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सावधान : पुलिस सम्मान की होड़ में शामिल संगठनों की होगी जांच, जान लें कारण

कोरोना संक्रमण काल में ड्यूटी पर तैनात पुलिस, स्वास्थ्य समेत अन्य कर्मियों को सम्मानित करनेवाले संगठनों पर पुलिस की पैनी नजर है। पुलिस संगठनों की भूमिका व उनकी गतिविधियों को खंगालेगी।  राज्य...

rupesh बोकारो विजय कुमार, Mon, 1 June 2020 04:54 PM
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कोरोना संक्रमण काल में ड्यूटी पर तैनात पुलिस, स्वास्थ्य समेत अन्य कर्मियों को सम्मानित करनेवाले संगठनों पर पुलिस की पैनी नजर है। पुलिस संगठनों की भूमिका व उनकी गतिविधियों को खंगालेगी। 

राज्य पुलिस मुख्यालय से भेजे गए अलर्ट पर राज्य के हर जिलों के साथ बोकारो में भी कोरोना योद्धाओं को सम्मानित करने की होड़ में शामिल समाजसेवी संगठनों की गतिविधियों व उनकी भूमिका की जांच शुरू कर दी गई है। इस संबंध में एसपी चंदन कुमार झा ने सभी डीएसपी को गाइडलाइन जारी कर दी है।

नहीं लेंगे अब सम्मान: पुलिस मुख्यालय से भेजे गए आदेश पत्र में इस बात का जिक्र किया गया है कि कई समाजसेवी संगठन में शामिल अपराधी या आपराधिक छवि के लोग पुलिसकर्मियों को सम्मानित कर रहे हैं। साथ ही तस्वीर लेकर समाज के बीच अपना प्रभाव बना रहे हैं। कई समाजसेवी संगठनों की भूमिका भी लगातार संदेहास्पद रही है। कई संगठन अपने निजी स्वार्थ के लिए इस होड़ में शामिल हैं, तो सम्मान के नाम पर चंदा उगाही में शामिल है, जिससे पुलिस की छवि खराब होने का खतरा है। इसको देखते हुए निर्देशित किया गया है कि कोई भी पुलिसकर्मी अब बगैर सक्षम पदाधिकारी के निर्देश के सम्मान हासिल नहीं करेगा और न ही सम्मान सभा में शामिल होगा।

नक्सल हमले की आशंका: मुख्यालय से जारी अलर्ट की खास वजह राज्य की खुफिया एजेंसी स्पेशल ब्रांच की रिपोर्ट में जाहिर की गई आशंका है। आशंका जाहिर की गई है कि नक्सल दस्ता कोरोना योद्धा सम्मान की आड़ में नक्सल क्षेत्र में तैनात पुलिसकर्मियों के हथियार व वायरलेस सेट हासिल करने के लिए हमले कर सकते हैं। नक्सलियों ने एंटी नक्सल ऑपरेशन में शामिल पुलिस व पारा मिलिट्री फोर्स पर हमले की यह रणनीति तैयार की है। 

आयोजन पर नक्सल साया : बेरमो अनुमंडल घोर नक्सल इलाके में शामिल है। पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार इन इलाकों में होनेवाले आयोजनों पर नक्सल साया बना रहा है। चाहे ग्रामीण फुटबॉल मैच हो या फिर सुदूरवर्ती इलाके में लगनेवाले मेले। दस्ते की मौजूदगी होती है। पुलिस के सामने समस्या है कि उनके पास नक्सल दस्ते में शामिल सदस्यों की पहचान नहीं होती। ऐसी स्थिति में पुलिस मुख्यालय का यह अलर्ट सतर्कता के लिहाज से अहम है। सम्मान सभा या आयोजन से दूरी एंटी नक्सल ऑपरेशन में लगे जिला बल एवं पारा मिलिट्री फोर्स के लिए सेफ्टी के लिहाज से आवश्यक है, क्योंकि नक्सली अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। 

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