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रिश्ते में बनाए रखना है प्यार और अपनापन तो सीखें पार्टनर से सॉरी कहने का सही तरीका

आप अपने रिश्ते में बार-बार प्यार जताती हैं, पर गलती होने पर उतनी ही आसानी से क्या माफी भी मांग लेती हैं? बहस या लड़ाई के बाद खुद की सोच से समझौता किए बिना साथी से माफी मांगने का क्या है सही तरीका, बता रही हैं शाश्वती।

Manju Mamgain हिन्दुस्तानFri, 9 May 2025 02:01 PM
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रिश्ते में बनाए रखना है प्यार और अपनापन तो सीखें पार्टनर से सॉरी कहने का सही तरीका

किसी भी सेलिब्रिटी का उनके आपसी संबंधों पर केंद्रित इंटरव्यू देख लीजिए, उनसे अकसर एक सवाल जरूर पूछा जाता है। सवाल है कि बहस या लड़ाई होने पर पहले माफी कौन मांगता है? माफी मांगने को अधिकांश लोग अपने अहम से जोड़ लेते हैं और यही वजह है कि गलत होने के बावजूद वे माफी मांगने से कतराते हैं। वहीं कुछ लोग बिना किसी लाग-लपेट के आसानी से माफी मांग लेते हैं। माफी मांगने से जुड़ी इस आदत की नींव बचपन से ही हमारी जिंदगी में पड़ जाती है, जब कुछ गलती होने पर अभिभावक जबरदस्ती सामने वाले से माफी मांगने के लिए कहते हैं। उम्र में उन पड़ाव में भी कुछ बच्चे झट से माफी मांग लेते हैं, वहीं कुछ अभिभावक से डांट या मार खा लेते हैं, पर माफी नहीं मांगते हैं।

दोस्त, जीवनसाथी या फिर परिवार के किसी सदस्य के साथ बहस होना बेहद आम बात है। बहस सबके सामने हुई हो फिर बंद दरवाजे के भीतर, सही तरीके से माफी मांगने की कला आने से जिंदगी में प्रभावी तरीके से आगे बढ़ना आसान हो जाता है। मैनहटन मेंटल हेल्थ नाम की संस्था में मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट स्टीफन एल. बुचवाल्ड के मुताबिक एक मनुष्य के रूप में हम सब कुछ लोगों के साथ गहरा कनेक्शन स्थापित करना चाहते हैं, पर अकसर हमारा अहम इस संबंध को बनाने के बीच आड़े आ जाता है। किसी से माफी मांगने का यह मतलब नहीं है कि सामने वाला महान है और हम तुच्छ। सही तरीके से माफी मांगने से न सिर्फ रिश्ते के बीच पनपी खाई पटती है बल्कि वह आपसी घाव भी भरता है, जो दोनों पक्षों को इतने वक्त से नासूर की तरह चुभ रहा था। माफी मांगना दरअसल सामने वाले के साथ-साथ खुद की भावनाओं का भी सम्मान करना है। प्रभावी तरीके से माफी मांगने के निम्न तरीके हैं:

सोचने का लीजिए वक्त

साथी या दोस्त से किसी बात को लेकर आपकी तीखी बहस हुई। गुस्से में आपने सामने वाले को खूब उल्टा-सीधा सुना दिया। पर, क्या आप बहस खत्म होते ही सामने वाले से तुरंत माफी भी मांग लेती हैं? जवाब अगर हां, तो अपनी इस आदत को बदलिए। थोड़ा ठहिरए। अपनी भावनाओं को समझिए। उसके बाद सामने वाले से माफी मांगिए। लड़ाई या बहस होते ही तुरंत माफी मांगने से सामने वाले को यह लग सकता है कि आप मन से माफी नहीं मांग रही हैं बल्कि इसलिए माफी मांग रही हैं कि यह बला टल जाए और माहौल सामान्य हो जाए।

तुम की जगह मैं का इस्तेमाल

माफी मांगते वक्त सामने वाले को नीचा दिखाने की कोशिश करने की गलती कभी न करें। सामने वाले में नुक्स निकालना आपका लक्ष्य नहीं है। तो ऐसे में माफी मांगते वक्त 'तुम कुछ भी उल्टा-पुल्टा बोलते जा रहे थे' की जगह यह कहें कि हमारी बातचीत के दौरान मैं अपनी भावनाओं को सही तरीके से संभाल नहीं पाई। इससे सारा ध्यान एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने की जगह भावनाओं पर रहेगा और सामने वाले को यह महसूस होगा कि आप वाकई दिल से माफी मांग रही हैं।

ठीक नहीं जरूरत से ज्यादा माफी

कई दफा रिश्तों में जो व्यक्ति थोड़ा कमजोर होता है, वह अपनी गलती नहीं होने की स्थिति में भी लगातार और बार-बार माफी मांगता है। माफी मांगना एक भावना है और यह भी संतुलन की मांग करता है। माफी मांगने की प्रक्रिया सार्थक होनी चाहिए, अत्यधिक नहीं। बहुत ज्यादा माफी मांगने से सामने वाले को यह लग सकता है कि आप आसानी से अपने घुटने टेक देती हैं।

पेश कीजिए समाधान

लड़ाई हुई, आप दोनों में से किसी से ने माफी मांगी और जिंदगी की गाड़ी दोबारा चल पड़ी। पर, क्या कुछ दिनों बाद आप दोनों उसी मुद्दे पर लड़ पड़े? जवाब अगर हां है, तो बेहतर होगा कि सही मौका देखकर आप सामने वाले के समक्ष उस समस्या का समाधान पेश करें ताकि दोबारा उस मुद्दे पर बहस न हो। मसलन आप कह सकती हैं कि 'अगली दफा ऐसी स्थिति आने पर हम कुछ देर के लिए एक-दूसरे से बातचीत बंद कर देंगे क्योंकि इस तरह से एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने का सिलसिला कभी खत्म नहीं होगा।' आपका यह कदम यह दर्शाएगा कि आप अपनी ओर से सकारात्मक कदम उठाने के लिए तत्पर हैं।

भावनाओं की कीजिए कद्र

अगर आपको वाकई अपने किए पर पछतावा हो रहा है, तो सामने वाले को सिर्फ 'मुझे माफ कर दो' कहने की जगह यह कहें कि 'मुझे इस बात का अहसास है कि मेरी बातों से तुम्हें दुख पहुंचा है और भविष्य में ऐसा दोबारा नहीं करने की पूरी कोशिश करूंगी।' इस तरह से माफी मांगने से सामने वाले तक यह संदेश जाएगा कि आप वाकई दिल से माफी मांग रही हैं और साथ ही ऐसा करने से उस मुद्दे को लेकर आपका अपना दृष्टिकोण भी खारिज नहीं होगा।

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