Hindi Newsझारखंड न्यूज़Compulsion such that if someone rides on a mule then someone reaches home sitting in the trucks like animals

मजबूरी ऐसी की कोई खच्चर पर सवार हो तो कोई ट्रकों में जानवरों की तरह बैठ घर पहुंचा

निरसा के उपचुरिया गांव के पास ईंट-भट्ठा में काम कर रहे मजदूर लॉकडाउन में काम बंद होने के कारण बेरोजगार हो गए। इनमें छह मजदूर लातेहार से आए थे। साथ ही 12 से अधिक खच्चर साथ लाए थे, जिससे वे ईंटें ढोने...

rupesh हिटी, धनबादThu, 14 May 2020 06:18 PM
share Share

निरसा के उपचुरिया गांव के पास ईंट-भट्ठा में काम कर रहे मजदूर लॉकडाउन में काम बंद होने के कारण बेरोजगार हो गए। इनमें छह मजदूर लातेहार से आए थे। साथ ही 12 से अधिक खच्चर साथ लाए थे, जिससे वे ईंटें ढोने का काम करते थे। काम बंद होने के कारण मजदूर अपने 12 खच्चर को साथ लेकर बुधवार की सुबह साढ़े दस बजे लातेहार अपने गांव के लिए निकल पड़े। 

महाराष्ट्र से ट्रक पर सवार होकर गोड्डा जा रहे मजदूर : महाराष्ट्र से ट्रक पर सवार होकर गोड्डा जा रहे 35 लोगों को धनबाद में रोका गया। पूछताछ के बाद सभी की थर्मल स्क्रीनिंग के बाद गोड्डा जाने की इजाजत दी गई। मुंबई से गोड्डा जा रहे इन श्रमिकों का ट्रक तिराहा होने के कारण मटकुरिया चेकपोस्ट पर पता पूछने के लिए रुका। जिसके बाद  ट्रक की जांच की गई। ट्रक के डाले में सभी मजदूर बेसुध लेटे हुए थे। तेज गर्मी और चार दिन से जारी यात्रा के कारण उनकी हाल्ंात काफी दयनीय हो गई थी। श्रमिकों के लिए चलाई जा रही विशेष ट्रेनों का टिकट नहीं मिल पाने के कारण सभी ने मिलकर  ट्रक को भाड़े पर लिया। सबने करीब तीन-तीन हजार रुपये दिए, तब जाकर ट्रक सवार जाने को राजी हुआ। उनके पास राशन और पैसे खत्म हो चुके थे, वे अब बस किसी तरह घर पहुंच जाना चाहते थे। 

इस संबंध चेकपोस्ट के नोडल पदाधिकारी सह जिला शिक्षा अधीक्षक इंदू भूषण सिंह ने बताया कि सभी लोग ट्रक में बैठ महाराष्ट्र से आ रहे थे व गोड्डा जा रहे थे। सभी के पास महाराष्ट्र सरकार की ओर से जारी मेडिकल सर्टिफिकेट था। लोगों ने कहा कि सर्टिफिकेट के आधार पर महाराष्ट्र से लेकर धनबाद तक आ गए। जिला शिक्षा अधीक्षक ने बताया कि डीसी अमित कुमार के निर्देश के बाद सभी की पीएमसीएच ने थर्मल स्क्रीनिंग कराई गईं। सामान्य मिलने पर गोड्डा जाने की इजाजत दी गई।

गांव से पैसा मंगा साइकिल खरीदी फिर निकल पड़े साहिबगंज : साहिबगंज जिले के जोका थाना स्थित राजमहल तीन पहाड़ी के पांच मजदूर भुवनेश्वर में शौचालय निर्माण का काम करने गए थे। मो सलीम, मो सरफराज, मो मजीद, मो सिराज व मो अफरोज अचानक लॉकडाउन हो जाने से बेरोजगार हो गए। कुछ रकम उनके पास जमा थी, सबने उसे एक साथ जमा किया। जिसके बाद वे कभी शिविर में खाते, कभी खुद बनाकर। धीरे-धीरे वह खत्म होने लगा। पैसा खत्म होता देख सबने किसी भी तरह गांव लौटने की ठानी। सात मई की दोपहर सभी ने 750 किमी की यात्रा पैदल ही शुरू कर दी। रास्ते में कहीं किसी वाहन ने लिफ्ट दिया तो सफर थोड़ा आसान हुआ। उन्हें यह तक पता नहीं था कि लॉकडाउन पूरे देश में है। सोचा रांची पहुंचककर बस से गांव चले जाएंगे। रांची में जब बस नहीं मिली तो गांव से सबने कुल मिलाकर 18 हजार रुपये उधार लेकर मंगाए। उन पैसों से तीन साइकिल खरीदी। उन पर सवार होकर पांचों ने फिर यात्रा शुरू की। करकेंद पहुंचे पांचों श्रमिकों को फ्रेंड्स ग्रुप ने भोजन कराया और वे फिर गांव के लिए रवाना हो गए।

गुजरात में फंसे झारखंड के छात्र-छात्राओं को वापस लाने की गुहार  : झारखंड के 6 बच्चे (विद्यार्थी) जिसमे 3 लड़कियां भी शामिल है गुजरात के बड़ौदा और सूरत में लॉकडाउन की वजह से पिछले 50 दिनों से फंसे हुए हैं। ये छात्र-छात्राएं धनबाद, गुमला, जमशेदपुर के रहने वाले हैं। कुछ बच्चे बच्चियां जो वहीं होस्टल में रहती है, उन होस्टल को भी क्वारंटाइन सेंटर बनाया जा रहा है। बच्चों को जल्द से जल्द होस्टल खाली करने का दबाव बनाया जा रहा है। प्रधानमंत्री जन कल्याणकारी योजना प्रचार प्रसार  झारखण्ड की प्रदेश मंत्री रमा सिन्हा ने ट्िवटर पर पीएमओ और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को ट्िवट कर बच्चों की सुरक्षित वापसी की गुहार लगाई है। उन्होंने कहा कि सभी बच्चे एक ही यूनिवर्सिटी के हॉस्टल में हैं। दूसरे प्रदेश के बच्चों को सरकार ने सुविधा देकर वापस बुला लिया है। झारखंड के बच्चों को वापस लाने के लिए सरकार अपने स्तर से पहल करे।  

अगला लेखऐप पर पढ़ें