झारखंड में धधकती आग पर 70 बस्तियां, 60 हजार लोग; 'प्रलय' से पहले किए जाएंगे शिफ्ट
झारखंड के धनबाद जिला अंतर्गत झरिया से 12 हजार परिवारों के तकरीबन 60 हजार लोग विस्थापित होंगे। केंद्रीय कोयला मंत्रालय के निर्देश पर स्थानीय प्रशासन लोगों को सुरक्षित स्थानों में शिफ्ट करेगा।
झारखंड के धनबाद जिला अंतर्गत झरिया से 12 हजार परिवारों के तकरीबन 60 हजार लोगों को विस्थापित होना पड़ेगा। केंद्रीय कोयला मंत्रालय के निर्देश पर स्थानीय प्रशासन लोगों को सुरक्षित स्थानों में शिफ्ट करेगा। केंद्रीय कोयला सचिव अमृत लाल मीणा और झारखंड के मुख्य सचिव सुखदेव सिंह ने कोल इंडिया, जिला प्रशासन और बीसीसीएल से जुड़े अधिकारियों के साथ बैठक कर जरूरी निर्देश दिए हैं। 70 सबसे खतरनाक स्थानों का चयन किया गया है। इन स्थानों में कभी भी बड़े हादसे की आशंका बनी रहती है।
झरिया में चिह्नित किए गए 70 अति-संवेदनशील स्थान
गौरतलब है कि झरिया के अग्निप्रभावित तथा भू-धंसान से प्रभावित इलाकों से आगामी 3 महीने में 12 हजार परिवारों के 60 हजार लोगों को सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट करना है। ऐसे 595 स्थानों की पहचान की गई है जहां बीते कई वर्षों से आग लगने और भू-धंसान की घटना घटती आई है। बताया जा रहा है कि झरिया से अवैध रूप से रह रहे 9 हजार परिवारों, 1900 रैयतधारियों तथा 500 बीसीसीएल कर्मियों को शिफ्ट करना है। चिह्नित किए गए 595 में से 70 स्थानों पर रहना नामुमकिन हो चुका है। यहां कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है जिसमें जानमाल का भारी नुकसान होगा। बरोरा, कतरास, पुटकी, बलिदारी, सिजुआ, लोदना और बस्ताकोला अति-संवेदनशील इलाके के तौर पर चिह्नित किए गए हैं।
इन बस्तियों में अक्सर भू-धंसान होता है। जमीन पर लगी आग भयावह रुख अख्तियार कर लेती है। यहां तक कि तालाबों से भी धुआं और आग निकलता है। लोग त्वचा और श्वास संबंधी रोगों का भी शिकार हो रहे हैं। दरअसल, झारखंड के झरिया में भारत का सबसे बड़ा भूमिगत कोयला खदान है। नियम विरुद्ध खनन से ये स्थितियां उत्पन्न हुई हैं।
वर्षों से झरिया में जमीन के नीचे धधक रही है आग
झरिया की विभिन्न बस्तियों में आग लगने, भू धंसान और गोफ बनने की घटनाओं में अब तक सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है। इस समस्या को देखते हुए केंद्र सरकार ने लोगों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट करने का निर्देश दिया था। इसी आलोक में केंद्रीय कोयला मंत्रालय ने विस्थापन योजना को लेकर कई उच्चस्तरीय बैठकें की। योजना बनाई गई। शिफ्टिंग की प्रक्रिया बीसीसीएल को सौंपी गई है। कोयला सचिव अमृत लाल मीणा ने कहा कि स्थिति बद से बदतर होती जा रही है। शिफ्टिंग की प्रक्रिया में तेजी लाना जरूरी है। कोई बड़ा हादसा हो, इससे पहले ही लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा जाना सुनिश्चित करना होगा। यही नहीं। लोगों को जिन सुरक्षित ठिकानों पर शिफ्ट किया जाएगा वहां उन्हें स्कूल, अस्पताल, शुद्ध पेयजल, आवास तथा सड़क जैसी मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने का भी निर्देश दिया गया है। अगले 6 महीने में ये कार्य पूरा किया जाना है।
झारखंड के झरिया में विशाल भूमिगत कोयला खदान है
दरअसल, झारखंड के झरिया में विशाल भूमिगत कोयला खदान है। भूमिगत कोयला खदान में खनन कार्य के लिए कई नियमों का पालन करना होता है। खनन से खाली हुई जमीन पर मिट्टी की भराई करनी होती है लेकिन ऐसा नहीं किया गया। लगातार विस्फोट किए गए जिससे भू-धंसान की समस्या उत्पन्न हुई। भूमिगत कोयला खदानों में आग लग गई जिसे समय रहते बुझाने का प्रयास नहीं किया गया। धीरे-धीरे इसने झरिया के बड़े इलाके को अपनी चपेट में ले लिया। बीते कई वर्षों से यहां अचानक जमीन धंसने, खुले मैदानों, सड़कों और घर के आंगन में गोफ बनने और दरारों से धुआं और आग निकलने की घटनाएं घटती आई है। भूमिगत खदानों के अचानक धंस जाने से लोगों के जान गंवाने की सैकड़ों घटनाएं होती हैं। लंबे समय से लोगों को झरिया से विस्थापित किए जाने की मांग होती आई है। अब जाकर केंद्र सरकार ने इस दिशा में प्रयास किए हैं।