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खुद का ध्यान ना रखना महिलाओं के लिए हो सकता है खतरनाक, एक्सपर्ट से जानें कैसे करें अपनी केयर

खुद के लिए वक्त निकालना हम महिलाओं को किसी गलत काम जैसा लगता है। पर, सेल्फ केयर की यह कमी हमारे शारीरिक के साथ-साथ मानसिक सेहत के लिए भी ठीक नहीं। क्यों जरूरी है खुद की देखभाल और कैसे आसान कदमों से इस लक्ष्य को पाएं, बता रही हैं शाश्वती

Anmol Chauhan हिन्दुस्तानFri, 10 Jan 2025 02:23 PM
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खुद का ध्यान ना रखना महिलाओं के लिए हो सकता है खतरनाक, एक्सपर्ट से जानें कैसे करें अपनी केयर

कोई अगर आपसे यह सवाल करे कि आप हर दिन खुद पर कितना वक्त खर्च करती हैं, तो आपका क्या जवाब होगा? जहां तक मेरा अनुभव है, अधिकांश महिलाएं झट से कहेंगी कि जिम्मेदारियों से वक्त मिले, तब तो वो खुद के लिए कुछ कर पाएं। हमारे-आपके अनुभव ही नहीं बल्कि हाल में हुए एक अध्ययन में भी यह बात सामने आई है कि महिलाएं पुरुषों की तुलना में खुद पर बहुत कम वक्त खर्च करती हैं। इंडिया स्पेंड नाम की एक संस्था के द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार शादीशुदा भारतीय महिलाएं अपने समकक्ष पुरुषों की तुलना में खुद को हर दिन 85 मिनट कम वक्त दे पाती हैं। वहीं भारतीय महिलाएं हर सप्ताह 44 घंटे से ज्यादा का वक्त ऐसे कामों में बिताती हैं, जिनके लिए उन्हें कोई मेहनताना नहीं मिलता। वहीं पुरुष हर सप्ताह ऐसे कामों पर मात्र पांच घंटे खर्च करते हैं।

इस अध्ययन के आंकड़े इस बात को दर्शाते हैं कि भारतीय महिलाओं के पास न खुद के लिए वक्त होता है और न ही वो ऐसा करने के बारे में सोच पाती हैं। जिम्मेदारियों के बोझ के बीच से जब कुछ महिलाएं थोड़ा-सा वक्त खुद के लिए चुरा लेती हैं, तो उन्हें ऐसा लगता है मानो कि वो कुछ पाप कर रही हैं या फिर स्वार्थी बन रही हैं।अधिकांश लोग सेल्फ केयर यानी खुद की देखभाल को अकसर किसी शानदार छुट्टी पर जाने या फिर स्पा जाकर कोई आकर्षक-सा मसाज लेने से जोड़ते हैं। अमूमन, सेल्फ केयर को पैसे खर्च करने से जोड़कर देखा जाता है। पर, सेल्फ केयर का संबंध पैसों से नहीं बल्कि आपकी मानसिक व शारीरिक सेहत से है। सेल्फ केयर का मतलब अपनी जरूरतों को समझना और उसे पूरा करना है। पर, समस्या यह है कि अधिकांश महिलाएं इस बात को समझ ही नहीं पाती हैं कि उनकी शारीरिक व मानसिक सेहत के लिए कौन-सी बातें जरूरी हैं।

हमारे समाज में महिलाओं को हमेशा से अपनी जरूरतों की तुलना में दूसरों की जरूरतों को प्राथमिकता देना सिखाया गया है। ऐसे में वो जब भी खुद की ओर थोड़ा ध्यान देने लगती हैं, तो उन्हें ऐसा महसूस होने लगता है कि वे स्वार्थी हो रही हैं। सेल्फ केयर का जो शाब्दिक अर्थ है, वहीं उसका असली अर्थ भी है यानी खुद की देखभाल करना। अगर आप लंबे समय तक खुद की देखभाल करने से बचेंगी तो आपके शरीर और मन पर उसका नकारात्मक असर नजर आने लगेगा।

खुद की अनदेखी का असर

खुद को काम के बोझ तले दबा देने का असर न सिर्फ शरीर बल्कि मन की सेहत पर भी पड़ता है। काम का लगातार दबाव आपको तनाव का शिकार बनाएगा और यह तनाव बनेगा कई सारी बीमारियों का जड़। तनाव से शरीर की रोग प्रतिरोधी क्षमता कमजोर होती है, जिससे आप आप सर्दी-जुकाम, अवसाद, दिल की बीमारियां, उच्च रक्तचाप, पेट की बीमारियां, मेटाबॉलिक सिंड्रोम, नींद से जुड़ी समस्याएं और डायबिटीज आदि की आसान शिकार बन जाएंगी।

छोटे-छोटे कदमों से

खुद की देखभाल से आपको रीचार्ज होने का मौका मिलेगा। थकान आप पर कभी हावी नहीं होगी और आप खुशमिजाज भी रहेंगी। खास बात यह है कि इसके लिए हर सप्ताह स्पा जाने या बहुत ज्यादा पैसे खर्च करने की भी जरूरत नहीं। कैसे छोटे-छोटे कदमों से करें खुद की देखभाल, आइए जानें

1 हर दिन कुछ वक्त खुद के साथ बिताएं। चौबीसों घंटे कोई-न-कोई जिम्मेदारी उठाते रहना जरूरी नहीं। मन की शांति के लिए हर दिन कुछ वक्त शांति से बैठना और आराम करना भी जरूरी है। खास बात यह है कि आपका ऐसा करना स्वार्थी होना बिल्कुल भी नहीं है।

2 आपकी जिंदगी में भी कुछ लोग ऐसे होंगे, जिनसे बातें करके आपका मन हल्का होता होगा। ऐसे लोगों से नियमित रूप से बात करें। तनाव कम करने में मदद मिलेगी।

3 अगर आपके घर में पालतू जानवर हैं, तो हर दिन कुछ वक्त उनके साथ बिताएं। पालतू जानवरों के साथ वक्त बिताने से न सिर्फ शारीरिक सक्रियता बढ़ती है बल्कि एंग्जाइटी का सामना करने में भी मदद मिलती है।

4 अपनी सीमाएं तय करें। हर चीज के लिए हां कहने की अपनी आदत बदलें। जिस काम को करने की आपकी इच्छा नहीं है, उसके लिए ना कहना सीखें।

5 अपने स्मार्टफोन के स्क्रीन में डूबे रहना हम सब की आदत हो गई है। इस आदत को बदलें। स्मार्टफोन से दूरी बनाएं ताकि आपको रीचार्ज होने का मौका मिले। सोशल मीडिया, ईमेल और खबरों से नियमित रूप से दूरी बनाकर आप अपने मन को सुकून दे पाएंगी।

6 कोई ऐसी गतिविधि तलाशें, जिससे आपके मन को सुकून मिलता हो। नियमित रूप से ऐसी गतिविधि करने से तनाव कम होगा और खुद की बेहतरी की दिशा में नए सफर की शुरुआत होगी।

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