विविध भारतीय भाषाओं में पढ़ाई कराने की तैयारी में CBSE, चुनौतियों पर स्कूलों से मांगी राय
सीबीएसई शिक्षा पद्धति में कई बदलाव कर रहा है। ये बदलाव नई शिक्षा नीति के तहत किए जा रहे हैं। इसमें एक बड़ा बदलाव भारत की विविध भाषाओं में शिक्षा देने को लेकर की जा रही है। पढ़ें यह रिपोर्ट...
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) नई शिक्षा नीति के तहत कई बदलाव कर रहा है। इसमें एक बड़ा बदलाव भारत की विविध भाषाओं में शिक्षा देने को लेकर की जा रही है। इसके तहत सीबीएसई भारत के संविधान अनुच्छेद 8 में शामिल 22 भाषाओं में शिक्षा देने की तैयारी कर रहा है। इसके लिए सीबीएसई ने अपने स्कूलों से राय मांगी है। सीबीएसई को स्कूलों को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि बहुभाषी शिक्षा को बढ़ावा देना है, ताकि शिक्षा का विकास हर स्तर पर पहुंच सके। इसे स्कूलों में कैसे लागू किया जा सकता है और इसमें क्या चुनौतियां आएंगी, इस पर स्कूलों को सुझाव देने हैं।
गाइडलाइन का इंतजार
सीबीएसई रांची जोन के को-ऑर्डिनेटर सह डीपीएस रांची के प्राचार्य डॉ. राम सिंह ने कहा कि बहुभाषी शिक्षा सीबीएसई की ओर से नई शिक्षा नीति के तहत शुरू करने की योजना है। यह कैसे लागू होगा, कितने बच्चे इसमें शामिल होंगे, आदि के बारे में स्थिति अभी बहुत साफ नहीं है। इसके लिए हम लोग भी गाइडलाइन के इंतजार में हैं।
बालवाटिका से 12वीं तक होगी पढ़ाई
सीबीएसई ने बहुभाषीय पढ़ाई को बालवाटिका से 12वीं तक के लिए करने की योजना बनाई है। इससे विशेषकर ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को एक्सपोजर मिलेगा। वे आसानी से अपनी मातृभाषा में शिक्षा ग्रहण कर सकेंगे। शिक्षकों का कहना है कि चुनौतियां काफी आएंगी, लेकिन आनेवाले दिनों में ग्रामीण बच्चों के लिए लाभकारी निर्णय है। इससे उनकी शिक्षा आसान होगी। साथ ही करियर की संभावना बढ़ जाएगी।
एनसीईआरटी नए सत्र में प्रकाशित करेगा किताब
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की ओर से बताया गया है कि भारतीय भाषाओं में पढ़ाई से संबंधित किताबें एनसीईआरटी प्रकाशित करेगा। आगामी सत्र से ही किताबें उपलब्ध कराने की तैयारी चल रही है। डॉ राम सिंह ने कहा कि भारतीय भाषाओं में तकनीकी, चिकित्सा, व्यावसायिक, कौशल, कानून शिक्षा आदि की पाठ्यपुस्तकें उपलब्ध हो रही हैं। उम्मीद है कि जल्द की स्कूली पाठ्यक्रम की पुस्तकें भी उपलब्ध होंगी।
चुनौतियां कम नहीं
शिक्षकों का कहना है कि भारतीय भाषाओं में बालवाटिका से 12वीं तक की पढ़ाई करना अच्छा और स्वागत योग्य निर्णय है। हालांकि इसके लिए चुनौतियां भी काफी होंगी, क्योंकि अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि किस तरह से शिक्षकों की नियुक्ति भाषा शिक्षा के लिए होगी।
ऐसे होगी शिक्षकों की नियुक्ति
कितने अभ्यर्थी होंगे, उसके अनुपात में कितने शिक्षक रखे जाएंगे, क्या स्कूलों को अलग-अलग विषय का पाठ्यक्रम चयन का आधार मिलेगा, आदि स्थित अभी साफ नहीं है। ब्रिजफोर्ड स्कूल तुपुदाना की प्राचार्या सीमा चितलांगिया ने कहा कि स्कूल में एक सिस्टम प्लान बनाया जा रहा है। फिलहाल हमलोगों के पास दो-तीन भाषाएं जानने वाले शिक्षक हैं। जिस भाषा की बहुलता वाले बच्चे आएंगे, उसी हिसाब से शिक्षकों की नियुक्ति की जाएगी। साथ ही अलग सेक्शन भी हर भाषा के लिए बनाने होंगे।