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द्रौपदी मुर्मू की जीत से सरना धर्म को अलग दर्जा मिलने की बंधी आस

द्रौपदी मुर्मू देश की नई राष्ट्रपति बन गई हैं। ऐसे में संताल समाज के लोगों को उम्मीद है कि अब सरना धर्म को मान्यता मिल जाएगी। वे दशकों से जनगणना में सरना धर्म का अलग कोड और कॉलम की मांग कर रहे हैं।

Sneha Baluni प्रमुख संवाददाता, जमशेदपुरFri, 22 July 2022 07:23 AM
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संताल समाज की बेटी द्रौपदी मुर्मू के देश के सर्वोच्च पद पर पहुंचने के बाद यहां के लोगों उम्मीद जगी है कि अब सरना धर्म को मान्यता मिल जाएगी। जनगणना में सरना धर्म का अलग कोड व कॉलम होगा। इसकी मांग दशकों से चल रही है। हालांकि समाज के लोग मुर्मू के यहां तक के सफर को ही मिसाल मानते हैं। संताल आदिवासियों की स्वशासन व्यवस्था चलाने वाली इकाई माझी-परगना महाल के प्रतिनिधि इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि मुर्मू के राष्ट्रपति बनने से यह तो तय है कि सुदूर इलाकों में आदिवासियों के हक व हिस्सेदारी मांगने की दबी नहीं रहेगी। इसके लिए सभी लोगों ने लंबे समय से संघर्ष किया है। अब उसका फल मिलेगा।

तोरोफ परगना-माझी परगना महाल के दशमत हांसदा ने कहा, 'हमारे लिए द्रौपदी मुर्मू का राष्ट्रपति बनना एक सामाजिक बदलाव की क्रांति की शुरुआत होने जैसा है। हमें उनसे उम्मीदें जरूर हैं, लेकिन हम उन्हें हमारी उम्मीदों का दबाव नहीं देना चाहते। उन्हें पूरे राष्ट्र की चिंता करनी है, उसमें हम भी हैं। 75 साल में हमारे बीच से महिला राष्ट्रपति भवन पहुंची, यही हमारे समाज में बदलाव लाने के लिए काफी है।'

माझी बाबा- माझी परगना महाल की दुर्गा चरण मुर्मू ने कहा, 'द्रौपदी मुर्मू संताल समाज के गौरव हैं। उनसे उम्मीदें कई हैं। यह भी उम्मीद बढ़ी है कि अब सरना धर्म को मान्यता मिल जाएगी, लेकिन हम इस उम्मीद से ज्यादा इस बात से संतुष्ट और गौरवान्वित हैं कि अब संताल महिला राष्ट्र के सर्वोच्च पद पर विराजमान होंगी और संताल समाज के साथ पूरे देश के हित में काम करेंगी। इसके लिए सभी ने संघर्ष किया है।'

परगना आयो-कालिकापुर-तोरोफ की पुनीता मुर्मू ने कहा, 'संताल महिला होने के नाते मैं शब्दों में बयां नहीं कर पा रही कि मुझे कितना गर्व हो रहा है द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्रपति बनने पर। उनकी इस उपलब्धि ने मेरी जैसी महिलाओं को प्रेरणा दी है। मुझे उम्मीद है कि उनसे प्रेरणा लेकर समाज उत्थान की राह चलेगा। हम सरना धर्म की मान्यता के लिए संवैधानिक प्रक्रिया से हम अंजाम तक जरूर पुहंचेंगे। इसमें सभी को सहयोग लिया जाएगा।'

एलबीएसएम कॉलेज जमशेदपुर में संताली विभाग के डॉ.लखाई बास्के ने कहा, 'अब संताल आदिवासी पूरे राष्ट्र में कहीं भी पहचान को मोहजात नहीं होंगे। द्रौपदी मुर्मू ने समाज की पहचान को स्थापित करने में ऐतिहासिक योगदान दिया है। उनकी इस उपलब्धि को संताल समाज अपनेपन में अपनी उपलब्धि मान रहा है। उम्मीद है कि राष्ट्र की प्रथम नागरिक के तौर पर द्रौपदी मुर्मू सशक्त नेतृत्व के बूते पूरे देश के हित में इतिहास रचेंगी।'

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