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क्या है हाइपरपिग्मेंटेशन की समस्या, एक्सपर्ट से जानिए कैसे पाएं छुटकारा

  • क्या आपको भी अपने चेहरे पर भूरे-काले से हल्के धब्बे नजर आने लगे हैं? बढ़ती उम्र और खराब जीवनशैली के कारण होने वाले ये निशान हाइपरपिग्मेंटेशन कहलाते हैं। क्या है यह समस्या और कैसे इनसे पाएं छुटकारा, बता रही हैं स्मिता

Avantika Jain लाइव हिन्दुस्तानSat, 28 Dec 2024 12:26 PM
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खराब जीवनशैली और खराब खानपान का असर सबसे पहले हमारी त्वचा पर ही होता है। इसके कारण त्वचा पर चकत्ते, सूजन, खुजली और चेहरे पर हाइपरपिग्मेंटेशन जैसी समस्याएं भी हो जाती हैं। हाइपरपिग्मेंटेशन बढ़ती उम्र के साथ चेहरे की त्वचा पर होने वाली आम समस्याओं में से एक है। हाइपरपिग्मेंटेशन के कारण त्वचा के कुछ हिस्सों का रंग गहरा हो जाता है। यह तब होता है, जब त्वचा में मेलानिन नाम के पिग्मेंट का अत्यधिक उत्पादन होता है। मेलानिन ही त्वचा, बाल और आंखों को उनका रंग देता है। जब त्वचा पर मेलानिन का स्तर असंतुलित हो जाता है, तो यह त्वचा पर गहरे धब्बे, चकत्ते या पैच के रूप में दिखाई देता है।

हाइपरपिग्मेंटेशन के प्रकार

मेलास्मा: यह अकसर हार्मोनल बदलावों की वजह से होता है, जैसे गर्भावस्था या हार्मोनल थेरेपी। यह चेहरे पर भूरे पैच के रूप में दिखता है।

सनस्पॉट्स: लंबे समय तक सूर्य की किरणों के संपर्क में रहने से त्वचा पर भूरे धब्बे बनते हैं। इन्हें ऐज स्पॉट्स भी कहते हैं।

पोस्ट: इंफ्लामेट्री हाइपरपिग्मेंटेशन : त्वचा पर चोट, जलन, मुहांसे या एलर्जी के बाद गहरे निशान बन जाते हैं।

क्या हैं इसके कारण?

सूर्य की किरणों का प्रभाव: लंबे समय तक सूरज की अल्ट्रावायलेट किरणों के संपर्क में रहने से मेलानिन का उत्पादन बढ़ जाता है। उम्र के साथ, त्वचा की प्राकृतिक हाइपरपिग्मेंटेशन बढ़ता है।

हार्मोनल बदलाव: उम्र के साथ हार्मोनल बदलाव, विशेषकर मेनोपॉज महिलाओं में मेलानिन के उत्पादन को असंतुलित कर देता है।

बढ़ती उम्र का असर: उम्र बढ़ने के साथ त्वचा पतली और कमजोर हो जाती है, जिससे पिग्मेंटेशन अधिक स्पष्ट दिखने लगता है। कॉलेजन का उत्पादन कम होने से त्वचा पर धब्बे और झाइयां अधिक दिखने लगती हैं।

पर्यावरण का असर: प्रदूषण और विषाक्त पदार्थ त्वचा के पिगमेंट को प्रभावित करते हैं और उम्र बढ़ने के साथ इसका प्रभाव अधिक हो सकता है।

अनुवांशिक समस्या: कुछ लोगों में हाइपरपिग्मेंटेशन की समस्या जेनेटिक होती है, जो उम्र के साथ स्पष्ट हो जाती है।

आजमाएं ये उपाय

हाइपरपिग्मेंटेशन का इलाज प्राकृतिक तरीके से किया जा सकता है, लेकिन इसमें धैर्य और नियमितता की आवश्यकता होती है। कौन-कौन सी चीजें इस सफर में बनेंगी आपकी साथी, आइए जानें:

एलोवेरा: एलोवेरा जेल में मौजूद एलोसिन कंपाउंड मेलानिन उत्पादन को नियंत्रित करता है। इसे सीधे प्रभावित हिस्से पर लगाएं और रात भर छोड़ दें। सुबह गुनगुने पानी से धो लें।

नीबू और शहद: नीबू में विटामिन-सी और प्राकृतिक ब्र्लींचग गुण होते हैं, जबकि शहद नमी प्रदान करता है। नीबू का रस और शहद को मिलाकर 10-15 मिनट तक त्वचा पर लगाएं और फिर धो लें।

हल्दी: हल्दी में मौजूद करक्यूमिन एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लामेट्री गुणों से भरपूर है, जो त्वचा की चमक को बढ़ाता है और पिग्मेंटेशन को कम करता है। हल्दी पाउडर को दूध या दही के साथ मिलाकर मास्क बनाएं और 15 मिनट तक लगाएं।

ग्रीन टी एक्सट्रैक्ट: ग्रीन टी में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो हाइपरपिग्मेंटेशन को कम करने में मदद करते हैं। ग्रीन टी बैग को ठंडा करके प्रभावित क्षेत्र पर रखें।

आलू का रस: आलू का रस त्वचा की चमक बढ़ाने और दाग-धब्बे हटाने में मदद करता है। कच्चे आलू को कद्दूकस करके उससे रस निकालें और इसे सीधे प्रभावित हिस्से पर लगाएं।

विटामिन ए: विटामिन ए कैप्सूल को तोड़कर जेल को प्रभावित क्षेत्र पर लगाएं। यह त्वचा की मरम्मत करने के साथ उसे नमी भी प्रदान करता है।

(परिपूर्ण सनातन आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज, अस्पताल और अनुसंधान केंद्र, बेंगलुरु में सीनियर कंसल्टेंट और प्रोफेसर डॉ. ए.वी. श्रीनिवासन से बातचीत पर आधारित)

इन्हें भी अपनाएं

एसपीएफ 30+ वाली सनस्क्रीन का रोजाना चेहरे पर इस्तेमाल करें, फिर चाहे आप घर के अंदर हों या फिर बाहर। यह पिग्मेंटेशन को बनने से रोकता है।

पर्याप्त पानी पीने से त्वचा की कोशिकाओं की मरम्मत में मदद मिलती है।

विटामिन सी, विटामिन ए और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे कि फल, सब्जियां और मेवों का नियमित रूप से सेवन करें।

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