जमशेदपुर : आज से 188 कर्मचारियों से ही काम चलाएगा BSNL
भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) के जमशेदपुर के कर्मचारियों की संख्या आधी से भी कम हो गई। आधे से अधिक लोगों ने वीआरएस लेकर नौकरी छोड़ दी है। नौकरी छोड़ने वालों की संख्या 228 है। इनके साथ 7 अन्य...
भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) के जमशेदपुर के कर्मचारियों की संख्या आधी से भी कम हो गई। आधे से अधिक लोगों ने वीआरएस लेकर नौकरी छोड़ दी है। नौकरी छोड़ने वालों की संख्या 228 है। इनके साथ 7 अन्य रिटायर भी हुए हैं। इस प्रकार एक साथ 235 टेलीफोन कर्मचारी कम हो गए हैं।
अब शनिवार से मात्र 188 कर्मचारियों (44%) से ही बीएसएनएल को काम चलाना होगा। इसका असर आमलोगों की रोजमर्रा से जुड़ी महत्वपूर्ण सेवा पर पड़ेगा। वीआरएस लेने वाले अधिकांश कर्मचारी फील्ड वर्कर हैं। मोबाइल टावर, लीज लाइन और लैंड लाइन फोन की सेवा को सुचारू रखने और मरम्मत करने में इन्हीं की मुख्य भूमिका थी। जिले में कुल 423 कर्मचारी थे।
खाली हाथ हुए रिटायर
नियमानुसार वीआरएस लेने वाले कर्मचारियों को दस माह का अतिरिक्त वेतन मिलना था। परंतु दुखद यह है कि इन्हें दो माह से तो वेतन ही नहीं मिला है। दिसंबर व जनवरी का वेतन लिए बिना खाली हाथ नौकरी छोड़ने और अनिश्चित भविष्य का गम कर्मचारियों के चेहरे पर साफ झलक रहा था।
कई एक्सचेंज खाली
पटमदा, घाटशिला, हल्दीपोखर, चाईबासा, चक्रधरपुर, नोवामुंडी और कदमा टेलीफोन एक्सचेंज के अधिकांश कर्मचारियों ने वीआरएस ले लिया है। इसके कारण दूरदराज के टेलीफोन एक्सचेंज का कामकाज प्रभावित होना तय माना जा रहा है। यही नहीं, जमशेदपुर मुख्यालय में भी अकाउंट, कामर्शियल, स्थापना, गोलमुरी एक्सचेंज और कस्टमर केयर सेंटर का कामकाज बाधित होने का अनुमान है।
यूनियन की कमजोरी से कर्मचारी बेबस : केके
नेशनल फेडरेशन ऑफ टेलीकॉम इम्प्लाइज (एनएफटीई) के पूर्व राष्ट्रीय सचिव केके सिंह का आरोप है कि मान्यता प्राप्त यूनियन की कमजोरी के कारण देश भर के 80 हजार कर्मचारियों को एक साथ वीआरएस लेना पड़ा। यह विश्व रिकार्ड है। उन्हें अधिकारियों द्वारा अधिक काम का बोझ दिखा डराया-धमकाया गया था। उनका सवाल है कि 2000 में बनी इस कंपनी में जब ढाई लाख कर्मचारी थे तब 8 से 10 हजार करोड़ का मुनाफा हुआ था। अब जब डेढ़ लाख ही कर्मचारी रह गए तो घाटा कैसे होने लगा?