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काली पड़ती त्वचा के पीछे आपके फेवरेट सनग्लासेस तो नहीं जिम्मेदार? जानें साइड इफेक्ट्स

Dangers of Wearing Sunglasses: एक्सपर्ट्स की मानें तो आंखों पर पहने जाने वाले चश्मे की वजह से व्यक्ति की त्वचा का रंग काला पड़ने के साथ उसे सेहत से जुड़ी कई अन्य समसयाएं भी घेर सकती हैं। आइए जानते हैं

Manju Mamgain लाइव हिन्दुस्तान टीम, नई दिल्लीWed, 10 April 2024 10:49 AM
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Sunglasses can be bad for your health and skin: गर्मियों का मौसम शुरू होते ही लोग अपनी त्वचा और आंखों को सूरज की यूवी किरणों से बचाने के लिए कई तरीके आजमाने लगते हैं। जिसमें चेहरे पर सनस्क्रीन लगाने से लेकर आंखों पर चश्मा पहनना तक शामिल होता है। आंखों पर लगे सनग्लासेस व्यक्ति की आंखों को धूप, प्रदूषण और धूल से बचाए रखने में मदद करते हैं, ये बात तो अब तक ज्यादातर लोगों को पता होगी । लेकिन क्या आप यह जानते हैं, हर समय अपना फेवरेट सनग्लास आंखों पर चढ़ाए रहने से आपको फायदा नहीं बल्कि त्वचा और सेहत को कई बड़े नुकसान भी हो सकते हैं। जी हां, एक्सपर्ट्स की मानें तो आंखों पर पहने जाने वाले चश्मे की वजह से व्यक्ति की त्वचा का रंग काला पड़ने के साथ उसे सेहत से जुड़ी कई अन्य समसयाएं भी घेर सकती हैं। आइए जानते हैं उनके बारे में। 

आंखों पर हर समय सनग्लासेस पहनने के नुकसान-

त्वचा का रंग पड़ता है काला-
एक्सपर्ट्स के अनुसार धूप के ज्यादा या कम होने पर आंखें दिमाग को संदेश देती हैं। धूप तेज होने पर दिमाग त्वचा को मैसेज देता है कि उसे लिटल रेसेप्टर साइट्स को बंद करना है। ऐसा करने से त्वचा का धूप की वजह से होने वाले सनबर्न से बचाव होता है और त्वचा काली पड़ने से बच जाती है। लेकिन हर समय आंखों पर चश्मा लगाए रहने से पीनियल ग्रंथि पर बुरा असर पड़ता है और दिमाग को यह मैसेज मिलता है कि बाहर बादल छाए हुए हैं। जिसकी वजह से स्किन का रंग धूप की वजह से डार्क होने लगता है। एक्सपर्ट बताते हैं कि जब पीनियल ग्रंथि दिमाग को संदेश देती है कि बाहर धूप है तो स्किन धूप के एक्सपोजर के लिए तैयार हो जाती है।

इंसोमनिया और डिप्रेशन का खतरा-
सनग्लासेस आपकी नींद पर भी नेगेटिव इफेक्ट डालते हैं। जी हां, ज्यादातर समय सनग्लास का इस्तेमाल व्यक्ति के लिए इंसोमनिया और डिप्रेशन का खतरा पैदा कर सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि ये सर्कैडियन रिदम को डिस्टर्ब करता है। बता दें, सर्कैडियन लय विकार ऐसी स्थिति हैं जो आपके शरीर के प्राकृतिक नींद-जागने के चक्र को बाधित या प्रभावित करती हैं। नींद की कमी की वजह से व्यक्ति को सेहत से जुड़ी अन्य दिक्कतें जैसे कमजोर इम्यून सिस्टम से लेकर पाचन तंत्र की गड़बड़ी झेलनी पड़ सकती है। 

आंखों को होती है थकान-
हर समय सनग्लासेस पहने रहने से व्यक्ति की आंखें सनलाइट को स्वाभाविक रूप से अवशोषित नहीं कर पाती हैं। नतीजतन, आंखों में थकान महसूस हो सकती है। दरअसल, लगातार सनग्लासेस पहनने की वजह से आंखों को नेचुरल लाइट लेने के लिए अधिक मेहनत करनी पड़ती है, जिससे वो जल्दी थकने लगती हैं। आंखों के लगातार तनाव में रहने से वो थकान महसूस करती हैं। इतना ही नहीं, कई बार ऐसे लोगों को समय के साथ कई तरह की दृष्टि संबंधी समस्याएं भी हो सकती हैं।

नहीं मिलता पर्याप्त विटामिन डी-
हर समय सनग्लासेस पहनने से व्यक्ति को पर्याप्त मात्रा में विटामिन डी नहीं मिल पाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि, सनलाइट की वेवलेंथ आंखों से होकर गुजरती है। जिससे पिट्यूटरी और पीनियल ग्रंथियों के जरिए मस्तिष्क को सूचित किया जाता है कि बाहर धूप है। उस स्थिति में स्किन सन एक्सप्रोजर और विटामिन डी के लिए तैयार होती है। लेकिन जब आप हरवक्त सनग्लास पहनते हैं तो इससे पीनियल ग्रंथि पर बुरा असर पड़ता है। जिसके चलते माइंड तक यह सिग्नल नहीं पहुंच पाता है। मस्तिष्क को यही लगता है कि बादल छाए हुए हैं। ऐसे में स्किन को पर्याप्त सन एक्सपोजर नहीं मिल पाता है।

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