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टॉक्सिक रिलेशनशिप से पाना है छुटकारा तो इन बातों को जरूर याद रखें, तभी मिलेंगी खुशियां

परिवार,समाज और लोगों की प्रतिक्रियाओं की परवाह में महिलाएं ऐसे रिश्तों को भी ताउम्र ढोती रह जाती हैं, जो बदले में उन्हें दुख और अपमान के अलावा कुछ और नहीं देता। क्यों जरूरी है कि इस मामले में वे अब अपनी खुशी से समझौता करना बंद कर दें, बता रही हैं ममता

Aparajita हिन्दुस्तानSat, 14 Dec 2024 09:29 AM
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आप अपने रिश्ते को प्यार और सम्मान से सींचती हैं और चाहती हैं तो केवल इतना कि आपको भी बदले में प्यार और सम्मान मिले। पर, कुछ रिश्ते जहां ठंडी छांव देते हैं, तो कुछ कड़ी धूप में खड़ा रहने को भी मजबूर कर देते हैं। ऐसे में ऐसे नकारात्मक रिश्तों को ढोते रहना आपको घुन की तरह बर्बाद कर देता है। जरूरी है, प्यार से ऐसे रिश्तों से दूरी बना ली जाए ताकि इनका असर आपको भीतर से खोखला न कर दे।

स्वीकारें सच को

मनोविशेषज्ञ डॉ. समीर पारेख कहते हैं कि आप नकारात्मक रिश्ते से बंधी हैं और उससे खुद को आजाद करना चाहती हैं तो सबसे पहले आपको इसे पहचानना और स्वीकार करना होगा। कुछ सवाल आपकी इस उलझन को दूर करने में मदद करेंगे। जैसे आप क्या ऐसे व्यक्ति से जुड़ी हैं जो हर समय आपको केवल नीचा दिखाता है? उसके साथ बिताए समय के बाद आप तरोताजा और खुशनुमा महसूस करती हैं या भीतर से खोखला महसूस करती हैं? क्या उसके साथ बिताए पलों में आप या आपकी भावनाएं कहीं नहीं होतीं, केवल सामने वाले के विचार और उसकी सोच ही सबसे ऊपर होती है? इस रिश्ते को सहेजे रहने की कोशिश में आप अपना आत्मसम्मान और आत्मविश्वास खोता हुआ महसूस करती हैं? इन सवालों के जवाब अगर हां हैं, तो समझ जाइए कि आप नकारात्मक रिश्ते के बोझ को ढो रही हैं। ऐसे रिश्तों का नकारात्मक असर आपकी पूरी जिंदगी, आपके काम, आपकी भावनाओं और आपकी सेहत पर भी पड़ता है।

ना में छिपी है खुशी

आप नहीं चाहतीं कि कोई भी कड़ा कदम आपमें और आपसे जुड़े ऐसे रिश्ते में और टकराव पैदा कर दे। रिश्ते को सहेजे रखने की कोशिश में आप हमेशा, हर स्थिति में केवल हां ही ही कहती हैं। लेकिन आपकी यही ‘हां’ आपके लिए बंधन बन जाती है। नकारात्मक रिश्ते में सीमाएं तय करने का सबसे पहला कदम है, ‘ना’ कहना। ऐसा करने से आप सामने वाले को यह जता पाएंगी कि उनसे अलग आपका अपना स्वतंत्र वजूद भी है और आपके लिए आपका सम्मान भी बेहद महत्वपूर्ण है।

मन से भी हो दूरी

किसी भी बोझिल रिश्ते से दूरी बनाने का मतलब रिश्ते में टकराव को बरकरार रखना कतई नहीं है। उनके पीठ पीछे किसी से भी उनके बारे में किसी तरह के गलत विचार न रखें। ऐसा करने का अर्थ है कि आप नकारात्मक रिश्ते से भौतिक रूप से भले ही दूर हो गई हों, लेकिन मानसिक रूप से उसका असर अब भी आपको अशांत कर रहा है। यह आपके मन की शांति को भंग कर देगा। अगर उनके बारे में बात करने की स्थिति उत्पन्न हो जाए, तब भी बिना कुछ नकारात्मक कहे, आप कह सकती हैं कि आप उनसे कुछ दिनों से संपर्क में नहीं हैं और चाहती हैं कि वे जहां भी हों, खुश हों।

दें एक मौका

नकारात्मक रिश्ते की घुटन से आप खुद को अलग तो करना चाहती हैं, लेकिन उससे दूरी बनाने से पहले रिश्ते को एक मौका दें। खुलकर बात करें और स्थितियों को सुलझाने की कोशिश करें। इस मामले में आप विशेषज्ञ की मदद भी ले सकती हैं। अगर लगता है कि बातचीत भी कोई सकारात्मक परिणाम नहीं दे पा रही तो, बिना किसी झगड़े या कटु शब्दों के उस रिश्ते से बाहर निकलने का निर्णय लें।

सबसे पहले हैं आप

आपको दूसरों से प्यार और सम्मान मिले, इसके लिए जरूरी है कि सबसे पहले आप खुद को प्यार और सम्मान दें। खुद अपनी ही नजरों में गिरा देने वाले रिश्ते से दूर हो जाने से बेहतर आपके लिए सम्मानजनक क्या हो सकता है? इसलिए अपने ऐसे किसी कदम पर पूरा भरोसा रखें और ऐसे रिश्ते से दूरी बनाने पर किसी भी प्रकार के अपराधबोध या नकारात्मक भावना से खुद को दूर रखें। कोई भी व्यक्ति आपका लाभ तभी उठा पाता है, जब आप खुद से ज्यादा उन्हें महत्व देते हैं। ऐसे में खुद को उनसे अलग करना आपके लिए थोड़ा मुश्किल हो सकता है। हो सकता है कि शुरुआती दौर में आपको लगे कि आप स्वार्थी और कटु हो रही हैं, लेकिन अपने भावनात्मक, शारीरिक और संपूर्ण व्यक्तित्व को फलने-फूलने देने के लिए ऐसा करना जरूरी है।

जरूरी है सीमा रेखा

बाउंडरीज : वेन टू से येस, हाउ टू से नो टू टेक कंट्रोल ऑफ योर लाइफ के लेखक डॉ़ हेनरी क्लाउड और डॉ़ जॉन टाउनसेंड के मुताबिक, ‘सीमाएं हमारे जीवन के हर पहलू को प्रभावित करती हैं। भावनात्मक सीमाएं हमें अपनी भावनाओं से डील करने और दूसरों के द्वारा हानिकारक और अपने लाभ के लिए इस्तेमाल की जाने वाली भावनाओं से दूरी कायम करने में हमारी मदद करती हैं। सीमाएं ही तय करती हैं कि आपको नई शुरुआत के लिए टॉक्सिक रिश्ते को कहां पर खत्म कर देना है ताकि आपका खुद पर पूरा नियंत्रण हो।

नई जिंदगी के उपहार

एक बार जब कोई महिला अपनी सारी ताकत जुटाकर टॉक्सिक रिश्ते से बाहर निकलने का निर्णय ले लेती है, तो उसकी जिंदगी में ऐसे बदलाव आते हैं, जिसकी कल्पना उन्होंने भी नहीं की थी। रिलेशनशिप एक्सपर्ट डॉ. गीतांजलि शर्मा कहती हैं, ‘कटु रिश्ते से बाहर निकलने का निर्णय उन्हें अपनी उस ताकत से रूबरू करवाता है, जिसके बारे में वो अब तक अनजान थी। जिंदगी का एक लंबा अरसा किसी पर पूरी तरह से निर्भर होकर बिताने के बाद दोबारा अपनी जिंदगी की कमान अपने हाथों में लेने से आत्मविश्वास बढ़ता है। अपना महत्व दोबारा पता चलता है। दूसरों की आंखों में या रिश्ते के आधार पर खुद की अहमियत को मापने की आदत खत्म हो जाती है। लोगों की राय असर डालना बंद कर देती है क्योंकि टॉक्सिक रिश्ते से निकलने का निर्णय लेने के बाद यह विश्वास दिन-ब-दिन बढ़ता चला जाता है कि खुद के दम पर किसी भी चुनौती का सामना किया जा सकता है।’

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