शिव-पार्वती के रिश्ते से मैरिड कपल्स को लेनी चाहिए ये 5 सीख, बना रहेगा प्यार और साथ
- Mahashivratri 2025 Relationship Tips: अगर आप अपने पार्टनर के साथ भगवान शिव और माता पार्वती जैसा प्यारा और अटूट रिश्ता बनाए रखना चाहते हैं तो ये 5 रिलेशनशिप टिप्स आपको बहुत काम आ सकती हैं। इस महाशिवरात्रि अपने खुशहाल दाम्पत्य जीवन के लिए भोलेनाथ और माता पार्वती से लें ये 5 सीख।
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हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का व्रत रखा जाता है। सनातन धर्म में महाशिवरात्रि के व्रत का खास महत्व माना गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भोलबाबा और माता पार्वती का विवाह हुआ था। बता दें इस दिन भगवान शिव के भक्त अपने वैवाहिक जीवन में खुशहाली और प्यार बनाए रखने के लिए गौरी-शंकर की पूजा और उपवास रखते हैं। भगवान भोलेनाथ को गृहस्थी जीवन के देवता माना जाता है। मान्यता है कि महाशिवरात्रि का व्रत रखने से कपल्स को सुखी दाम्पत्य जीवन का आशीर्वाद मिलता है। बता दें, भगवान शिव और माता पार्वती का वैवाहिक जीवन सच्चे प्रेम, सम्मान और समर्पण का प्रतीक है। इतना ही नहीं, हिंदू धर्म में भगवान शिव और माता पार्वती को पति-पत्नी के रूप में आदर्श माना जाता है। अगर आप भी अपने वैवाहिक जीवन में मधुरता बनाए रखना चाहते हैं तो भगवान शिव और माता पार्वती से इन 5 बातों की सीख ले सकते हैं।
प्रेम को अहमियत
माता पार्वती एक सुंदर राजकुमारी थी। जबकि भोले भंडारी गले में सर्प की माला पहने और शरीर पर भस्म धारण करने वाले एक वैरागी थे। बावजूद इसके माता पार्वती ने भगवान शंकर के लिए अपने प्रेम को ऊपर रखते हुए उन्हें ही अपना जीवनसाथी चुना। उन्होंने अपने सच्चे प्रेम के आगे पैसा या रंग रूप को जगह नहीं दी।
धैर्य का साथ
गृहस्थ जीवन को खुशहाल बनाए रखने के लिए कपल्स के भीतर धैर्य का गुण भी जरूर मौजूद होना चाहिए। माता पार्वती ने शिव जी को अपने पति के रूप में पाने के लिए धैर्य का हाथ थामे कठोर तपस्या की थी। आम वैवाहिक जीवन में भी किसी चुनौती से पार पाने के लिए धैर्य ही काम आता है। आप धैर्य की मदद से बड़ी से बड़ी चुनौती को पार करने के साथ लक्ष्य को हासिल करने में सफल हो सकते हैं।
समानता का अधिकार
भगवान शिव को अर्धनारीश्वर कहा जाता है। अर्धनारीश्वर का अर्थ है, आधा पुरुष और आधी नारी। भगवान शिव के इस स्वरूप को शादीशुदा लोगों का प्रतीक माना जाता है, जिसमें पति-पत्नी का शरीर भले ही अलग हो लेकिन दोनों का मन एक होता है। अगर आप अपने लिए सुखद वैवाहिक जीवन चाहते हैं तो भगवान शिव और मां पार्वती के इस गुण को अपने जीवन में उतार लें। जिसमें आप भी अपने पार्टनर को बराबरी का दर्जा दे सकें। भगवान का यह रूप बताता है कि पति-पत्नी के रिश्ते में दोनों की भागीदारी समान होनी चाहिए। तभी उनके वैवाहिक जीवन में सही संतुलन बना रहता है।
रिश्ते में हो ईमानदारी
रिश्ता चाहे कोई भी हो, ईमानदारी के अभाव में ज्यादा लंबा नहीं टिक पाता है। हर रिश्ते को मजबूत बनाए रखने के लिए उसमें ईमानदारी और त्याग की भावना का होना जरूरी होता है। भगवान शिव और माता पार्वती भी एक-दूसरे के प्रति बेहद ईमानदार थे। पुराणों के अनुसार माता सती के पिता द्वारा भगवान शिव का अपमान होते देख उन्होंने अपने प्राण त्याग दिए जबकि भगवान शिव ने सती की मृत्यु से रौद्र रूप धारण कर लिया। दोनों का ऐसा करना एक-दूसरे के प्रति इनके प्यार, ईमानदारी और त्याग को दर्शाता है।
अच्छा मुखिया
अपने परिवार को अच्छी तरह संभालने का गुण घर के मुखिया में जरूर होना चाहिए। भगवान शिव अपने परिवार के लिए एक अच्छे मुखिया हैं। उनके नेतृत्व में गृह क्लेश की संभावना नहीं हो सकती। उदाहरण के लिए , भगवान शिव के गले में सापों की माला है, जो उनके पुत्र गणेश के वाहन चूहे का शत्रु है लेकिन दोनों में कोई बैर नहीं देखा गया। ठीक उसी तरह मां गौरी का वाहन शेर है और भगवान शिव के वाहन बैल एक दूसरे के शत्रु हैं लेकिन दोनों मिलकर रहते हैं। ऐसे में भोलेबाबा के परिवार से आप विषम परिस्थितियों में परिवार को संभालकर रखने का गुण सीख सकते हैं।
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