कालिंदी बायोडायवर्सिटी पार्क में पहली बार दिखे प्रवासी पक्षी
कालिंदी बायोडायवर्सिटी पार्क में प्राकृतिक तरीके से नाले के पानी को साफ करने का असर दिखने लगा है। यहां पर तैयार किए गए वेटलैंड (नमभूमि) में पहली बार प्रवासी पक्षियों का आगमन दर्ज किया जा रहा है।...

कालिंदी बायोडायवर्सिटी पार्क में प्राकृतिक तरीके से नाले के पानी को साफ करने का असर दिखने लगा है। यहां पर तैयार किए गए वेटलैंड (नमभूमि) में पहली बार प्रवासी पक्षियों का आगमन दर्ज किया जा रहा है। पार्क में कुल मिलाकर 11 वेटलैंड तैयार करने की योजना है, जिसमें से फिलहाल दो वेटलैंड तैयार किए जा चुके हैं।
राजधानी दिल्ली से यमुना नदी का लगभग 54 किलोमीटर का हिस्सा गुजरता है। लेकिन, इस हिस्से में कई जगहों पर खुले नाले का पानी यमुना में गिरता है, जिससे नदी प्रदूषित होती है। डीडीए द्वारा स्थापित कालिंदी बायोयावर्सिटी पार्क के पूरे क्षेत्र में ऐसे कई नाले यमुना के पानी में पहले सीधे गिरा करते थे। लेकिन, अब यहां पर नालों के पानी को कंस्ट्रक्टेड वेटलैंड के जरिए साफ किया जा रहा है। बीते दो सालों में यहां बनाए गए कंस्ट्रक्टेड वेटलैंड के जरिए 40 से 50 एनएलडी पानी हर दिन साफ किया जा रहा है। जबकि, इस साफ पानी से दो वेटलैंड तैयार किए जा चुके हैं। नाले के पानी को साफ करके तैयार किए गए वेटलैंड का असर यहां पर दिखने पक्षियों की संख्या पर पड़ा है। पहली बार यहां पर ग्रै लैग गूज, बॉर हेडेड गूज, व्हाइट टेल्ड लैपविंग, कॉमन कूट, नार्दर्न शॉवलर, कॉमन पोचार्ड सैंड पाइपर, ग्लोसी आईबिस, ब्लू थ्रोट, रेड थ्रोटेट फ्लाईकैचर जैसे प्रवासी पक्षी दिख हैं। पार्क में पारिस्थितिकी के सुधार मे लगे सेंटर फॉर इंवायरमेंटल मैनेजमेंट ऑफ डिग्रेडेड ईकोसिस्टम के प्रमुख व वैज्ञानिक सीआर बाबू बताते हैं कि नालों का पानी प्राकृतिक तरीके से साफ किए जाने से नदी का डूब क्षेत्र और नदी के पानी का भी सुधार होगा।
ऐसे साफ होता है नालों का पानी
कंस्ट्रक्टेड वेटलैंड तकनीक में नालों के मुहाने पर एक जाली लगा दी जाती है। ताकि, इसमें मौजूद प्लास्टिक या धातु आदि को रोका जा सके। इसके बाद इसे एक बड़े तालाब में रखा जाता है। जिससे तमाम अशुद्धियां नीचे बैठ जाती हैं। इसके बाद पानी को पत्थर और पानी को साफ करने वाले जलीय पौधों की श्रृंखला से गुजारा जाता है। जिससे पानी साफ होता है और उसमें ऑक्सीजन की मात्रा में भी इजाफा होता है। यह पानी जलीय जीवन के लिए भी ज्यादा अनुकूल होता है।
130 से ज्यादा प्रजाति के पक्षी
कालिंदी बायोडावर्सिटी पार्क के वैज्ञानिक यासिर अराफात बताते हैं कि पार्क में अब तक 130 प्रजाति के पक्षियों की मौजूदगी दर्ज की गई है। इसमें से बहुत से पक्षी ऐसे हैं जो यहां के आम रहवासी है। जबकि, पहली बार बॉर हेडेड गूज और ग्रे लैग गूज जैसे प्रवासी पक्षी भी देखे जा रहे हैं। इससे यह माना जा सकता है कि पानी साफ होने के चलते पक्षियों को यहां पर एक अच्छा ठिकाना मिल रहा है।
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