वासेपुर में कोयला, लोहा और जमीन के बाद रंगदारी की जंग, गैंगस्टर मामा-भांजे की लड़ाई में बह रहा खून
कोयला, लोहा और जमीन के लिए शुरू हुई जंग अब रंगदारी वसूली की जंग में तब्दील हो गई है। वासेपुर को जानने वाले बताते हैं कि 80 के दशक में वासेपुर में रेलवे का लोहा और स्क्रैप के धंधे के लिए खून बहते थे।
Jharkhand News: झारखंड के धनबाद जिला स्थित वासेपुर की चर्चा होते ही सबके जेहन में गैंगस्टर फहीम खान और साबिर आलम की दुश्मनी की बात आ जाती है। गैंग्स ऑफ वासेपुर पार्ट-2 फिल्म में भी निर्देशक अनुराग कश्यप ने फहीम खान और साबिर आलम की दांत काटी रोटी के संबंध से लेकर एक-दूसरे के जानी दुश्मन बनने तक की कहानी दिखाई है। फहीम और साबिर की दोस्ती और दुश्मनी के केंद्र में लोहा की तस्करी को दिखाया गया है। अब वासेपुर में जंग का रंग थोड़ा बदल गया है। कोयला, लोहा और जमीन के लिए शुरू हुई जंग अब रंगदारी वसूली की जंग में तब्दील हो गई है। वासेपुर को जानने वाले बताते हैं कि 80 के दशक में वासेपुर में रेलवे का लोहा और स्क्रैप के धंधे के लिए खून बहते थे। 90 के दशक के बाद यहां जमीन के टुकड़ों के लिए लोग विरोधियों के टुकड़े करने लगे।
किसी भी कारोबार में प्रिंस खान को चाहिए रंगदारी
हाल के कुछ महीनों से वासेपुर में रंगदारी के लिए फहीम खान और उसके भांजों में ठनी हुई है। कारोबार कोई भी हो प्रिंस खान को रंगदारी चाहिए। कोयला, जमीन, रियल एस्टेट हो या फिर कोई पेशागत फायदेमंद व्यवसाय, प्रिंस खान को आमदनी वाले हर आदमी से रंगदारी चाहिए। विदेश में छिप कर बैठा प्रिंस खान अपने मामा फहीम खान के करीबियों को सबसे ज्यादा निशाना बना रहा है। फहीम के फाइनेंसर माने जाने वालों से प्रिंस ने सबसे पहले रंगदारी मांगनी शुरू की। मछली कारोबारी, ईस्ट बसुरिया के एक आउटसोर्सिंग संचालक के अलावा कई बड़े जमीन कारोबारी इस लिस्ट में शामिल हैं, जो फहीम खान के राजदार हैं। उनसे चुन-चुन कर प्रिंस रंगदारी मांग रहा है।
फहीम और साबिर की दुश्मनी में कई की गई जान
फहीम खान और साबिर आलम के बीच दुश्मनी में वासेपुर और नया बाजार के कई लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। दोनों की अदावत में अतीत में जान गंवाने वालों की लंबी फेहरिस्त है। फहीम और साबिर की दुश्मनी को नया बाजार और वासेपुर के द्वंद्व से भी जोड़ कर देखा जाता रहा है। नया बाजार में असगर, भूली मोड़ में अंजार, नजीर, सुल्तान, जफर अली आदि की हत्याएं इन दोनों की दुश्मनी का ही प्रतिफल माना जाता है।
फहीम की मां-मौसी की हत्या से शीर्ष पर पहुंची दुश्मनी
फहीम और साबिर की अदावत में वर्ष 2001 में सबसे बड़ा पन्ना जुड़ा, जब साबिर ने फहीम की मां नजमा और मौसी शहनाज को डायमंड क्रासिंग के पास गोलियों से भुनवा दिया। इस कांड में साबिर को हाईकोर्ट से सजा हो चुकी है। वह अपील बेल पर बाहर निकल कर फरार है। 2004 में फहीम के घर पर एके-47 राइफल से हमला हुआ था। इन दोनों घटनाओं के प्रतिशोध में रांची के हटिया में साबिर के भाई वाहिद की हत्या हुई। 2014 में रांची में साबिर की भी हत्या कराने की साजिश का पर्दाफाश हुआ था। इसमें फहीम गुट के 5 शूटर पकड़े गए थे। दिलचस्प बात यह है कि साबिर से चली अदावत को कभी फहीम के पक्ष में उनके भांजे ही लीड करते थे और आज भांजे फहीम के जानी दुश्मन बन बैठे हैं।