Hindi Newsझारखंड न्यूज़Auraiya accident: one more injured young man died in Bokaro number of dead was 28

औरैया हादसा : बोकारो के एक और घायल युवक की हुई मौत, मृतकों की संख्या 28 हुई

16 मई की सुबह औरैया में हुए दर्दनाक हादसे में घायल होकर अज्ञात के रूप में भर्ती हुए एक और युवक की मौत हो गई। उसकी मौत के बाद अस्पताल में ही भर्ती पड़ोसी योगेश्वर ने उसकी शिनाख्त बोकारो झारखंड के रहने...

rupesh हिटी, बोकारो Tue, 19 May 2020 02:59 AM
share Share

16 मई की सुबह औरैया में हुए दर्दनाक हादसे में घायल होकर अज्ञात के रूप में भर्ती हुए एक और युवक की मौत हो गई। उसकी मौत के बाद अस्पताल में ही भर्ती पड़ोसी योगेश्वर ने उसकी शिनाख्त बोकारो झारखंड के रहने वाले निरोड कालिंदी (35 वर्ष) के रूप में की, तब परिजनों को सूचना दी गई। 

खबर लिखे जाने तक परिजनों की मांग पर प्रशासन शव को बोकारो भेजने की व्यवस्था कर रहा था। सैफई पुलिस ने पोस्टमार्टम कराकर शव को औरैया पुलिस को सौंप दिया। अब इस हादसे में मरने वालों की संख्या 28 हो गई है। इनमें सर्वाधिक 12 बोकारो के रहने वालों की है।  16 मई की तड़के सो रहे प्रवासियों को ले जाने वाले ट्राला की पहले से प्रवासियों के भरी खड़ी डीसीएम में टक्कर से हादसा हुआ था। हादसे में मौके पर ही 26 प्रवासियों की मौत हो गई थी, जबकि 31 को सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी में भर्ती कराया गया था। 

दो बेटियों की शादी की चिंता में घर छोड़कर कमाने गए थे कालिंदी : परिजनों ने बताया कि निरोड पहले गांव में ही मेहनत-मजदूरी कर गुजारा कर रहे थे। लेकिन, जैसे-जैसे बच्चे बड़े होने लगे तो उनको ज्यादा पैसों की जरूरत पड़ी और बच्चों की पढ़ाई व दो बेटियों की शादी की चिता में ही वह बोकारो से राजस्थान कमाने गया था। पांच महीने पहले निकला कालिंदी वापस घर नहीं जा पाया और अब उसका शव गांव जा रहा है। निरोड के भतीजे विकास ने बताया कि राजस्थान के बांगरू में गांव के कई लोग मार्बल का काम करते हैं। चाचा निरोड भी पांच महीने पहले गांव से उन्हीं के पास बांगरू गए थे और मार्बल कंपनी में काम करने लगे थे। निरोड की शादी करीब 15 साल पहले हुई थी और उनकी बड़ी बेटी पूजा 12 साल की हो गई है, जबकि छोटी बेटी पूनम 9 और बेटा अभिषेक अभी 3 साल का है। उन्होंने बताया कि चाचा गांव में ही काम करते थे, लेकिन जब बच्चे बड़े होने लगे तो अधिक पैसों की जरूरत पड़ी। बच्चों को अच्छी व परवरिश देने और उनकी अच्छी शादी करने के लिए वह बाहर कमाने गए थे। पत्नी झिंगली देवी इतनी दूर काम करने के खिलाफ थीं। लेकिन परिवार की जिम्मेदारियों की दुहाई देकर निरोड ने उनको मना लिया था और वे दिसंबर में घर से चले गए थे। तब से लेकर वह कभी घर नहीं लौटे, केवल पैसे भेज देते थे। अब लाकडाउन में उनका काम बंद हुआ तो घर जाने को अपने साथियों के साथ ट्राला में बैठकर गांव आ रहे थे। लेकिन उनको क्या पता था कि वे नहीं घर में उनका शव पहुंचेगा। 

अगला लेखऐप पर पढ़ें