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ससुरालवालों के साथ कैसे अच्छे रहेंगे रिश्ते, जानें एक्सपर्ट्स के ये टिप्स

  • सास, बहू और ससुराल की बातें जिंदगी में तनाव का कारण न बनें, इसलिए इस नाजुक रिश्ते में पहले से ही एक सीमा तय करना जरूरी है। क्या हैं ये सीमाएं और कैसे इन्हें करें तय, बता रही हैं दिव्यानी त्रिपाठी

Kajal Sharma लाइव हिन्दुस्तानFri, 6 Sep 2024 08:23 AM
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जब बरतन हैं, तो खटकेंगे ही। यह बात ससुरालवालों और बहुओं के रिश्तों के लिए कही जाएं तो और भी सटीक हो जाती हैं। पर, यह छोटे-मोटे टकराव विस्फोटक न बन जाएं, इस दिशा में पहले से ही काम किए जाने की जरूरत है। आपको समझना होगा कि शादी होने वाली हो या फिर नया-नया रिश्ता बना हो, जब आप नए लोगों के साथ सामंजस्य बिठाने की कोशिश कर रही हों तो समस्या हो सकती है। दोनों पक्षों के बीच सोच, संस्कृति, स्वभाव सरीखे तमाम पहलू हैं, जो आ सकते हैं। पर, इस टकराव से बचा जा सकता है। जरूरत है, तो बीच का रास्ता निकालने की। इस बाबत डॉ. स्मिता कहती हैं कि हर बहू या होने वाली बहू की परिस्थितियां अलग हो सकती हैं, मुमकिन है समस्या भी अलग हो, पर अकसर नतीजा लगभग एक-सा ही होता है। यानी मतभेद,मनभेद, तकरार वगैरह। और ये सब आपके रिश्ते में दरार लाने के लिए काफी है। खट्टा-मीठा रिश्ता कसैला न होने पाए इसके लिए कुछ बातों को शुरुआत में ही तय कर लीजिए ताकि आगे न तो आपको परेशानी हो न ही आपके ससुराल वालों को।

बात करें साफ

यों तो हमेशा ही अपनी बात स्पष्ट रूप से रखनी चाहिए। पर, यहां बात बहू की हो रही हो और वह भी उस बहू की जो पूरे परिवार के साथ रह रही है या रहने वाली है। उसे खुलकर बात करना सीख लेना चाहिए। जैसे वह नौकरी जारी रखेगी या उसे घर काम के लिए एक सहयोगी की आवश्यकता होगी वगैरह। डॉ. स्मिता कहती हैं कि संवाद से किसी भी समस्या का हल निकाला जा सकता है। तो हमेशा अपनी समस्या और उससे जुड़े तमाम पहलुओं पर खुल कर बात कीजिए। पर, हां इस बात का ध्यान रखिए कि उस वक्त सभी लोग आराम से आपकी बात सुनने को तैयार हों। भूलकर भी अपनी बात गुस्से में या गुस्से के बीच मत रखिए।

नियम रखें सबके लिए समान

अहा हम लड़के वाले, अहा हम लड़की वाले... ऐसी बातें, खट्टी-मीठी नोंक-झोंक सिर्फ मजाक में अच्छी लगती हैं। अगर यह बात किसी शादी के बीच में आ जाए तो दंगल होना तय है। शादी दो लोगों और दो परिवारों के बीच होती है। लिहाजा, आपको दो लोगों और दोनों परिवारों को समान अधिकार देने की सीमा भी बनानी होगी। आपको अपने पार्टनर से यह बात साफ करनी होगी कि दोनों परिवार के रिश्ते बराबर होने जरूरी हैं। लिहाजा, हम उन्हें बराबर की तरजीह देंगे।

सलाह देने से बचें

अगर आप नए रिश्ते में दाखिल होने जा रही हैं या अभी-अभी उसकी शुरुआत हुई है तो जरा संभल कर। डॉ. स्मिता कहती हैं रिश्ते की शुरुआत में एक अलग तरह का उत्साह होता है। ऐसे में कई बार ससुराल पक्ष की ओर से आपको घर-परिवार के मुद्दों में शामिल करने की कोशिश की जाती है। घर के मामलों में आपसे सलाह मांगी जाती है। ऐसे में अपनी बेबाक सलाह देने के पहले थोड़ा रुकना ठीक होता है। आप इसे परिवार के बारे में जानने-समझने के मौके के तौर पर देख सकती हैं। यहां यह भी हो सकता है कि ये तमाम चीजें आपके व्यक्तित्व को तौलने के लिए की जा रही हों। बेहतर होगा कि आप सूझबूझ के साथ कम शब्दों में, सधी हुई प्रतिक्रिया दें।

करें पार्टनर को शामिल

ससुराल वालों की आपको लेकर या उनसे आपकी कैसी भी शिकायत हो, उसमें अपने पार्टनर को जरूर शामिल करें। उनसे खुलकर बात करें। बकौल, डॉ. स्मिता, पार्टनर से अपनी समस्या पर चर्चा करना इसलिए भी जरूरी हो जाता है क्योंकि वह अपने परिवार को आपसे बेहतर जानते हैं। वह उन्हें समझने में आपकी मदद कर सकते हैं। इतना ही नहीं, उनके चर्चा में शामिल होने से ससुराल वाले भी अपने स्वभाव पर नियंत्रण रखेंगे। साथी के सहयोग व साथ से आप भविष्य के बवंडरों से भी महफूज रह पाएंगी।

माफी करेगी आसान

डॉ. स्मिता की मानें तो क्षमा वह भाव जो न सिर्फ आपके रिश्ते को अच्छा बना सकता है बल्कि आपको अच्छी मानसिक सेहत भी देता है। मुमकिन है आपके ससुराल वालों ने आपका दिल दुखाया हो, आप नाराज हों। पर, फिर भी मर्यादा का ख्याल रखें और उन्हें माफ कर दें। माफ कर देने का अर्थ यहां यह बिल्कुल भी नहीं है कि आप घुटकर रह जाएं। अपनी पीड़ा, दुख, गुस्सा जाहिर करने का आपको पूरा अधिकार है। पर, सही मौके और सही तरीके से ऐसा करें ताकि न तो आपके रिश्तों पर आंच आए और न ही आपके आत्मसम्मान पर।

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