यूपी बिहार तक फैल रहा सिमडेगा के कटहल का स्वाद
सिमडेगा का कटहल बिहार और यूपी में काफी प्रसिद्ध है। यहां के किसान प्रतिदिन 20 टन कटहल का उत्पादन करते हैं, जो सीधे व्यापारियों को भेजा जाता है। सिमडेगा में कटहल की फसल दिसंबर से शुरू होती है और मार्च...

सिमडेगा अपने वनोपज के लिए राज्य में विशेष स्थान रखने वाला सिमडेगा अपने कटहल के स्वाद के लिए भी बिहार यूपी तक मशहूर है। सिमडेगा के कटहल की पटना में होती है खास डिमांड। अच्छी तरह पकने और स्वादिष्ट होने कारण है इसकी मांग। वैसे तो कटहल झारखंड के लगभग हर जिलों में पाया जाता है और खास कर झारखंड का दक्षिण छोटानागपुर प्रमंडल में कटहल बहुतायत पाया जाता है। सिमडेगा में लगभग हरेक किसान के पास चार से दस पेड़ कटहल के होते हैं। एक पेड़ से चार से सात क्विंटल कटहल उत्पादन होता है। सिमडेगा की कटहल का विशेष स्वाद के लिए अधिक डिमांड भी रहती है। सब्जी के बडे व्यवसायी भरत प्रसाद ने बताया कि सिमडेगा से हर दिन औसदन 20 टन कटहल बिहार और यूपी तक भेजे जाते हैं। किसान अपने कटहल की फल तोड़ कर सीधे व्यापारियों तक पंहुचा देते हैं। उत्पाद अधिक होने पर व्यवसायी सीधे किसान के पेड़ से ही फसल खरीद लेते हैं। इसके बाद व्यापारी अलग अलग बॉक्स में पैक कर बिहार और यूपी तक पंहुचाते हैं। सिमडेगा बाजार समिति से भरत प्रसाद हरेक दिन कटहल की पैकिंग करवा बिहार यूपी तक भेज रहे हैं। कटहल की फसल सिमडेगा में जल्दी होती है, तो किसानों का भी अच्छी आमदनी हो जाती है। सिमडेगा में कटहल दिसंबर माह से ही निकलने लगते है। जो मार्च अप्रैल तक जारी रहता है। शुरूआती दिनों में यहां किसानों को 60-70 किलो तक कटहल के दाम मिल जाते हैं। अभी यहां 30-35 रूप प्रति किलो किसानों को मिल रहे हैं। कटहल की आमदनी से किसान भी खुश हैं। व्यापारी भरत प्रसाद के पास कटहल बेचने किसान विपिन ने कहा यहां कटहल पहले निकलने से किसानों को सीधा लाभ मिल जाता है।
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