शादी के बाद भी बेस्ट फ्रेंड्स के साथ इस तरह निभाएं दोस्ती, फेंडशिप में नहीं आएगी दरार
- जिन दोस्तों के साथ हम कभी साथ जीने-मरने की कसमें खाते हैं, अकसर वही बीच राह में छूट जाते हैं। महिलाओं के मामले में ज्यादातर ऐसा होता है। ऐसे में जानिए शादी के बाद कैसे निभाएं दोस्ती, बता रही हैं स्वाति शर्मा
कुछ दिन पहले मेरी मम्मी की खुशी का ठिकाना नहीं था। सोशल मीडिया पर उन्होंने अपनी बचपन की बेस्ट फ्रेंड को ढूंढ निकाला और मौका निकालकर उनसे मिलने भी चली गईं। पापा के बचपन के दोस्त हमेशा ही उनके साथ थे, इसलिए इस खुशी को समझ पाना उनके लिए थोड़ा कठिन था। लेकिन मैं मां की इस खुशी को महसूस कर पा रही थी क्योंकि मैं भी अपने कॉलेज की सहेलियों को मिस कर रही थी। हम सभी की कोई न कोई दोस्त होती है, जिससे बात करके दिल का सारा बोझ आसानी से हल्का हो जाया करता था। जिसके साथ स्कूल से लेकर र्कोंचग तक पूरा दिन बीता करता था। लोग हमें दोस्त नहीं, बहनें समझा करते थे। पर, समय की करवट दोनों को कोसों दूर कर देती है और धीरे-धीरे इस दूरी की आदत हो जाती है। हालांकि दोस्ती की खुशबू की ताजगी हमेशा बरकरार रहती है और बीती बातें याद आने पर अनायास ही चेहरे पर मुस्कान बिखर जाती है। इसी का नाम तो दोस्ती है। मम्मी की खुशी देखकर इस बात का भी अहसास हुआ कि जिम्मेदारियां अपनी जगह हैं और दोस्ती अपनी जगह। उम्र कुछ भी हो, दोस्त की जरूरत तो हम सभी को होती है।
शादी क्यों होती है दोस्ती पर हावी?
जब एक शादीशुदा जोड़ा अपने इस नए सफर की शुरुआत करता है, तो उसकी जीवनशैली में कई तरह के बदलाव आते हैं। इन बदलावों का असर जिंदगी के अन्य आयामों पर भी पड़ता है, जिसमें से एक दोस्तों के साथ संबंध भी है। वैसे तो आदर्श स्थिति में शादी के बाद भी जोड़ों को अपने शौक और दोस्ती आदि से समझौता करने की जरूरत नहीं पड़नी चाहिए। पर, वास्तविकता यह नहीं है। शादी के बाद जिंदगी में इतने स्तर पर बदलाव होते हैं कि खासकर महिलाओं की दोस्ती धीरे-धीरे पीछे कहीं छूट जाती है। विभिन्न अध्ययन भी इस बात की तसदीक करते हैं। एक अध्ययन में भी यह बात सामने आई है कि शादीशुदा लोगों की तुलना में सिंगल लोग अपनी दोस्ती को बरकरार रखने में ज्यादा सफल होते हैं। ऐसा क्यों होता है और शादी के बाद भी अपनी दोस्ती को बरकरार रखने की पुरजोर कोशिश कैसे करें, आइए जानें:
साथी को समझाएं दोस्त की अहमियत
अकसर जीवनसाथी के आने के बाद ही महिलाओं की दोस्ती कमजोर पड़ जाती है। शादी के बाद के नए जीवन की अपनी शर्तें होती हैं और उन्हें पूरा करते हुए महिलाएं अकसर बहुत कुछ पीछे छोड़ देती हैं। लेकिन अगर आप खुलकर अपने साथी से इस बारे में बात करें और अपने दोस्तों का महत्व अपने जीवन में बताएं तो संभव है कि वह आपकी बात समझेंगे।
परिवार से कराएं मुलाकात
अकसर परिवार की अनकही पाबंदियां भी दोस्ती के बीच आ जाती है। ऐसे में सबसे अच्छा तरीका यह है कि अपने दोस्त को घर का सदस्य जैसा बना लिया जाए, बिल्कुल वैसे ही जैसे कोई करीबी रिश्तेदार होता है। इस तरह जब आप दोस्त के जीवन के उतार-चढ़ाव अपने घरवालों को बताएंगी तो अपने आप ही लोग उनसे जुड़ने लगेंगे।
बातों को दिल से लगाना बंद करें
दोस्ती में अकसर कई खट्टे पल भी आते हैं, लेकिन अगर दोस्ती निभानी है तो इन बातों को पीछे छोड़ना ही होगा। अपने अच्छे दिनों को याद करके आप खुशियां बटोर सकती हैं। अगर कोई शिकवा है, तो उसे तसल्ली से कहें और बात को मौके पर ही खत्म भी कर दें।
समय का प्रबंधन सीखें
अगर आप अपनी रोज की जिम्मेदारियों के साथ ही अपने लिए कुछ करना चाहती हैं तो आपको समय का प्रबंधन करना सीखना होगा ताकि जब आप दोस्त के साथ वक्त बिताएं तो घर वालों का रुटीन उससे प्रभावित न हो।
दोस्तों के लिए समय निकालें
जिम्मेदारियों के बोझ तले दबी हुई हम महिलाएं अकसर सबसे पहले अपनी ही जरूरतों से समझौता करती हैं। एक निजी कंपनी में कार्यरत अमीषा द्विवेदी कहती हैं कि घर के काम और ऑफिस की थकान के बावजूद भी वह अपने दोस्तों से लगातार फोन पर संपर्क बनाए रखती हैं और साल में एक बार बाहर घूमने भी चली जाती हैं। इस दौरान वे पति और बच्चों की चिंता को पीछे छोड़ आती हैं। इसी तरह वह कोशिश करती हैं कि शर्ॉंपग में भी उन्हें अपने दोस्तों का साथ मिल जाए।
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