झारखंड के अधिकारियों का कमाल, पुरुषों को विधवा तो युवाओं को दे दी वृद्धा पेंशन; कैग रिपोर्ट ने खोली पोल
झारखंड में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के जरिए पेंशन योजनाओं में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है। इसका खुलासा कैग रिपोर्ट में हुआ। राज्य में पुरुषों को विधवा, युवाओं को वृद्धा पेंशन बांटी गई।
झारखंड में डीबीटी के माध्यम से सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजनाओं के वितरण में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है। डीबीटी के कार्यान्वयन में सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजनाओं की उपलब्धियों के आकलन को लेकर की गई लेखा परीक्षा में सीएजी ने खुलासा किया है कि राज्य में पुरुषों को जहां विधवा पेंशन का लाभ दिया गया, वहीं कम उम्र के लोगों को वृद्धावस्था पेंशन बांटी गई। खुद को विकलांग बताने से इनकार करने वालों को भी विकलांगता पेंशन का भुगतान किया गया।
राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम के तहत मृत व्यक्तियों को भी पांच साल से अधिक समय तक पेंशन दी जाती रही। हद तो तब हो गयी जब जानकारी होने के बाद भी अधिकारियों ने वसूली के लिए कोई कार्रवाई नहीं की। सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजनाओं के वितरण में की गयी गड़बड़ियों की जानकारी नमूना के तौर पर केवल छह जिलों की जांच में मिली है। झारखंड के महालेखाकार अनूप फ्रांसिस डुंगडुंग ने बताया कि लेखा परीक्षा 2017-21 तक की अवधि के लिए की गयी थी। इसमें छह जिलों के एक शहरी और एक ग्रामीण प्रखंड को शामिल किया गया था। महालेखाकार ने बताया कि गोड्डा के पोरैयाहाट, गोड्डा सदर पूर्वी सिंहभूम के पोटका और घाटशिला में में 16 पुरुषों को विधवा पेंशन योजनाओं का लाभ दिया गया।
मृत्यु की सूचना में 65 माह तक देरी से पेंशन भुगतान
रिपोर्ट में कहा गया है कि मृत्यु की सूचना में देरी से 84 लाभार्थियों के नाम या तो बाहर नहीं किए गए या 65 माह तक की देरी की गयी। इससे मृतकों को भी पेंशन मिली। वहीं, 55 लाभार्थियों को न्यूनतम आयु मानदंड पूरा नहीं करने के बावजूद वृद्धावस्था पेंशन दी गई।
गैर पंजीकृत-काली सूची के संस्थानों में भी छात्रवृत्ति
महालेखाकार ने बताया कि धोखाधड़ी से छात्रवृत्ति का वितरण उन संस्थानों में भी किए गए जो न तो एनएसपी पर पंजीकृत थे, न ही पोर्टल पर लॉगऑन के लिए क्रेडेंशियल प्राप्त किए थे। चतरा और पूर्वी सिंहभूम के चार संस्थानों (पूर्वी सिंहभूम के मेहर प्राइवेट आईटीआई, जमशेदपुर आईटीआई, चतरा के आरएनएम महाविद्यालय, हंटरगंज एवं सत्यानंद भोक्ता इंटर महाविद्यालय, उनटा) के 180 छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान की गयी, जबकि, उन संस्थानों को 2018-21 के दौरान पात्रता मानदंड पूरा न करने के कारण काली सूची में डाल दिया गया था। वहीं, अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति योजना का क्रियान्वयन भी बहुत ही निराशाजनक था।
कम आयु के 3.45 लाख लाभार्थी को पेंशन बांटी
सामाजिक सुरक्षा विभाग द्वारा दिए गए एनएसएपी के डेटा डंप के विश्लेषण से ऑडिट लीड्स का पता चला है। केंद्रीय और राज्य पेंशन योजनाओं के तहत निर्धारित आयु से कम के अपात्र राज्य स्तर पर 3.45 लाख लाभार्थी को 361.39 करोड़ और नमूना जिले के 1.10 लाख लाभार्थी को 114.16 करोड़ की पेंशन दी। डेटाबेस में विकलांगता कॉलम में टिप्पणी नहीं करने के बाद भी विकलांगता पेंशन, विधवा कॉलम में नहीं दर्ज करने के बाद भी आवेदन की स्वीकृति में दो माह से अधिक लगाया गया। राज्य के 140 लाभार्थी एक से अधिक योजनाओं में पेंशन भुगतान पाया गया।
तीन लाख छात्रों को एक ही कक्षा में दो बार छात्रवृत्ति
प्री मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना के लिए ई-कल्याण डेटाबेस से पता चला कि राज्य स्तर पर 2017-20 के वर्षों में 30,675 विद्यालयों में 2.96 लाख छात्रों के छात्रवृत्ति भुगतान में अनियमितता की गयी। एक ही विद्यालय में एक ही कक्षा के पुनरावर्तक छात्रों को 3.16 करोड़ की छात्रवृत्ति अनियमित रूप से दी गयी। 612 स्कूलों के 5081 छात्रों को लगातार दो वर्षों में दसवीं कक्षा के लिए छात्रवृत्ति दी गयी। 180 स्कूलों के 5081 में से 1798 छात्रों को अनियमित रूप से अगले सत्र में दसवीं की छात्रवृत्ति दी गयी। 1049 छात्रों को पोस्टमैट्रिक छात्रवृत्ति के अलावा अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति भी दी गयी।