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Hindustan Special: नेशनल खिलाड़ी नौरी मुंडू का दर्द, हॉकी को सर्वस्व दिया; बदले में मिली बदहाली

नौरी बताती हैं कि 1992 से 2002 तक बरियातू हॉस्टल में रहकर खेल के साथ पढ़ाई करते हुए 12वीं तक की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद एयर इंडिया ने खेलने के लिए दो वर्ष का कांट्रैक्ट दिया।

Swati Kumari अजय शर्मा, खूंटीTue, 12 Sep 2023 10:17 PM
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15 से ज्यादा नेशनल हॉकी प्रतियोगिताओं में खेल चुकी नौरी मुंडू अब 43 वर्ष की हो गई हैं, लेकिन उन्होंने शादी नहीं की। कहती हैं हॉकी ने मेरी जिंदगी को बर्बाद कर दिया। अपना सर्वस्व मैंने हॉकी को दिया, लेकिन बदले में मेरी हालत ऐसी हो गई कि परिवार चलाने भर के पैसे का जुगाड़ भी जीवन में नहीं कर सकी। इस कारण से मैंने शादी नहीं की। नौरी मुंडू कहती हैं शुक्र है कि सिनी टाटा ट्रस्ट ने कोच बनाया। आज महिला स्कूल में कोच के रूप में नौकरी करती हूं, जिससे 13 हजार रुपए मुझे मेहनताना मिल जाता है। अन्यथा मुझे भी चौराहे पर बैठकर हंडिया बेचना पड़ता। आज इसी पैसों से मैं और मेरी विधवा बहन सिनी देवी एक साथ अपने पुश्तैनी घर में रहकर किसी तरह पेट पाल रहे हैं।

एयर इंडिया में नौकरी का कांट्रैक्ट खत्म होने पर चुनाव लड़ी:
अपनी जीवन व्यथा बताते हुए नौरी की आंखें नम हो गईं। नौरी बताती हैं कि 1992 से 2002 तक बरियातू हॉस्टल में रहकर खेल के साथ पढ़ाई करते हुए 12वीं तक की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद एयर इंडिया ने खेलने के लिए दो वर्ष का कांट्रैक्ट दिया। तब एयर इंडिया की ओर से प्रति माह 4500 रुपए दिए जाते थे। दो साल बाद कांट्रैक्ट समाप्त होते ही नौरी 2004 में घर वापस चली आईं। पढ़ाई छूट गई। खेती-बारी के लिए पूंजी नहीं थी। इस कारण नौरी मुंडू ने सोचा कि वह नेशनल प्लेयर है पंचायत चुनाव लड़ेंगी तो जीत जाएंगी और सम्मानजनक जीवन मिलेगा। उन्होंने लगभग 12 वर्ष पहले हुए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में मुखिया पद के लिए पर्चा भरा, लेकिन जनता का प्यार नहीं मिल सका और वह चुनाव हार गईं। इसके बाद नौरी लगभग डिप्रेशन में चली गईं।
2014 में हिन्दुस्तान की पहल पर सिनी टाटा ट्रस्ट ने दी नौकरी :

वर्ष 2014 में हिन्दुस्तान की पहल पर सिनी टाटा ट्रस्ट में शिक्षा के क्षेत्र में नौरी मुंडू को 5000 रुपए मानदेय के साथ नौकरी मिली। दो साल बाद उन्हें संस्था ने हॉकी कोच बना दिया और मानदेय छह हजार रुपए हो गया। संस्था ने नौरी का मानदेय बढ़ाते हुए अब 13000 रुपए प्रति माह कर दिया है, जिससे वह खुद और अपनी बहन के लिए दो शाम के लिए भोजन का जुगाड़ कर लेती हैं।

इन राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में शामिल हो चुकी हैं नौरी मुंडू
-2001 में 31वां नेशनल गेम, पंजाब
-1998 में 49वां सीनियर वुमन नेशनल चैम्पियनशिप
-1980 में स्कूल गेम फेडरेशन ऑफ इंडिया
-1999 में वुमन हॉकी फेडरेशन कप
-1999 में नेशनल गेम मणिपुर
-1995 में 11वां सब जूनियर गर्ल्स नेशनल हॉकी चैम्पियनशिप
-2003 में 52वां सीनियर वुमन नेशनल हॉकी चैम्पियनशिप
-1995 में अंडर-17 सेकेंड नेहरू गर्ल्स हॉकी टूर्नामेंट
-1997 में स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया

बिहार सरकार ने किया था सम्मानित :
कुल 15 नेशनल प्रतियोगिताएं नौरी मुंडू खेल चुकी हैं। वर्ष 1995 में बिहार सरकार ने नौरी मुंडू को खेल सम्मान पत्र दिया था। नौरी मुंडू कहती हैं कि अब उनके जीवन में इन सारे सर्टिफिकेट की कोई अहमियत नहीं रह गई है। वह एक फटी पुरानी फाइल से निकालकर सर्टिफिकेट दिखा रही थीं, उसके बाद उसे जमीन पर ही रखती जा रही थीं। इसके बाद खेल को कोसती जा रही थीं।
 

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