जाता है, जब बच्चे इसे...

Pratima Jaiswal एजेंसी , नई दिल्ली Sat, 22 Feb 2020 09:38 PM
share Share

हम भले ही 21वीं सदी में जी रहे हैं, लेकिन 'सेक्स' जैसे किसी शब्द को सुनते ही आज भी हम खुद को असहज महसूस करने लगते हैं। ऐसे में उस पर बात करना हमारे लिए और भी मुश्किल हो जाता है, जब बच्चे इसे लेकर  हमसे कोई सवाल पूछने लगते हैं। बच्चों के लिए टीवी पर 'कंडोम' के विज्ञापन में अंकल-आंटी को कुछ अजीब सी स्थिति में देखना उनमें इस बात की उत्सुकता पैदा कर देता है कि आखिर दोनों कर क्या रहे हैं? और अगर यह सवाल उन्होंने हमसे पूछ लिया तो हम चाहते हैं कि किसी तरह से बस वहां से गायब हो जाए। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि आखिर सेक्स को लेकर अभिभावक बच्चों के साथ बातचीत कैसे और कब शुरू करें?
यहां सबसे महत्वपूर्ण बात हमारा यह समझना है क्या हमारा बच्चा इस बारे में जानने व समझने के लिए सक्षम है? इसके लिए बच्चों की कोई निश्चित उम्र तय नहीं की जा सकती, लेकिन जब बच्चों में इस विषय को लेकर उत्सुकता दिखने लगे या बार-बार वे आपसे इसी बारे में सवाल पूछने लगे, तब समझ जाए कि अब आप अपने बच्चे से इस बारे में संबंधित जानकारी साझा कर सकते हैं। शुरुआत आप शारीरिक अंगों को उनके सही नामों से बुलाकर कर सकते हैं, अब आप कोर्ड वर्ड का इस्तेमाल करना बंद कर दें। 
वे जैसे-जैसे बड़े होते जाते हैं, उनसे इस बारे में चचार् करें कि बच्चे कैसे पैदा होेते हैं या उनके शब्दों में बच्चे कहां से आते हैं। इसके साथ ही उन्हें यह भी बताए कि कोई समस्या होने पर माता-पिता व चिकित्सक ही उनके निजी अंगों को स्पर्श कर सकते हैं और किसी को ऐसा करने की इजाजत नहीं है। बच्चों को आजकल इस बारे में जागरूक करना बेहद आवश्यक है। 
सेक्स या यौन संबंध का मासूमियत से कोई लेना-देना नहीं है। बच्चे मासूम हैं इसलिए उनसे इस बारे में बात करना उचित नहीं, यह सोचना छोड़ दें। एक जागरूक बच्चे का तात्पर्य 'शैतान' बच्चे से नहीं है। 

उनसे बात कैसे करें?
हम खुशकिस्मत हैं कि आज हम एक ऐसे दौर में जी रहे हैं, जहां इस बारे में चचार् शुरू करने के लिए कई साधन उपलब्ध हैं। रॉबी एच हैरिस की किताबों से इसकी शुरुआत की जा सकती है। मैंने खुद इन्हें कई बार पढ़ा है, इसके बाद आईने के सामने खड़े होकर इसे जोर-जोर से पढ़ें और आखिर में बच्चों के सामने इन्हें पढ़ना शुरू करें। अगर बच्चों के किसी सवाल का जवाब आप उसी वक्त देने में असमर्थ हैं, तो उन्हें बताए कि आप फिर कभी इस बारे में बात करेंगे, बाद में ही सही लेकिन बात जरूर करें।
सेक्स के बारे में बात करना एक निरंतर प्रक्रिया है। इसके बाद गर्भधारण, हस्तमैथुन, प्यार, आकर्षण, शारीरिक आकर्षण, सेक्स जैसे कई मुद्दों पर धीरे-धीरे चचार् करें। कई बार ऐसा होता है कि किशोरावस्था में लड़के-लड़कियों को उनके वर्जिन होने के चलते कई उपहासों का सामना करना पड़ता है, ऐसे में आपका उनसे खुलकर बात करना बेहद महत्वपूर्ण है। 
माता-पिता होने के नाते हमारे लिए यह समझना आवश्यक है कि बच्चों में उत्सुकता या यौन आग्रह का होना एक सामान्य सी बात है। इसका प्रभाव उनकी नैतिकता और बड़े होने पर नहीं पड़ेगा। दोस्तों या पॉर्न साइट से इस बारे में गलत जानकारी पाने से बेहतर है कि माता-पिता उन्हें सही और सुरक्षित ज्ञान उपलब्ध कराए। 

-डॉ. तनुश्री सिंह

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।

अगला लेखऐप पर पढ़ें