Hindi Newsझारखंड न्यूज़साहिबगंजMohammad Tajuddin s Determined Journey From Defeat to Victory in Rajmahal Constituency

चार बार हारे थके नहीं, पांचवीं बार ताजुद्दीन ने की जीत हासिल

राजमहल सीट पर झामुमो के ताजुद्दीन ने चार बार चुनाव लड़ा और हर बार हार का सामना किया। लेकिन उनकी मेहनत और संघर्ष ने उन्हें 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को हराने में मदद की। इसके बाद, विधानसभा चुनाव...

Newswrap हिन्दुस्तान, साहिबगंजSat, 23 Nov 2024 11:12 PM
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साहिबगंज। ...हार हो जाती है जब मान लिया जाता है,जीत तब होती है जब ठान लिया जाता है। एक मशहूर शायर की यह पंक्ति राजमहल सीट पर झामुमो के विजयी प्रत्याशी ताजुद्दीन पर बिल्कुल फिट बैठता है। मोहम्मद ताजुद्दीन ने राजमहल सीट पर इससे पहले चार बार विधानसभा चुनाव लड़े और हर बार वे जीत का स्वाद चखने से चुकते रहे। इसके बावजूद उन्होंने बिना थके हरबार पूरे दमखम के साथ अगले चुनाव की तैयारी में जुट जाते थे। दरअसल, राजमहल निवासी मोहम्मद ताजुद्दीन ने पहली बार 2005 का विधानसभा चुनाव बतौर निर्दलीय प्रत्याशी लड़े थे। उस चुनाव में राजमहल सीट से कुल 24 प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे। उनको महज 2881 वोट हासिल हो सके थे। उस चुनाव में कांग्रेस के थोमस हांसदा की जीत हुई थी। दूसरे स्थान पर निर्दलीय अरुण मंडल रहे थे। थोमस हांसदा को 36,472 व निर्दलीय अरुण मंडल को 25,296 वोट हासिल हुए थे। भाजपा के कमल कृष्ण भगत 21,639 वोट लाकर तीसरे एवं माकपा के मोईनुद्दीन शेख 19,805 वोट हासिल कर चौथे स्थान रहे थे। उधर, 2009 का विधानसभा चुनाव मोहम्मद ताजुद्दीन ने झामुमो के टिकट पर लड़े। कड़े मुकाबले में झामुमो के मोहम्मद ताजुद्दीन 10403 मतों के अंतर से चुनाव हार गए। इस चुनाव में भाजपा के अरुण मंडल को 51,277 एवं झामुमो के मोहम्मद ताजुद्दीन को 40,874 वोट मिले। देशभर में मोदी लहर के बावजूद उन्होंने 2014 के विधानसभा में मोहम्मद ताजुद्दीन ने यहां भाजपा को कड़ी टक्कर दी। झामुमो के मोहम्मद ताजुद्दीन महज 702 वोटों के अंतर से भाजपा के अनंत ओझा से चुनाव हार गए थे। इसके बावजूद बिना थके चुनाव परिणाम को स्वीकार करते हुए पूरी शिद्दत से अगले लक्ष्य को हासिल करने की तैयारी में गए थे। 2019 के विधानसभा चुनाव में झामुमो ने टिकट नहीं दिया तो उन्होंने आजसू से राजमहल सीट से चुनाव लडे़। उस चुनाव में आजसू का भाजपा से गठबंधन नहीं हुआ था। भाजपा के अनंत ओझा से हुई कड़ी टक्कर में 12,372 मतों के अंतर से मोहम्मद ताजुद्दीन यहां से चुनाव हार गए । उस चुनाव में बड़ी बात यह रही कि झामुमो के केताबुद्दीन शेख महज 24619 वोट लाकर तीसरे नम्बर पर रहे। इधर, लोकसभा चुनाव 2024 से महज कुछ दिन पहले ही छह मार्च को मोहम्मद ताजुद्दीन की घर वापसी हुई। दो महीने केभीतर ही राजमहल लोकसभा सीट पर मतदान था। मोहम्मद ताजुद्दीन ने पार्टी संगठन के कार्यकर्ताओं को साथ लेकर कड़ी मेहनत कर लोकसभा चुनाव में राजमहल विधानसभा क्षेत्र में पहली बार भाजपा को 3597 मतों के अंतर से पीछे छोड़ते हुए बढ़ हासिल करवाने में कामयाब रहे। झामुमो के विजय हांसदा को 109642 एवं भाजपा के ताला मरांडी को 106045 वोट मिले। लोकसभा चुनाव में झामुमो को पहली बार मिली यह बढ़त मोहम्मद ताजुद्दीन के मेहनत के रूप में देखा गया। यह उनके राजनीतिक कैरियर के लिए मास्टर स्ट्रोक था। बहरहाल, इसका फल महज पांच महीने बाद हुए विधानसभा चुनाव में राजमहल सीट पर 43,432 वोटों के बड़े अंतर से उनकी जीत के रूप में सामने आया।

फोटो 20, राजमहल सीट पर झामुमो प्रत्याशी की जीत पर जश्न मनाते महागठबंधन के कार्यकर्ता।

[8:17 PM, 11/23/2024] Abhijit Roy:

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