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प्रेग्नेंसी में विपरीत करणी आसन करने से मिलेंगे फायदे, शरीर होगा रिलैक्स

Pregnancy: प्रेग्नेंसी के छठें महीने के बाद शरीर में बहुत थकान, कमजोरी और पैरों में दर्द महसूस हो रहा तो रोजाना विपरीतकरणी आसन करने से फायदा मिलता है।

Aparajita लाइव हिन्दुस्तानThu, 11 July 2024 02:34 PM
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प्रेग्नेंसी के दौरान महिला का शरीर कई तरह के बदलावों से होकर गुजरता है। जिसकी वजह से फिजिकली और मेंटली दोनों तरीके से थकान का अनुभव होता है। पहले तीन महीने हार्मोंस डिस्टर्बेंस की वजह से मॉर्निंग सिकनेस, थकान जैसी समस्या महसूस होती है तो वहीं तीसरी तिमाही में बच्चे के बढ़ते वजन की वजह से कमर और कूल्हे पर भार बढ़ता जाता है। साथ ही पैरों में दर्द होता है। ऐसे में विपरीत करणी आसन आराम पहुंचा सकता है। बीते दिनों दीपिका पादुकोण ने विपरीत करणी आसन करते हुए फोटो शेयर की थी। जानें वॉल लेग पोज या विपरीत करणी आसन करने के फायदे।

कैसे करें विपरीत करणी आसन

इस आसन को करने के लिए किसी दीवार से पैरों के तलवे को सटाकर लेट जाएं। फिर पैरों को दीवार के सहारे हवा में ऊपर उठाएं और हिप्स को दीवार से सटा दें।

कमर पर किसी भी तरह का बैड इफेक्ट या झटका ना लगे इसके लिए तकिया का सहारा लिया लें और इसे कमर के नीचे लगाकर तब पैरों को ऊपर की तरफ उठाएं। जिससे कि कमर को सपोर्ट मिलता रहे।

विपरीत करणी आसन करने के फायदे

प्रेग्नेंसी की वजह से पैरों में सूजन और दर्द रहता है। ऐसे में विपरीत करणी आसन करने से पैरों में ब्लड सर्कुलेशन सही होता है और पैरों में दर्द और सूजन में आराम मिलता है।

पैरों में होने वाले ऐंठन में भी विपरीतकरणी आसन की मदद से आराम पहुंचता है।

पेल्विक फ्लोर मसल्स को आराम

विपरीतकरणी आसन करने से पेल्विक फ्लोर मसल्स को रिलैक्स मिलता है। दरअसल, ये मसल्स लगातार प्रसव की तैयारी कर रही होती है। जिससे उनमे टेंशन और संकुचन रहता है। विपरीत करणी आसन करने से पेल्विक फ्लोर मसल्स रिलैक्स होती है और उन्हें ज्यादा फ्लैक्सिबल बनने में मदद मिलती है।

पीठ दर्द से आराम

विपरीत करणी आसन करने से पीठ के निचले हिस्से में तनाव और बच्चे की वजह से होने वाले दबाव से राहत मिलती है। जिससे बेचैनी और दर्द भी दूर होता है।

टेंशन में कमी

विपरीत करणी आसन करने से केवल शारीरिक रूप से फायदा नहीं मिलता बल्कि ये मन को शांत करने में मदद करती है और बेचैनी दूर करता है। फिजिकल तकलीफों की वजह से तनाव बढ़ता है और शारीरिक असुविधा होती है। जिससे राहत पाने के लिए हर दिन विपरीत करणी आसन किया जा सकता है।

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