Hindi NewsJharkhand NewsSaraikela NewsSpiritual Gathering at Gurukul Awasiy Vidyalaya Emphasizing the Importance of Bhakti for Achieving Divine Goals

ज्ञान कर्म के द्वारा भक्ति का जागरण होता है: आनंद मार्ग

सरायकेला में गुरुकुल अवासीय विद्यालय गम्हरिया में बाबा नाम केवलम कीर्तन एवं सत्संग का आयोजन हुआ। अवधुतिका आनन्द आराधना आचार्या ने ज्ञान, कर्म और भक्ति के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि केवल...

Newswrap हिन्दुस्तान, सराईकेलाThu, 26 Dec 2024 04:38 PM
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सरायकेला: गुरुकुल अवासीय विद्यालय गम्हरिया में आनन्द मार्ग प्रचारक संघ की ओर से गुरुवार को बाबा नाम केवलम कीर्तन एवं सत्संग का आयोजन किया गया। इस अवसर पर अवधुतिका आनन्द आराधना आचार्या ने कहा कि जीवन की आकांक्षित लक्ष्य परम पुरुष को पाने के लिए ज्ञान कर्म और भक्ति अनिवार्य है। ज्ञान और कर्म के द्वारा भक्ति का जागरण होता है और इस भक्ति के द्वारा ही मनुष्य स्वर्गीय आनंद को प्राप्त करता है। भक्ति जहां सभी दोषों से मुक्त है ज्ञान और कर्म मे कुछ कमियां रह जा सकती हैं सिर्फ ज्ञान बहुधा मनुष्य को आलसी और अहंकारी बना देता है वही सिर्फ कर्म मनुष्य को अहंकारी बना देता है जब तक आध्यात्मिक साधक इन दोषों से छुटकारा नहीं प्राप्त कर लेता है तब तक साधक केवला भक्ति में प्रतिष्ठित नहीं हो सकता है। परम पुरुष को पाने के लिए केवला भक्ति अनिवार्य है इसलिए बुद्धिमान मनुष्य को ज्ञान और कर्म के दोषों से बचने के लिए भक्ति का आश्रय लेना ही होगा। साधक को ज्ञान के दोषों से बचने के लिए उन्हें अवश्य ही इन दोनों से मुक्त होने का उपाय जानना चाहिए जिससे कि उनका ज्ञान सिर्फ बंध्या ज्ञान बनकर ही ना रह जाए जैसा कि आजकल के बुद्धिजीवियों के सामने देखा जाता है यह बंध्या ज्ञान प्रगति के पथ पर आगे बढ़ने में प्रेरित करने के बजाय मनुष्य अथवा समाज को विनाश के पथ पर धकेल देता है इसलिए आध्यात्मिक साधकों जिन्होंने अपना लक्ष्य परम पुरुष को बना लिया है उन्हें हमेशा आलस्य और अहंकार से दूर रहना चाहिए और ज्ञान तथा कर्म का ज्यादा से ज्यादा उपयोग कर भक्ति को जगाना चाहिए। वही यात्रा पथ का अंतिम पड़ाव है जो मनुष्य के सामूहिक कल्याण कार्यों में लगा रहना पड़ेगा विनम्रता सहिष्णुता और सरलता को अपनाकर उन लोगों को आदर देना सीखना पड़ेगा जिन्हें कोई आदर नहीं देता और समृद्ध रूप से कीर्त्तन का आयोजन करना होगा। कार्यक्रम के दौरान आनन्द मार्ग विधि से एक शिशु का नामकरण किया गया उसका नाम जया दृष्टि देव रखा गया। कार्यक्रम के सफल आयोजन में भुक्ति प्रधान गोपाल बर्मन,नरेश बर्मन,कुणाल दास,राजकुमार व करुणा राज का सराहनीय योगदान रहा।

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