बड़े ही नहीं बच्चे भी हो सकते हैं थायराइड के शिकार, ये होते हैं शुरुआती लक्षण
Symptoms Of Thyroid Problems In Kids: कुछ साल पहले तक थायराइड रोग व्यस्कों से जुड़ी परेशानी के रूप में देखा जाता था। लेकिन क्या आप जानते हैं आज थायराइड रोग बड़ों को ही नहीं बल्कि बच्चों को भी अपना शिक

Symptoms Of Thyroid Problems In Kids: खराब जीवनशैली और खान-पान की गलत आदतों की वजह से आमतौर पर लोग थायराइड रोग के शिकार हो जाते हैं। थायराइड दरअसल, गले के पास तितली के आकार की एक ग्रंथि (ग्लैंड) होती है। यह ग्रंथि दिल, दिमाग और शरीर के दूसरे अंगों को सही तरीके से चलाने वाले हॉर्मोन पैदा करती है। आसान शब्दों में समझें तो यह ग्रंथि शरीर में एक तरह से बैटरी का काम करती है। लेकिन समस्या तब होने लगती है जब यह हॉर्मोन शरीर में ज्यादा (हाइपरथायरायडिज्म) या फिर कम (हाइपोथायरायडिज्म) बनने लगता है। दोनों ही स्थितियों में पीड़ित व्यक्ति को सेहत से जुड़ी कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
कुछ साल पहले तक थायराइड रोग व्यस्कों से जुड़ी परेशानी के रूप में देखा जाता था। लेकिन क्या आप जानते हैं आज थायराइड रोग बड़ों को ही नहीं बल्कि बच्चों को भी अपना शिकार बना रहा है। ऐसे में इस समस्या से बचने के लिए बच्चों में दिखाई देने वाले शुरुआती लक्षणों की पहचान करना बेहद जरूरी है। आइए जानते हैं कैसे।
बच्चों में कितना होता हैTSH लेवल?
डॉक्टरों की मानें तो 0 से 2 हप्ते के बच्चे में टीएसएच का स्तर 1.6-24.3 mU/L होना चाहिए। वहीं, 2 से 4 सप्ताह के बच्चे में टीएसएच का स्तर 0.58-5.57 mU/L और 20 सप्ताह से 18 साल के बच्चे में थायराइड का सामान्य स्तर 0.55-5.31 mU/L हो सकता है। ध्यान रखें, इससे ज्यादा या कम टीएसएच होने पर थायराइड की समस्या हो सकती है।
बच्चों में थायराइड के कारण--कई बच्चों में थायराइड की समस्या जन्मजात भी हो सकती है। इसके अलावा बच्चे के समय से पहले पैदा होने पर भी थायराइड की समस्या हो सकती है। ऐसे में इस समस्या से बचने के लिए बच्चे को मां के पेट से ही सही पोषण दिया जाना जरूरी होता है।
-हाशिमोटो थायरोडिटिस जैसे ऑटोइम्यून रोग भी थायराइड का कारण बन सकते हैं।
-बच्चों के खानपान पर ध्यान न देने या फिर आयोडीन युक्त आहार की कमी होने पर भी उन्हें थायराइड की समस्या हो सकती है।
-ऑटोइम्यून बीमारी, एक ऐसी स्थिति होती है, जिसमें शरीर का इम्यून सिस्टम अपने ही थायराइड ग्लैंड को नुकसान पहुंचाने लगता है।
-मां के गर्भ में पल रहे शिशु को सही तरह से पोषण न मिल पाने पर भी उसे थायराइड की समस्या हो सकती है।
बच्चे में थायराइड रोग के लक्षण-
-बच्चों की फिजिकल और मैंटल ग्रोथ का कम होना।
-बच्चा थकावट महसूस करता है और जल्दी बीमार पड़ने लगते हैं।
- बच्चे की त्वचा सूखी और बेजान लगने लगती है।
- हड्डियां, बाल और दांत कमजोर हो जाते हैं।
-पेट से जुड़ी समस्याएं जैसे कब्ज़ और अपच हमेशा परेशान करती रहती है।
-मोटापे की समस्या।
-थायराइड ग्लैंड का साइज बढ़ना।
-आंखों में सूजन, सांस लेने में भी तकलीफ महसूस करना।
थायराइड से बचाव-
-सबसे पहले, जिन बच्चों के पेरेंट्स को अपने बच्चों में थायराइड के ये लक्षण नजर आ रहे हैं, उन्हें अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए।
-जिन बच्चों को हाइपोथायरायडिज्म होता है, उनके लिए इलाज के तौर पर हार्मोंस रिप्लेसमेंट थेरेपी अपनाई जाती है। इसके अलावा कुछ दवाओं के जरिए भी इस समस्या से राहत पाई जा सकती है
-जिन बच्चों को हाइपरथायरायडिज्म की समस्या होती है, उनके इलाज के लिए दवा और सर्जरी का सहारा लिया जाता है।
-थायराइड शारीरिक ही नहीं बल्कि बच्चे के मानसिक विकास पर भी असर डालता है। इससे बचने के लिए दवा के साथ पोषण से भरपूर खान-पान पर भी ध्यान देना चाहिए।
-जन्मजात थायराइड रोग की पहचान करने के लिए बच्चे के जन्म के कुछ दिन के भीतर ही उसका टीएसएच जांच करवा लेनी चाहिए।
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