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कहीं आपके जिंदगी में भी तो नहीं बढ़ गया डिजिटल दुनिया का दखल, जानें कैसे बचाएं शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य

इस बात में कोई दो राय नहीं है कि तकनीक का हमारी जिंदगी में दखल बढ़ा है। यह दखल अब हमारी शारीरिक व मानसिक सेहत पर असर डालने लगा है। इसकी शिकार हम महिलाएं ज्यादा हो रही हैं। क्या है डिजिटल ओवरलोड और कैसे इससे खुद को बचाएं, बता रही हैं स्वाति गौड़

Aparajita लाइव हिन्दुस्तानFri, 23 Aug 2024 03:49 PM
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इस बात से हम सब कहीं ना कहीं सहमत होंगे कि डिजिटल क्रांति ने हमारे जीवन को बहुत हद तक आसान बना दिया है। लेकिन इस तकनीकी प्रगति का खामियाजा डिजिटल ओवरलोड के रूप में सामने आ रहा है। लैंकेस्टर विश्वविद्यालय द्वारा किए गए एक शोध में यह पाया गया कि महिलाएं डिजिटल ओवरलोड का शिकार ज्यादा हो रही हैं। 29 देशों में किए गए अध्ययन के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला गया है। रोजमर्रा के कार्यों और घरेलू कार्यों को पूरा करने के लिए जूम और व्हाट्सएप जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल बहुत ज्यादा किया जाता है। दरअसल, विभिन्न तकनीकों के इस्तेमाल में काफी समय और मेहनत लगती है, इसलिए इसे एक नया श्रम करार दिया गया है, जिससे पुरुषों की तुलना में महिलाएं 1.6 गुना तक ज्यादा प्रभावित हैं। इस शोध में यह भी पाया गया कि महिलाओं में दफ्तर के काम को लेकर डिजिटल वर्कलोड की आशंका पुरुषों के मुकाबले 31 फीसदी तक कम होती है, लेकिन परिवार से सबंधित डिजिटल लोड 2.6 गुना ज्यादा हो सकता है।

क्या है डिजिटल ओवरलोड?

यह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें व्यक्ति डिजिटल उपकरणों और सूचनाओं के बहुत ज्यादा इस्तेमाल से मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक थकान का अनुभव करने लगता है। पूरे दिन लगातार सोशल मीडिया अपडेट्स और ब्र्रेंकग न्यूज देखना काम और निजी जीवन के बीच की रेखा को मिटाने लगता है। इन सबका सामूहिक प्रभाव डिजिटल ओवरलोड के रूप में सामने आता है, जिसका दुष्प्रभाव महिलाओं की शारीरिक और मानसिक सेहत पर ज्यादा पड़ता है।

कामकाजी जीवन में असंतुलन

बच्चों की पढ़ाई-लिखाई से लेकर दफ्तर के कामों तक में डिजिटल उपकरणों का अत्यधिक उपयोग महिलाओं के लिए काम और व्यक्तिगत जीवन में असंतुलन पैदा करने लगता है। उदाहरण के लिए अकसर उन्हें ऑफिस के बाद भी काम की ईमेल या मैसेज का जवाब देना पड़ता है, जिससे वे व्यक्तिगत समय में भी अपने दफ्तर के काम में व्यस्त रहती हैं। इसी प्रकार, बच्चों के क्लास व्हाट्सऐप ग्रुप्स पर नजर रखना और होमवर्क से संबंधित साइट्स देखना उनकी शारीरिक और मानसिक थकान को बढ़ा देता है।

सोशल मीडिया का दुष्प्रभाव

इंस्टाग्राम और फेसबुक जैसी सोशल मीडिया साइट्स के बढ़ते उपयोग ने महिलाओं पर अत्यधिक दबाव बना दिया है। अपनी पोस्ट पर ज्यादा से ज्यादा लाइक्स पाने की चाह असल में उनके आत्मसम्मान के लिए घातक है। जब वह दूसरों की पोस्ट्स देखती हैं तो उन्हें अपनी छवि को बनाए रखने, दूसरों के जीवन से तुलना करने और सामाजिक मानकों पर खरा उतरने का दबाव महसूस होने लगता है, जो धीरे-धीरे मानसिक तनाव और घटते आत्मसम्मान के रूप में सामने आने लगता है।

निजी संबंधों पर विपरीत प्रभाव

डिजिटल ओवरलोड का असर निजी संबंधों पर भी पड़ता है। परिवार और दोस्तों के साथ बिताया जाने वाला समय कम होने लगता है और रिश्तों में दूरियां आने लगती हैं। बहुत ज्यादा लंबी अवधि तक स्क्रीन के सामने रहने से शारीरिक स्वास्थ्य पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है, जिसके चलते आंखों में जलन, नजर कमजोर होना, नींद पूरी ना होना और सिरदर्द जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं।

(मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट दीप्ति गुप्ता से बातचीत पर आधारित)

उपाय आपके हाथ में है

अपनाएं डिजिटल डिटॉक्स: बहुत लंबे समय तक स्मार्टफोन या लैपटॉप चलाते रहने की बजाय थोड़े-थोड़े अंतराल पर डिजिटल उपकरणों से ब्रेक लेने का नियम बनाएं और इस नियम को अपनी दिनचर्या में शामिल करें। कुछ समय के लिए मोबाइल, लैपटॉप और अन्य उपकरणों से दूरी बनाकर अन्य कोई काम करें, जिससे मानसिक ताजगी और शांति मिले।

समय प्रबंधन हो दुरुस्त: बेहतर होगा कि आप डिजिटल उपकरणों के उपयोग के लिए समय निर्धारित कर लें। कोशिश करें कि दफ्तर का काम वहीं तक सीमित रहे ताकि काम और व्यक्तिगत समय के बीच स्पष्ट सीमाएं निर्धारित हो सकें। इसी प्रकार, रोजमर्रा के कामों से निबट कर रात में सोते समय भी डिजिटल उपकरणों का उपयोग कम करने का प्रयास करें।

प्रत्येक नोटिफिकेशन नहीं जरूरी: सोशल मीडिया साइट्स से लगातार आने वाले नोटिफिकेशन डिजिटल ओवरलोड काफी ज्यादा बढ़ा देते हैं। बेहतर होगा कि आप अपने फोन की र्सेंटग्स में जाकर अनावश्यक नोटिफिकेशन्स को बंद कर दें। इससे बार-बार फोन देखने की आदत पर नियंत्रण आएगा और ध्यान भटकने की आशंका भी कम हो जाएगी।

खुद की देखभाल है जरूरी: खुद की देखभाल करना बेहद जरूरी है। योग, ध्यान, सैर पर जाना, एरोबिक्स और शारीरिक व्यायाम जैसी गतिविधियां ना केवल आपको शारीरिक रूप से चुस्त रखेंगी, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में सहायक होती हैं।

लें दूसरों से सहायता: डिजिटल ओवरलोड से बचने के लिए महिलाओं को अपने परिवार, दोस्तों और सहकर्मियों से मदद लेने में हिचकिचाना नहीं चाहिए क्योंकि इस काम में करीबी लोगों का सहयोग बहुत महत्वपूर्ण होता है। यदि काम के कारण अधिक समय तक डिजिटल उपकरणों का उपयोग करना पड़ता है, तो इसके लिए परिवार के सदस्यों से सहयोग मांगा जा सकता है, जैसे कुछ सर्च करना है तो कोई अन्य इस काम में आपकी मदद कर सकता है। इसी प्रकार फैमिली टाइम के दौरान किसी को फोन देखने की इजाजत ना हो, ये नियम बनाएं।

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