आदिम जनजातियों के घर-घर आनाज पहुंचाएगी सरकार, छूटे परिवारों को जोड़ने की योजना
अब झारखंड सरकार आदिम जनजातियों के घर-घर अनाज पहुंचाएगी। आदिम जनजाति डाकिया खाद्यान्न योजना (पीटीजी) से जिले के सभी आदिम जनजाति परिवार को जोड़ने की योजना तैयार की गई है। पढ़ें यह रिपोर्ट...
आदिम जनजाति डाकिया खाद्यान्न योजना (पीटीजी) से जिले के सभी आदिम जनजाति परिवार को जोड़ने की योजना तैयार की गई है। जिले के तोपचांची प्रखंड के चलकरी गांव में इस आदिम जनजाति के 50 परिवारों को केंद्र सरकार की अति महत्वकांक्षी आदिम जनजाति डाकिया योजना का लाभ देना है। फिलहाल जिले में आदिम जनजाति के 50 परिवारों को इस योजना का लाभ दिया जा रहा है। एक बार फिर से सर्वे कर छूटे बिरहोर परिवारों को भी इस योजना का लाभ देने की तैयारी की जा रही है।
50 जनजाति परिवारों को मिल रहा लाभ
जिला आपूर्ति विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, जिले में 50 परिवारों को इस योजना का लाभ मिल रहा है। सभी परिवार तोपचांची प्रखंड के चलकरी के रहने वाले हैं।
क्या है पीटीजी
आदिम जनजातियों के संरक्षण के लिए आदिम जनजाति डाकिया खाद्यान्न योजना (पीटीजी) को लागू किया गया है। इस योजना में सरकार की ओर से प्रत्येक परिवार को माह में 35 किलो चावल दिया जाता है। खाद्य एवं आपूर्ति विभाग से जुड़े अधिकारी अनाज आदिम जनजाति के घरो तक पहुंचाते हैं। हर माह यह प्रक्रिया चलती है। इस सुविधा के कारण जनजाति परिवार को जन वितरण प्रणाली की दुकानों तक आने-जाने की जरूरत नहीं होती है।
क्या है इस योजना का उद्देश्य
इस योजना की शुरुआत आदिम जनजाति को खाद्य सुरक्षा देने के लिए की गई है। सामान्य रूप से आदिम जनजाति के अधिकतर लोगों को पास कोई रोजगार का साधन नहीं है। थोड़ी बहुत खेती करके ही जीवन यापन करते हैं। जंगलों में मिलने वाले उत्पाद पर भी इसकी जिंदगी निर्भर करती है। ऐसे में डाकिया योजना आदिम जनजाति के लिए उपयोगी है।