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कपड़ों पर खर्च कर देती हैं और फिर पछताती हैं तो, जानें कैसे कम होगा बचें शॉपिंग एडिक्शन

अलमारी खोलते ही कपड़े गिरने के लिए तैयार हैं, पर जब कहीं जाने की बारी आती है, तो आप ‘क्या पहनूं’ जैसे सवाल लेकर बैठ जाती हैं। कपड़ों के बेहतर मैनेजमेंट की मदद से कैसे इस समस्या से पाएं छुटकारा, बता रही हैं शाश्वती।

Aparajita लाइव हिन्दुस्तानFri, 2 Aug 2024 09:21 AM
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दुनिया भर में लोगों की औसत आमदनी में इजाफा हुआ है, तो खर्च करने की ताकत भी बढ़ी है। इस ताकत को हवा देने का काम कर रही है, ऑनलाइन शॉपिंग। ऑनलाइन शॉपिंग ने न सिर्फ खरीदारी को आसान बना दिया है बल्कि बढ़ावा भी दिया है। कपड़ा और फुटवियर ब्रांड पब्लिक डिजायर द्वारा कपड़ों के बाजार, उनकी कीमत और खरीदारी संबंधी आदतों के बारे में एक सर्वे किया गया। इस सर्वे में पाया गया कि एक औसत भारतीय साल में लगभग दो लाख रुपये सिर्फ कपड़ों की खरीदारी पर खर्च करता है। इन खरीदारों में महिलाएं सबसे आगे हैं।

कपड़ों की इतनी ज्यादा खरीदारी करने और कपड़ों से भरी अलमारी होने के बावजूद किसी महिला के मुंह से यह सुनना कि ‘मेरे पास तो कपड़े ही नहीं हैं। क्या पहनूं?’ बहुत आम बात है। पर, जब आप अपनी आमदनी का एक अच्छा-खासा हिस्सा कपड़ों की खरीदारी पर ही खर्च कर रही हैं तो फिर किसी खास मौके पर पहनने के लिए आपके पास कपड़े क्यों नहीं होते? सच्चाई तो यह है कि आपके पास कपड़ों की कोई कमी नहीं है। समस्या सही खरदारी और उनके रख-रखाव से जुड़ी है। और यह एक ऐसी समस्या है, जिससे थोड़ी कोशिश से आप छुटकारा पा सकती हैं। क्या करें कि कपड़ों की कमी का रोना आपको कभी ना रोना पड़े, आइए जानें:

सोच-समझकर करें खरीदारी

मॉल खरीदारी करने गईं। अपने पसंदीदा ब्रांड पर डिस्कॉउंट का बोर्ड देख और ढेर सारे कुर्ते खरीद लाईं। पर, क्या उन कुर्तों को खरीदते वक्त आपने यह सोचा कि उनकी मैचिंग का लोअर आपके पास है या नहीं? शर्ट, टी-शर्ट, स्कर्ट या फिर कुर्ता...आपको जो भी पसंद आए, उसका बिल चुकाने से पहले यह जरूर सोचें कि क्या आपके पास उसके साथ पहनने के लिए मैचिंग कपड़ा पहले से है या नहीं। अगर ऐसा नहीं होगा तो या तो उस कपड़े को पहनने की संभावना बहुत कम हो जाएगी या फिर उसके साथ पहनने के लिए लोअर की खरीदारी आपको अलग से करनी पड़ेगी। सोच-समझकर खरीददारी करेंगी तो शौक से खरीदे गए कपड़े को पहन भी पाएंगी।

ट्रेंड के पीछे क्यों भागना

बेल बॉटम का ट्रेंड आया तो वो खरीद लिया। क्रॉप टॉप का ट्रेंड शुरू हुआ तो तरह-तरह के रंग में उसे खरीद लिया। किसी खास स्टाइल की ड्रेस लोकप्रिय हुई, तो उसे ही खरीद डाला। अधिकांश लोग जो यह शिकायत करते हैं कि उनके पास पहनने के लिए कुछ नहीं है, असल में ड्रेंड के पीछे भागकर खरीदारी करने वाले लोग होते हैं। ट्रेंड को अपनाने में कुछ गलत नहीं है। पर, अपनी अलमारी को ट्रेंडी कपड़ों से भर देने से बात नहीं बनने वाली। सबसे पहले अच्छी क्वालिटी के बेसिक कपड़ों में निवेश करें। फुटवियर से लेकर सफेद टी-शर्ट तक। जब बेसिक कपड़े और एक्सेसरीज आपके पास होंगे, तो ट्रेंडी कपड़ों की स्टाइलिंग भी आपके लिए आसान हो जाएगी और कपड़ों की कमी आपको कभी नहीं खलेगी।

बंद कीजिए एक जैसे कपड़े खरीदना

कपड़ों से जुड़ी हम सब की आदतें थोड़ी अजीब-सी होती हैं। कोई पैटर्न पसंद आया तो उसी पैटर्न में अलग-अलग रंगों के ढेर सारे कपड़े खरीद लिए। फिर चाहे वह चेक पैटर्न वाला शर्ट हो या फिर कोल्ड शोल्डर वाली टॉप। पर, एक ही पैटर्न के ढेर सारे कपड़ों से अलमारी भर लेने से क्या फायदा? ऐसा करने से आपके कपड़ों की कमी नहीं दूर होने वाली। एक जैसे पैटर्न वाले कपड़ों को अलमारी में एक जगह रखें। इससे आपको पता चलेगा कि आपके पास एक तरह के कितने कपड़े हैं और भविष्य में वैसा ही कुछ खरीदने से पहले आप सचेत हो जाएंगी।

अच्छा नहीं ज्यादा विकल्प होना

जैसे कम विकल्प होने से यह सवाल उठ खड़ा होता है कि क्या पहनूं, ठीक वही समस्या बहुत ज्यादा विकल्प होने से भी होती है। जब अलमारी कपड़ों से भरी रहती है, तो उसके सामने खड़े होकर कपड़ों के ढेर को घूरने के अलावा और चारा ही नजर नहीं आता। जिस तेजी से आप कपड़े खरीदती हैं, उतनी ही तेजी से उन कपड़ों को अलमारी से हटाएं भी जिन्हें आपने लंबे समय से नहीं पहना है। या फिर उन कपड़ों को भी अलमारी से बाहर का रास्ता दिखाएं, जो आपके मौजूदा स्टाइल से मेल नहीं खाती। जब अलमारी में संतुलित संख्या में कपड़े होंगे तो आपको उनके साथ ज्यादा रचनात्मक होने का और नए-नए प्रयोग करने का मौका मिलेगा।

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