टेस्ट किट आने से पहले कैसे चलता था प्रेग्नेंसी का पता? बेहद रोचक है हर तरीका
- Ancient Ways To Test Pregnancy: क्या आप जानते हैं पहले के समय में, जब मेडिकल साइंस ने इतनी तरक्की नहीं की थी और महिलाओं के पास यह विकल्प मौजूद नहीं था, महिलाएं अपनी प्रेग्नेंसी का पता कैसे लगाती थीं? अगर आपके मन में भी यह सवाल कई बार आया है तो आपको बता दें इस सवाल का जवाब।

आज पीरियड्स मिस होने पर महिलाएं तुरंत मेडिकल स्टोर से प्रेग्नेंसी टेस्ट किट मंगवाकर अपना संदेह दूर कर लेती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं पहले के समय में, जब मेडिकल साइंस ने इतनी तरक्की नहीं की थी और महिलाओं के पास यह विकल्प मौजूद नहीं था, महिलाएं अपनी प्रेग्नेंसी का पता कैसे लगाती थीं? अगर आपके मन में भी यह सवाल कई बार आया है तो आपको बता दें इस सवाल का जवाब। दरअसल, पहले के समय में जब मेडिकल साइंस इतनी विकसित नहीं थी तो गर्भावस्था का अनुमान कुछ पारंपरिक और नेचुरल तरीके अपनाकर लगाया जाता था। जिसमें महिला के कुछ शारीरिक लक्षण और कुछ घरेलू उपाय मौजूद होते थे।
गेहूं और जौ
प्राचीन मिस्र और रोम की महिलाएं प्रेग्नेंसी का पता लगाने के लिए गेहूं और जौ का इस्तेमाल किया करती थीं। इन दोनों चीजों का यूज वो एक तरह का यूरिन टेस्ट करने के लिए करती थीं। जिसमें गेहूं और जौ के बीजों को गर्भवती महिला के यूरिन में रखा जाता था। यदि बीज अंकुरित हो जाते थे, तो इसे प्रेग्नेंसी का संकेत माना जाता था।
पल्स देखकर
पुराने समय में पल्स परीक्षण करके भी गर्भावस्था का पता लगा लिया जाता था। इस टेस्ट को करने वाला व्यक्ति महिला की कलाई को पकड़कर उसकी पल्स महसूस करके गर्भावस्था के बारे में बताता था।
शारीरिक बदलाव
पहले के समय में महिलाएं अपने शरीर में होने वाले कुछ खास बदलावों को महसूस करके भी अपनी गर्भावस्था का अनुमान लगा लिया करती थीं। इन बदलावों में पीरियड्स मिस होना, उल्टी, थकान और स्तनों में बदलाव और कमजोरी जैसे लक्षण शामिल होते हैं।
यूरिन टेस्ट
कई जगह महिला के यूरिन को किसी खास पदार्थ या जड़ी-बूटी के साथ मिलाकर टेस्ट किया जाता था। ऐसा करने पर अगर यूरिन का रंग बदल जाता था या उसमें कोई प्रतिक्रिया होती थी, तो इसे प्रेग्नेंसी का संकेत मान लिया जाता था।
कब हुआ प्रेग्नेंसी टेस्ट किट का आविष्कार?
घरेलू गर्भावस्था परीक्षण किट का आविष्कार सबसे पहले 1969 में ऑर्गनन इंटरनेशनल ने किया था। जिसके बाद साल 1971 में यह कनाडा में और 1977 में अमेरिका में उपलब्ध हुई। यह किट महिला के यूरीन में HCG हार्मोन की उपस्थिति का पता लगाती हैं, जो गर्भावस्था के दौरान ही पैदा होता है। इन किटों के आने से प्रेग्नेंसी का पता लगाने का तरीका सटीक और आसान बन गया।
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