Hindi Newsझारखंड न्यूज़Trend Revenge: Human trafficking in Jharkhand through child marriage

ट्रेंड बदला : बाल विवाह के जरिए झारखंड में हो रही मानव तस्करी

झारखंड में लॉकडाउन में मानव तस्करी का स्वरूप बदल गया है। मानव तस्कर नाबालिग लड़कियों से विवाह करा कर झारखंड से बाहर ले जाते हैं। इसके बाद दिल्ली और दूसरे राज्यों में ले जाकर इनका सौदा किया जा रहा है।...

रांची। आशीष तिग्गा  Thu, 30 July 2020 01:50 AM
share Share

झारखंड में लॉकडाउन में मानव तस्करी का स्वरूप बदल गया है। मानव तस्कर नाबालिग लड़कियों से विवाह करा कर झारखंड से बाहर ले जाते हैं। इसके बाद दिल्ली और दूसरे राज्यों में ले जाकर इनका सौदा किया जा रहा है। तस्कर किसी को प्लेसमेंट एजेंसी के माध्यम से घरेलू काम में लगाते हैं, जहां इन लड़कियों के साथ अत्याचार होता है, तो कुछ को बेच दे रहे हैं। महिला और बच्चों पर काम करने वाली एजेंसी स्टेट रिसोर्स सेंटर के पास मार्च से लेकर मई तक बाल विवाह की 92 शिकायतें पहुंची हैं। इसमें सिर्फ दस पर ही केस  दर्ज हो सका है। जिन दस मामलों में शिकायत की गयी है उसमें एक भी तस्कर गिरफ्तार नहीं हुआ है।  

संस्था के अनुसार मानव तस्कर नाबालिगों के अभिभावकों को पैसे का प्रलोभन दे रहे हैं। लॉकडाउन में बच्चों की नौकरी लगाने और बेहतर पैसे की लालच देते हैं। उन्हें यह बताया जाता है कि बच्ची के साथ विवाह करने के बाद कोई परेशान नहीं करेगा। इसके बाद तस्कर विवाह के लिए दूसरे व्यक्ति को लाते हैं। चूंकि अभिभावकों को पैसे मिलते हैं इस कारण वह शिकायत नहीं करते।  बाल विवाह के नाम पर तस्करी वाले जिलों में देवघर, गोड्डा और कोडरमा सबसे आगे है। हाल के दिनों में साहिबगंज जिले में भी मानव तस्करी में बढ़ोतरी हुई है। पिछड़े जिलों को ही तस्कर अपना निशाना बना रहे हैं।  

बाल विवाद के स्वरूप में बदलाव : राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग  निगरानी समिति के कंट्री हेड संजय मिश्रा ने कहा कि बाल विवाह के स्वरूप में बदलाव हुआ है। अब मानव तस्करी के लिए बाल विवाह कराया जा रहा है। इसके अलावा मानव तस्करी का मुख्य केंद्र साहिगबंज जिला भी हो गया है। इस जिले से भी ज्यादा मानव तस्करी के मामले आ रहे हैं। 

बाल विवाह के आंकड़ों में और बढ़ोतरी : सेव द चिल्ड्रेन के कैम्पेन कम्यूनिकेशन मैनेजर सौमी हलधर ने कहा कि लॉकडाउन में झारखंड में बाल विवाह के आंकड़ों में और बढ़ोतरी होने की संभावना है। क्योंकि बच्चे स्कूल से दूर हो गए हैं और लोगों के पास रोजगार कम हो गया है।  विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चे स्कूल में ही ज्यादा असुरक्षित हैं। 

पीड़िताओं को नहीं मिलती है मदद : झारखंड में मानव तस्करी के खिलाफ काम करने वाली दीया सेवा संस्था के अनुसार, 200 प्रभावितों-पीड़ितों को सरकार की ओर से शुरूआती दौर में थोड़ी बहुत मदद मिलती है, लेकिन न्यायिक प्रक्रिया शुरु होते ही सभी हाथ खींच लेते हैं। अदालत में समय पर न तो गवाही होती है और न ही न्यायिक प्रक्रिया की जानकारी पीड़ितों तक पहुंचती है। 

बाल विवाह की शिकायत कई संस्थानों तक पहुंची : महिला-बच्चों पर कार्य करने वाली संस्थाओं के पास  तीन माह में बच्चों-महिलाओं के उत्पीड़न के 361 शिकायतें आई हैं। इनमें रांची से 27 मामले बाल विवाह, धनबाद चाइल्ड लाइन के पास 171 शिकायतों में आठ बाल विवाह, पाकुड़ चाइल्ड लाइन के पास 153 शिकायतों में 12 बाल विवाह और कोडरमा में 45 बाल विवाह के मामले सामने आए।

65 फीसदी के पास आजीविका नहीं : सेव द चिल्ड्रेन संस्था ने  595 परिवारों पर सर्वे कराया था। सर्वे के अनुसार, लॉकडाउन में 65 फीसदी घरों में आजीविका का अभाव है। आंगनबाड़ी और स्कूलों से जुड़े 38 फीसदी बच्चों की पढ़ाई बंद है। ऐसे में बच्चों की तस्करी की संभावना बढ़ी है। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के अनुसार वर्ष 2018 में राज्य में मानव तस्करी के 377 मामले दर्ज किए गए थे, इनमें 314 नाबालिग मिले।

अगला लेखऐप पर पढ़ें