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Hindi Diwas Special: हिंदी नॉवेल के शौकीनों को एक बार जरूर पढ़ लेने चाहिए ये 5 उपन्यास, कई पर तो बन चुकी हैं फिल्में

  • हिंदी दिवस के इस खास मौके पर हम आपको हिंदी के 5 फेमस उपन्यासों से रूबरू कराने वाले हैं। ये वो उपन्यास हैं जिन्हें आज तक पाठकों का भरपूर प्यार मिल रहा है। अगर आप भी उपन्यास पढ़ने का शौक रखते हैं, तब तो जरूर इन पांचों को पढ़ डालिए।

Anmol Chauhan लाइव हिन्दुस्तानFri, 13 Sep 2024 01:24 PM
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हर साल 14 सितंबर के दिन पूरे भारत में हिंदी दिवस धूमधाम से मनाया जाता है। हिंदी भाषा को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने के लिए, हिंदी दिवस मनाने की शुरुआत की गई। देश की आजादी के 2 साल बाद 14 सितंबर 1949 के दिन संविधान सभा में एक मत से हिंदी भाषा को भारत की राजभाषा के रूप में चुना गया। इसके बाद सन 1953 से हिंदी का प्रचार-प्रसार बढ़ाने के लिए हिंदी दिवस मनाने की शुरुआत हुई। हिंदी दिवस के इस खास मौके पर हम आपके सामने 5 विश्व प्रसिद्ध हिंदी उपन्यास की एक लिस्ट लेकर आए हैं, जिन्हें आपको जरूर पढ़ना चाहिए। ये उपन्यास हिंदी भाषा की उत्कृष्ट रचनाओं में से एक हैं। अगर आपको भी भारत के परिवेश को अच्छे से समझना है और किताबें पढ़ने का शौक रखते हैं, तो इन उपन्यासों को तो पढ़ ही डालिए।

निर्मला (मुंशी प्रेमचन्द)

निर्मला उपन्यास हिंदी जगत में कलम के सिपाही के नाम से मशहूर लेखक मुंशी प्रेमचंद के द्वारा लिखी गई है। 1927 में लिखे गए इस उपन्यास में बेमेल विवाह के दुष्प्रभाव और दहेज प्रथा के कुप्रभावों का सजीव वर्णन किया गया है। इस उपन्यास की कहानी मध्यम वर्गीय परिवार की कन्या निर्मला के जीवन से जुड़ी है, जिसे मजबूरी में अपने पिता की उम्र के विधुर से शादी करनी पड़ती है। उपन्यास के अंत में निर्मला की मृत्यु, समाज में फैली कुप्रथाओं को चैलेंज करती है। ये उपन्यास आपको उस समय भारत में रही महिलाओं की स्थिति का काफी मार्मिक चित्रण देगा।

गुनाहों के देवता (धर्मवीर भारती)

हिंदी साहित्य जगत के प्रसिद्ध लेखक धर्मवीर भारती ने सन 1949 में 'गुनाहों के देवता' उपन्यास की रचना की थी। यह उपन्यास प्रेम कथा पर आधारित है, जिसकी कहानी ब्रिटिश काल के दौरान इलाहाबाद के इर्द गिर्द घूमती है। इस कहानी के मुख्य पात्र सुधा,चन्दर,विनती और पम्मी हैं। ये सब एक विश्वविद्यालय के छात्र हैं और इसी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर सुधा के पिता है। चंदर प्रोफेसर के प्रिय छात्रों में से एक है। वहीं दूसरी तरफ सुधा, चंदर को अपना दिल दे बैठती है। लेकिन यह प्रेम सामान्य नहीं है, क्योंकि सुधा चंदर को देवता के समान पूजती है। दोनों ही अपने दिल की बात एक दूसरे से नहीं कर पाते। इसी बीच विनती को चंदर के प्रति और चंदर को पम्मी के प्रति आकर्षण हो जाता है। प्रेम के प्रति चंदर के मन में उठ रहे द्वंद्व को उपन्यास में सजीव वर्णित किया गया है। इसी वजह से यह उपन्यास हिंदी जगत के सर्वश्रेष्ठ उपन्यासों में से एक माना जाता है।

राग दरबारी (श्री लाल शुक्ल)

हिंदी साहित्यकार श्री लाल शुक्ल द्वारा रचित उपन्यास राग दरबारी एक प्रसिद्ध व्यंग्य रचना है। इस उपन्यास के लिए श्रीलाल शुक्ल को सन् 1969 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया था। इस उपन्यास में गांव की कथा के माध्यम से, आधुनिक भारतीय जीवन की मूल्य हीनता को सरलता के साथ वर्णित किया गया है। सन् 1986 में इस उपन्यास की कहानी को दूरदर्शन पर धारावाहिक के रूप में प्रसारित भी किया जा चुका है जिसे दर्शकों का भरपूर प्यार मिला है। आज के सामाजिक जीवन की परिस्थितियों पर व्यंग्य करते हुए इस उपन्यास को बहुत ही व्याख्या के साथ लिखा गया है फिर भी इसकी कहानी कहीं पर भी पाठकों को बोर नहीं होने देती है।

तमस (भीष्म साहनी)

इस उपन्यास की रचना वर्ष 1973 में भीष्म साहनी द्वारा की गई थी। ऐतिहासिक व वास्तविक घटनाओं में रुचि रखने वाले पाठकों को यह उपन्यास जरूर पसंद आएगा। इस उपन्यास की कहानी भारत पाकिस्तान के बंटवारे को चित्रित करते हुए लिखी गई है। उपन्यास को पढ़ने वाले पाठक, इस उपन्यास की कहानी के किसी किरदार के रूप में खुद को जोड़ने लगेंगे। उपन्यास के संवाद और नाटक का तत्व बहुत ही इंप्रेसिव है। इस उपन्यास में हिंदी भाषा के अलावा कहीं-कहीं पर उर्दू, अंग्रेजी और पंजाबी भाषाओं का भी इस्तेमाल किया गया है।

गाइड (आर.के नारायण)

आर.के नारायण द्वारा लिखा गया उपन्यास 'गाइड' को सिर्फ भारत से ही नहीं बल्कि दुनिया के कई अन्य देशों से भी प्रशंसा मिली है। सन् 1960 में इस सर्वश्रेष्ठ उपन्यास के लिए आर.के. नारायण को साहित्य अकादमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था। आर.के नारायण की अधिकतर रचनाओं की तरह गाइड उपन्यास भी काल्पनिक स्थान मालगुड़ी पर आधारित है। उपन्यास की कहानी राजू नामक एक टूर गाइड के आध्यात्मिक गुरु बनने तक के सफर को बयां करती है। उपन्यास की कहानी सस्पेंस और उधेड़बुन से भरी हुई है। बॉलीवुड में सन 1965 में, इस उपन्यास पर आधारित एक फिल्म भी बन चुकी है जिसमें देवानंद ने मुख्य भूमिका निभाई थी। फिल्म का निर्देशन विजय आनंद ने किया है।

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