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रात में टूटती है नींद तो हो सकती है यह समस्या, जानें स्टडी का नतीजा

Study: महिलाओं की हेल्थ, करियर और मेंटल हेल्थ से जुड़ी कुछ स्टडीज में काम की बातें सामने आई हैं। आप यहां एक क्लिक में महिलाओं से जुड़े 4 अलग टॉपिक्स पर हुए कुछ शोध और उनके परिणाम जान सकते हैं...

Kajal Sharma लाइव हिंदुस्तान, नई दिल्लीWed, 22 Nov 2023 10:08 AM
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हमारी दुनिया में हम से जुड़ी क्या खबरें हैं? हमारे लिए उपयोगी कौन-सी खबर  है? किसने अपनी उपलब्धि से हमारा सिर गर्व से ऊंचा उठा दिया? इन जानकारियों  के लिए है, यह पन्ना। यहां आपको मिलेगी, हर जानकारी हमारी दुनिया की...

बीपी से डिस्टर्ब होती है नींद
दुनिया भर में करोड़ों लोग अनिंद्रा के शिकार हैं। ब्रिटेन के बर्मिंघम  एंड वुमेन अस्पताल के वैज्ञानिकों के द्वारा किए गए अध्ययन में पाया गया है कि उच्च रक्तचाप की समस्या से जूझ रही महिलाओं को रात में चैन की नींद लेना मुश्किल हो रहा है। बीपी और नींद के इस संबंध को समझने के लिए वैज्ञानिकों ने 25 से 42 आयु वर्ग की 66,122 महिलाओं पर अध्ययन किया। शोध की शुरुआत में किसी महिला को रक्तचाप की समस्या नहीं थी। 2001 से 2017 तक चले शोध में पाया गया कि इस दौरान 22,987 महिलाओं को उच्च रक्तचाप की समस्या हुई और इस दौरान उनकी नींद बाधित होने लगी। उच्च रक्तचाप से पीड़ित महिलाओं की नींद    रात में पांच से छह बार टूटी। रात को बार-बार उठना, टहलना और सुबह जल्दी उठकर टहलना इन महिलाओं में प्रमुख लक्षण के रूप में पाए गए। यह रिपोर्ट हाइपरटेंशन जर्नल में प्रकाशित हुई है।

कोविड के बाद महत्वाकांक्षी हो गईं महिलाएं
महामारी के बाद कामकाजी महिलाएं ज्यादा महत्वाकांक्षी हो गई हैं। अमेरिका में किए गए अध्ययन के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला गया है। अध्ययन के मुताबिक आज की कामकाजी महिलाएं अपने सहकर्मी पुरुषों की जितनी ही महत्वाकांक्षी हैं और महामारी के बाद घर से काम करने की मिली सुविधा ने उनकी इस महत्वाकांक्षा को और बढ़ाया है। इस अध्ययन के मुताबिक पिछले साल की तुलना में इस साल कॉर्पोरेट दुनिया के शीर्ष पर महिलाओं की भागीदारी 28 प्रतिशत ज्यादा बढ़ी है, वहीं कामकाजी महिलाओं की संख्या भी दोबारा महामारी से पहले के स्तर तक वापस पहुंच चुकी है।

मेंटल हेल्थ के लिए जागरूक हुए हैं युवा
भारत के लगभग 82 प्रतिशत युवा मानते हैं कि अगर अपनी मानसिक सेहत के लिए थेरेपी लेने की नौबत आ जाए, तो इसमें उन्हें अपने अभिभावक का साथ मिलेगा। नीलसन क्यू द्वारा किए गए इस सर्वे में शामिल 59 प्रतिशत लोगों ने माना कि अपनी मानसिक सेहत के बारे में उन्होंने सबसे पहले अपने माता या पिता से बात की। सर्वे में यह बात भी सामने आई कि अब पहले से कहीं ज्यादा संख्या में लोग अपनी मानसिक सेहत के लिए एक्सपर्ट की मदद ले रहे हैं। 50 प्रतिशत लोगों ने माना कि वे काउंसलर के सामने बैठकर उनसे बात करना चाहते हैं। वहीं, 50 प्रतिशत लोगों का मानना है कि सोशल मीडिया की वजह से इस मामले में उनकी जागरूकता बढ़ी है।

खान-पान से हो सकता है डिमेंशिया का बचाव
डिमेंशिया व्यक्ति के सोचने, समझने और याद रखने की क्षमता को प्रभावित करता है। डिमेंशिया का कोई इलाज नहीं है, लेकिन स्वस्थ जीवनशैली और खानपान से इसे ठीक रखा जा सकता है। डिमेंशिया को कम करने और संज्ञानात्मक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए वैज्ञानिकों ने चीज के सेवन को सही बताया है। हाल के जापानी अध्ययनों के अनुसार, चीज डिमेंशिया या पार्किंसंस जैसी अन्य मस्तिष्क समस्याओं को कम करता है। शोधकर्ताओं द्वारा 65 वर्ष और उससे अधिक उम्र के लगभग 1,600 वयस्कों के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया और उन्होंने पाया कि जिन लोगों ने सबसे अधिक चीज खाया, उनमें कम चीज खाने वालों की तुलना में डिमेंशिया का जोखिम 44% कम था। न्यूट्रिशन जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन में डेयरी और मस्तिष्क स्वास्थ्य के बीच संबंध का विश्लेषण किया गया। टीम ने टोक्यो में प्रतिभागियों के अपने समूह से एकत्रित आंकड़ों का विश्लेषण किया, जिसमें 65 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्ति शामिल थे।

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