मेहनत के बाद भी कंगाली जीवन में बिता देते हैं इन 5 जगहों पर रहने वाले लोग,चाणक्य ने बताई वजह
आचार्य चाणक्य ने अपनी नीति में ऐसी 5 जगहों का जिक्र किया है, जहां व्यक्ति को भूलकर भी नहीं रहना चाहिए। आचार्य के अनुसार ऐसी जगहों पर रहने वाले लोग खूब मेहनत के बाद भी जीवन में पिछड़े ही रह जाते हैं।
आज से कई सौ साल पहले भारतवर्ष में एक ऐसे महापुरुष का जन्म हुआ, जिनकी बताई बातें आज भी लोगों का जीवन आसान करने का काम कर रही हैं। समय बदला और समय के साथ कई परिवर्तन आए लेकिन आचार्य चाणक्य की नीतियां जितनी प्रभावी उस समय थीं, आज भी उतनी ही असरदार हैं। आचार्य ने अपनी नीतियों में जीवन के लगभग हर एक पहलू पर अपने विचार रखे। उन्होंने अपनी नीतियों में व्यक्ति की सफलता और असफलता के पीछे के कारणों पर भी बात की। आचार्य की मानें तो एक व्यक्ति यदि गलत जगह पर रह रहा है, तो वह जीवन में ना तो सफल हो पाता है, ना ही सुखी रह पाता है। तो चलिए जानते हैं ऐसी कौन सी जगह हैं, जहां आचार्य के मुताबिक रहने से परहेज करना चाहिए।
जहां ना हो कारोबार का साधन
आचार्य चाणक्य का कहना है कि यदि कोई व्यक्ति ऐसी जगह रह रहा हैं जहां आसपास कोई आजीविका का साधन नहीं है, तो उस व्यक्ति का जीवन निर्धनता में ही बीत जाता है। आचार्य के अनुसार यदि व्यक्ति को जीवन में सफल होना है तो इसे ऐसी जगह रहना चाहिए जहां आजीविका-व्यापार के असीमित साधन उपलब्ध हों। ऐसी जगह रहने से व्यक्ति के जीवन में अपनी क्षमताओं को दिखाने के ढेरों अवसर मौजूद होते हैं।
जहां ना हों कोई नियम कानून
आचार्य चाणक्य के मुताबिक अगर किसी व्यक्ति को जीवन में आगे बढ़ना है तो ऐसी जगह पर बिल्कुल ना रहें जहां नियम और कानून की धज्जियां उड़ती हों। ऐसे जगह पर आप सदैव भय में बने रहेंगे और अपने मन मुताबिक कभी भी कुछ नहीं कर पाएंगे। आचार्य के मुताबिक अपने निवास स्थान के लिए हमेशा ऐसी जगह चुनें जहां के लोग नियम और कानून में विश्वास रखते हों।
जहां ना हो विद्या का कोई स्रोत
आचार्य चाणक्य के अनुसार यदि व्यक्ति को जीवन में सफल होना है तो ऐसी जगह से तुरंत चले जाना चाहिए जहां विद्या का कोई स्रोत या साधन ना हो। जीवन में सफलता के लिए विद्या होना बहुत जरूरी है। बिना विद्या के जीवन अंधकार और अज्ञानता में ही बीत जाता है। आचार्य की मानें तो ऐसी जगह पर रहना सबसे बड़ी मूर्खता है।
जहां दूर-दूर तक ना हो कोई अपना
आचार्य चाणक्य के अनुसार व्यक्ति को ऐसी जगह पर भी नहीं रहना चाहिए जहां दूर-दूर तक उसका कोई भी परिचित ना हो। जीवन सुख और दुख दोनों से मिलकर बना होता है। जब सफलता के पीछे भागेंगे तो कभी ना कभी असफलता का मुंह भी देखना पड़ेगा। ऐसे में आपको किसी अपने की जरूरत होगी जो आपको फिर से हिम्मत दे सके। लेकिन वहीं जब आप सबसे दूर बिल्कुल एकांत में रहेंगे तो बुरी तरह हताश होने पर भी कोई उठाने नहीं आएगा।
जहां धर्म का ना हो आदर
आचार्य चाणक्य के अनुसार जिस जगह पर लोगों का धर्म से कुछ लेना देना ही ना हो और धर्म का मजाक बनता हो, ऐसी जगह पर रहने वाला व्यक्ति भी जीवन में कभी आगे नहीं बढ़ सकता। क्योंकि जीवन में धर्म का स्थान सबसे ऊपर होता है। आचार्य के मुताबिक जीवन में सफल होने के लिए धर्म और कर्म दोनों को साथ ले कर चलने की जरूरत होती है। इनमें से किसी एक चीज के बगैर भी सफलता मिलना संभव नहीं है।
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