जब लालू यादव ने बागी का कंधा दबाया और हो गई उम्मीदवारी वापस, किस्सा 2005 का
- जमशेदपुर पश्चिम से राजद का टिकट नहीं मिलने से नाराज शेख बदरूद्दीन ने बतौर निर्दलीय नामांकन दाखिल किया था। राजद के इस नेता के बागी चुनाव में उतरने की चर्चा सभी जगह हो रही थी।
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद राजनीतिक कौशल के अलावा अपने चुटीले अंदाज के लिए जाने जाते हैं। चाहे टिकट के दावेदारों का चयन हो या रूठों को मनाने की बात हो या फिर चुनाव में बागी प्रत्याशियों को समझाने की। हर जगह लालू अपने इसी अंदाज के सहारे समस्याओं का हल करते हैं।
बात 2005 के झारखंड विधानसभा चुनाव की है। जमशेदपुर पश्चिम से राजद का टिकट नहीं मिलने से नाराज शेख बदरूद्दीन ने बतौर निर्दलीय नामांकन दाखिल किया था। राजद के इस नेता के बागी चुनाव में उतरने की चर्चा सभी जगह हो रही थी। पटना में मौजूद राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद तक इसकी चर्चा पहुंची। राजद सुप्रीमो ने बदरूद्दीन को मनाने का निर्णय लिया और इसके लिए मानगो के गांधी मैदान की सभा का चयन किया गया।
लालू ने शेख बकरूद्दीन को संदेश भेजा कि वे उनसे गांधी मैदान की रैली में मिलना चाहते है। लालू के इस संदेश को बकरूद्दीन मना नहीं कर पाये । मंच पर बागी प्रत्याशी शेख बकरूद्दीन को लालू प्रसाद के बगल में जगह दी गई थी। रैली शुरू हुई तो राजद सुप्रीमो ने अपने अंदाज में लोगों को गुदगुदाना शुरू किया। इसके बाद बगल में बैठे बकरूद्दीन को इशारे-इशारे में खड़े होने को कहा। कुछ देर तक तो राजद सुप्रीमो ने उनकी तारीफ की, उनके किए योगदान पर प्रकाश डाला और फिर उनके कंधे पर हाथ रखा।
कुछ देर बाद उन्होंने बकरूद्दीन के कंधे को दबाया और फिर बोले- मेरा एक भाई है शेख बकरूद्दीन, वह भी इस चुनाव में खड़ा हो गया था। देखो खड़ा है फिर कंधे को दबाकर उन्हें बैठा दिया। इसके बाद उन्होंने नाम वापस ले लिया।
सभा में लालटेन के महत्व पर दिया भाषण
मानगो के गांधी मैदान में आयोजित सभा में लालू प्रसाद ने झारखंड के निर्माण में राजद की भूमिका का उल्लेख कर पार्टी प्रत्याशी को विजयी बनाने की अपील की। उन्होंने लालटेन के महत्व पर लंबा चौड़ा भाषण दिया। रैली समाप्त होने के बाद बकरूद्दीन ने चुनाव से हटने की घोषणा की थी।