केंद्र सरकार के कोल ब्लॉक नीलामी के फैसले को झारखंड सरकार ने दी चुनौती
केंद्र सरकार की ओर से वाणिज्यिक खनन के लिए कोल ब्लॉक की नीलामी प्रक्रिया शुरू करने के एक दिन बाद ही झारखंड सरकार ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। यह जानकारी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शनिवार को...
केंद्र सरकार की ओर से वाणिज्यिक खनन के लिए कोल ब्लॉक की नीलामी प्रक्रिया शुरू करने के एक दिन बाद ही झारखंड सरकार ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। यह जानकारी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शनिवार को दी। उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा कि नीलामी प्रक्रिया बिना सामाजिक-आर्थिक-पर्यावरण सर्वे के शुरू करना वनों और आदिवासी आबादी की घोर उपेक्षा है। यह निर्णय संघीय ढांचा के विपरित भी है। इसलिए सरकार ने निर्णय लिया है कि केंद्र के इस कदम के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ेंगे।
नीलामी प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि कोल ब्लॉक आवंटन में पूरी तरह विदेशी निवेश की बात कही जा रही है। कोरोना के कारण पूरी दुनिया में लॉकडाउन है, ऐसे में विदेशी निवेशकों में समुचित प्रतिस्पर्धा का अभाव रहेगा। इस स्थिति में कोल ब्लॉक को बाजार मूल्य नहीं मिलेगा। पर्यावरण को भी भारी नुकसान होगा। साथ ही कोयले के पुराने ढर्रे पर खनन से राज्य के वनवासी, आदिवासी और अन्य लोग फिर तबाह हो जाएंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र का यह बहुत बड़ा नीतिगत निर्णय है और इसमें राज्य सरकार को भरोसे में लेना जरूरी है। सोरेन ने कहा कि केंद्र ने हड़बड़ी में कोल ब्लॉक की नीलामी का निर्णय लिया है। राज्य सरकार ने केंद्र से खनन के विषय पर जल्दबाजी न करने का आग्रह किया था, लेकिन केंद्र की ओर पारदर्शिता अपनाने या राज्य को फायदा जैसा भरोसा नहीं दिलाया गया। दूसरी ओर कोल ब्लॉक की नीलामी शुरू कर दी गई।
सीएम ने केंद्र से कोल ब्लॉक की नीलामी प्रक्रिया में आगे नहीं बढ़ने की मांग की है। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा किया गया तो इस व्यवस्था को एक तरफा माना जाएगा। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को व्यापारियों के समूह ने जकड़ रखा है। उनके प्रभाव में ही कोल ब्लॉक की नीलामी में जल्दबाजी की जा रही है।
झारखंड के सीएम बोले : सीएम हेमंत सोरेन ने कहा कि प्रधानमंत्री कार्यालय और कोयला मंत्रालय की ओर से कोल ब्लॉक की नीलामी प्रक्रिया बिना सामाजिक-आर्थिक-पर्यावरण सर्वे के शुरू करना वनों और आदिवासी आबादी की घोर उपेक्षा है। यह निर्णय संघीय ढांचा के विपरित भी है।
केंद्र ने बिहार चुनाव का बिगुल फूंका : सीएम ने केंद्र की ओर से राज्य में तीन जिलों में प्रवासी श्रमिकों की रोजगार योजना शुरू करने पर कहा कि इस दिशा में राज्य सरकार करीब एक महीने पहले शुरुआत कर चुकी है। अब तक प्रतिदिन छह लाख श्रमिकों को काम मुहैया कराया जा रहा है। सरकार ने प्रतिदिन दस लाख लोगों को रोजगार देने का लक्ष्य निर्धारित किया है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने बिहार चुनाव के मद्देनजर गरीब कल्याण रोजगार अभियान की शुरुआत कर चुनावी बिगुल फूंका है।
बंद उद्योगों को गति देने के लिए समीक्षा जारी : राज्य में खनिज या अन्य कारणों से बंद उद्योगों की समीक्षा की जा रही है ताकि लोगों को अधिक से अधिक रोजगार दिया जा सके। सीएम ने कहा कि राज्य के संसाधनों का पूरी तरह आकलन किया जा रहा है ताकि रोजगार के नए अवसर पैदा किए जा सकें।