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Janmashtami 2024: जन्माष्टमी के मौके पर गाएं कान्हा की बाल-लीलाओं वाला ये सुंदर गीत, लोग हो जाएंगे मंत्रमुग्ध

Janmashtami 2024: जन्माष्टमी के मौके पर सोसाइटी या कॉलोनी में कान्हा के जन्मोत्सव की धूम है तो इन सुंदर भजन को गाएं। कृष्ण की भक्ति में सब झूमने लगेंगे।

Aparajita लाइव हिन्दुस्तानSat, 24 Aug 2024 01:20 AM
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श्री कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर घरों और मंदिरों में सजावट के साथ भगवान का जन्म कराया जाता है। साथ ही खूब धूम-धाम के साथ जन्मोत्सव मनाते हैं। इस मौके पर भगवान के गीत और भजन भी गाए जाते हैं। अगर आपके सोसाइटी या कॉलोनी में जन्माष्टमी खूब धूम से मनाई जा रही। तो इस मौके पर कान्हा की बाल-लीलाओं का ये सुंदर भजन गाएं। जिसे सुनकर सब मंत्रमुग्ध हो जाएंगे और आपके साथ झूमने लगेंगे। नोट कर लें भजन की लाइनें।

नटखट नटखट नंदकिशोर,

माखन खा गयो माखनचोर,

पकड़ो पकड़ो दौड़ो दौड़ो,

कान्हा भागा जाये,

कभी कुंज में कभी कदम पे,

हाथ नहीं ये आये,

गोकुल की गलियों में मच गया शोर,

माखन खा गयो माखनचोर,

नटखट नटखट नंदकिशोर,

माखन खा गयो माखनचोर।।

संग में सखाओं की टोली खड़ी,

माखन चुराने की आदत पड़ी,

ऊँची मटकिया में माखन धरो,

आँगन में माखन बिखरो पड़ो,

हाथ नहीं आये झपट के खाय,

गटक गटक माखन गटकाए,

अरे यही रोज़ का इसका दौर,

माखन खा गयो माखनचोर,

नटखट नटखट नंदकिशोर,

माखन खा गयो माखनचोर।।

मुख दधि लागे कन्हैया भागे,

पीछे पीछे गोपियाँ कन्हैया आगे,

कहाँ भागो जावे है माखन चुराए,

दूंगी उल्हानो मैं तेरे घर जाये,

पकड़ो ग्वालिन कन्हैया को हाथ,

लाई नंदद्वारे कन्हैया को साथ,

आयो तेरो लाला मेरी मटकी फोड़,

माखन खा गयो माखनचोर,

नटखट नटखट नंदकिशोर,

माखन खा गयो माखनचोर।।

क्यों रे कन्हैया क्यों घर घर जाये,

नित नित काहे उल्हानो लाये,

घर की गैयन को माखन न भाय,

घर घर जाय काहे माखन चुराए,

माता यशोदा से नैना चुराए,

मन ही मन कान्हा मुस्काय,

ऊखल से बांधो खुल गयी डोर

माखन खा गयो माखनचोर,

नटखट नटखट नंदकिशोर,

माखन खा गयो माखनचोर।।

कान्हा की अखियन में आंसू भरे,

कैसे यशोदा माँ धीरज धरे,

माखन मिश्री का भोग लगाय,

रूठे कन्हैया को लीनो मनाय,

लीला धारी की लीला अपार,

बोलो कन्हैया की जय जय कार,

माखन चोर नहीं ये है चित चोर,

माखन खा गयो माखनचोर,

नटखट नटखट नंदकिशोर,

माखन खा गयो माखनचोर।।

नटखट नटखट नंदकिशोर,

माखन खा गयो माखनचोर,

पकड़ो पकड़ो दौड़ो दौड़ो,

कान्हा भागा जाय,

कभी कुंज में कभी कदम पे,

हाथ नहीं ये आये,

गोकुल की गलियों में मच गया शोर,

माखन खा गयो माखनचोर,

चित्त चुरा गयो नंदकिशोर,

माखन खा गयो माखनचोर।

भजन 2

नैनो में समा जा साँवरिया,

मेरे दिल में समा जा साँवरिया,

रग रग में रमा जा साँवरिया,

नैनो मे समा जा साँवरिया।।

श्याम सलोने की सुरतिया प्यारी,

पिला पटका कावलिया काली,

प्यारी बसुरिया बजा जा,

आजा रास रचा जा,

वो ही रस बरसा जा साँवरिया,

नैनो मे समा जा साँवरिया।।

साँवरिया मेरा बांसुरी वाला,

प्यारा प्यारा वो नंदलाला,

में थी भूली अनजानी,

बनी तेरी दीवानी,

वही प्यार लुटा जा साँवरिया,

नैनो मे समा जा साँवरिया।।

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