बोकारो जवाहरलाल नेहरू जैविक उद्यान में शेरनी रामेश्वरी की मौत
बोकारो में सेक्टर-4 स्थित जवाहरलाल नेहरू जैविक उद्यान में शेरनी रामेश्वरी की मौत बुधवार अहले सुबह हो गई। प्रबंधन ने शेरनी के शव को चिड़ियाघर परिसर में ही दफना दिया। रिपोर्ट के मुताबिक, शेरनी की...
बोकारो में सेक्टर-4 स्थित जवाहरलाल नेहरू जैविक उद्यान में शेरनी रामेश्वरी की मौत बुधवार अहले सुबह हो गई। प्रबंधन ने शेरनी के शव को चिड़ियाघर परिसर में ही दफना दिया। रिपोर्ट के मुताबिक, शेरनी की मृत्यु कार्डियक अरेस्ट के कारण हुई है। बोकारो इस्पात प्रबंधन संचार प्रमुख मणिकांत धान ने कहा कि जैविक उद्यान में बुधवार की सुबह शेरनी मृत अवस्था में पाई गई, जिसके बाद उसके पोस्टमार्टम कराया गया, जिसमें कार्डियक अरेस्ट से मौत की पुष्टि हुई है। इस अवसर पर वन विभाग के अधिकारी भी मौजूद रहे।
बोकारो इस्पात प्रबंधन के मुताबिक रामेश्वरी की उम्र 18 वर्ष हो चुकी थी। हाइब्रिड शेरनी को केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण के अनुमोदन के बाद 12 दिसंबर 2008 को मैत्री बाग चिड़ियाघर, भिलाई से जवाहर लाल नेहरू जैविक उद्यान लाया गया था। रामेश्वरी का जन्म 10 अप्रैल 2002 को भिलाई में हुआ था। मृत्यु से पूर्व रामेश्वरी बिल्कुल स्वस्थ थी और सामान्य आहार ले रही थी। बुधवार को डॉ मुकेश सिन्हा, टीवीओ, चास, झारखंड सरकार की ओर से नेहरू जैविक उद्यान के प्रभारी की उपस्थिति में मृत शेरनी का पोस्टमार्टम किया गया। मौके पर फॉरेस्ट रेंज ऑफिसर अजय कुमार भी मौजूद थे। फिलहाल जैविक उद्यान में एक सफेद शेर, एक हिप्पो, पांच तेंदुआ, के अलावा हिरन,मोर सहित अन्य जानवर मौजूद हैं।
कार्डियक अरेस्ट से हुई मौत: बुधवार की सुबह जब उद्यान कर्मियों ने शेरनी को टहलते नहीं देखा तो इसकर सूचना जैविक उद्यान के वरीय अधिकारियों को दी गई। तत्काल बाड़े को खोलकर देखा गया तो वह मृत मिली। वन विभाग को भी इसकी जानकारी दी गई। रिपोर्ट के मुताबिक, शेरनी की मृत्यु कार्डियक अरेस्ट के कारण हुई है।
पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र थी : जैविक उद्यान में अन्य जानवरों से अलग रामेश्वरी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र थी। जैविक उद्यान भ्रमण करने के दौरान शहरवासी व बाहर से आने वाले लोग इसी शेरनी के बाड़े के पास घंटों इसे देखने के लिए इंतजार करते रहते थे। जब भी वह शेरनी नजर आती, लोगों में सेल्फी लेने व उसकी चहल-कदमी देखने के लिए भीड़ उमड़ पड़ती। पूरे उद्यान में उसकी दहाड़ पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र थी। कुछ वर्ष पूर्व इस बाड़े में इसके साथ रहने वाले शेर की मौत हुई थी। इसके बाद से रामेश्वरी अकेले ही अपने बाड़े में रहती थी। चिकित्सक व उद्यानकर्मी शेरनी के रहने व खाने को लेकर काफी संवेदनशील थे। उसकी हर गतिविधि पर निगरानी भी रखी जाती थी। अब इस बाड़े में शेर या शेरनी की दहाड़ सुनाई नहीं देगी। लॉक डाउन के कारण जैविक उद्यान में फिलहाल आम लोगों का प्रवेश बंद है।