झारखंड में कोरोना से मौत का आंकड़ा 500 पार, इस जिले में हुई सबसे ज्यादा मौतें
राज्य में कोरोना से संक्रमित मरीजों की मौत का आंकड़ा 500 को पार कर चुका है। सूबे में मंगलवार रात तक मिले 55296 मरीजों में से 503 मरीजों की मौत हो चुकी है। हालांकि राष्ट्रीय औसत 1.68 प्रतिशत के...
राज्य में कोरोना से संक्रमित मरीजों की मौत का आंकड़ा 500 को पार कर चुका है। सूबे में मंगलवार रात तक मिले 55296 मरीजों में से 503 मरीजों की मौत हो चुकी है। हालांकि राष्ट्रीय औसत 1.68 प्रतिशत के मुकाबले राज्य में मृत्युदर (.90) अभी कम है। राज्य का एक मात्र जिला पूर्वी सिंहभूम ही ऐसा है जहां मृत्युदर राष्ट्रीय औसत से ज्यादा है। अब तक मिले 9554 मरीजों में पूर्वी सिंहभूम में 226 मरीजों की मौत के साथ यहां मौत का प्रतिशत 2.36 पहुंच चुका है। मौत प्रतिशत के मामले में धनबाद (1.10) दूसरे व साहिबगंज (.94)तीसरे स्थान पर है। मृतकों की संख्या के मामले में रांची वैसे तो दूसरे स्थान पर है, लेकिन मौत की प्रतिशत की बात करें तो रांची में अब तक महज .71 प्रतिशत मरीजों की ही मौत हुई है। राज्य का एक मात्र जिला जामताड़ा ही ऐसा है जहां अब तक एक भी मौत की पुष्टि नहीं हुई है।
किस जिले में कितनी मौत : पूर्वी सिंहभूम में 226, रांची में 81, धनबाद में 40, हजारीबाग में 20, कोडरमा में 17, बोकारो में 16, पश्चिमी सिंहभूम में 15, देवघर में 13, रामगढ़ में 12, साहेबगंज व गिरिडीह में 9-9, पलामू व गढ़वा में 7-7, सरायकेला में 5, चतरा, दुमका, गोड्डा व सिमडेगा में 4-4, खूंटी व लोहरदगा में 3-3, गुमला में 2 और लातेहार व पाकुड़ में 1-1 मरीज की मौत हुई है।
देरी से अस्पताल पहुंचने के कारण हो रही मौत : राजधानी में पिछले दिनों कई ऐसे मामले देखने को मिले जिसमें मरीज अंतिम समय में अस्पताल पहुंचे और महज 8-10 घंटे के अंदर उनकी मौत हो गई। कोविड नोडल अफसर डॉ ब्रजेश मिश्रा कहते हैं कि कोरोना से ऐसे मरीजों की भी मौत हो रही है, जो सर्दी-खांसी, बुखार को मामूली समझकर दबाकर रख रहे हैं और देर से अस्पताल पहुंच रहे हैं। सही समय में अस्पताल नहीं पहुंचने से उनका लंग्स पूरी तरह खराब हो जाता है। इसके बाद उन्हें बचाना मुश्किल हो जाता है।
बेड का प्रबंधन भी जरूरी : डॉ. ब्रजेश मिश्रा ने बताया कि आइसीयू में केवल वेंटिलेटर वाले मरीज रखे जाएं। जिन्हें ऑक्सीजन व इंजेक्टबल दवाइयां लग रही हों, उन्हें वार्ड में रखा जाए। यह सुझाव समय की मांग है, क्योंकि बहुत सारे मरीज बेड के इंतजार में गंभीर हो जाते हैं और उन्हें बचाना मुश्किल हो जाता है। इस प्रकार सरकारी एवं प्राइवेट अस्पतालों में बेडों का प्रबंधन भी जरूरी है ताकि जरूरत के अनुसार मरीजों का उपचार हो सके।
जांच में भी कर रहे देरी : कोरोना को लोग मामूली समझकर दबाकर रख रहे हैं। जांच भी देरी से करा रहे हैं। डॉ मिश्रा कहते हैं कि मरीजों को जब सांस लेने में दिक्कत या निमोनिया जैसे स्थिति होती है उसके बाद अस्पताल पहुंच रहे हैं। लोगों को बीमारी को दबाकर नहीं रखनी चाहिए। मामूली लक्षण दिखने या शक होने पर तत्काल जांच करानी चाहिए।
सर्वाधिक मौत प्रतिशत वाले जिलों का साप्ताहिक वश्लेषण
जिला 23 अगस्त 30 अगस्त 6 सितंबर 8 सितंबर
पूर्वी सिंहभूम 2.45 2.75 2.43 2.36
धनबाद .98 .99 1.00 1.10
साहेबगंज 1.36 .94 .96 .94
देवघर .91 .88 .81 .82
कोडरमा 1.04 1.11 0.98 .82
हजारीबाग 1.57 1.18 .93 .81
रांची .84 .81 .66 .71
प. सिंहभूम .90 .94 .63 .71
बोकारो 1.12 .97 .75 .60
झारखंड 1.06 1.07 .92 .90