मेले में नेपाल समेत कई राज्यों से पहुंचे श्रद्धालू
राजमहल में छह दिवसीय माघी पूर्णिमा मेले के दूसरे दिन श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखने को मिली। झारखंड, पश्चिम बंगाल, बिहार, असम, उड़ीसा और नेपाल से हजारों श्रद्धालु गंगा स्नान और पूजा अर्चना के लिए...
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राजमहल, प्रतिनिधि। छह दिवसीय राजकीय माघी पूर्णिमा मेले के दूसरे दिन मंगलवार को श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। झारखंड के विभिन्न जिलों सहित पश्चिम बंगाल, बिहार, असम, उड़ीसा नेपाल आदि से हजारों श्रद्धालुओं का जत्था सड़क, रेल मार्ग सहित जल मार्ग से यहां आगमन शुरू हो गया। श्रद्धालुओं ने अपने-अपने अखाड़ा में धर्म गुरुओं के साथ पूजा अर्चना व गंगा स्नान शुरू कर दिया है। क्या कहते हैं विभिन्न अखाड़ों के धर्मगुरु
राजमहल। विदिन समाज सुसार बैसी, मुंडमाला, भैसमारी, साहिबगंज के धर्मगुरु अभिराम मरांडी और भूगलू मरांडी ने बताया कि माघी मेला में उनके पूर्वज सैकड़ों सालों से आकर गंगा किनारे अखाड़ा लगते हैं । इस परंपरा को बढ़ाते हुए सन 1998 यानि 27 सालों से अखाड़ा लगाकर वे विदिन समाज के परंपरागत तरीके से पूजा अर्चना करते हैं। उन्होंने बताया कि पिछले 10 दिनों से शिष्यों के द्वारा भव्य अखाड़ा बनाया गया है। इसमें नेपाल, बिहार के कटिहार, पूर्णिया, अररिया, मधेपुरा, सहरसा,किशनगंज , पश्चिम बंगाल के उत्तर दिनाजपुर ,दक्षिण दिनाजपुर, सिलीगुड़ी, वर्धमान, कोलकाता, साहिबगंज जिला सहित झारखंड के विभिन्न जिलों से लगभग 50 हजार से भी अधिक संख्या में शिष्य अखाड़ा में आते हैं। इस साल 10 से 15 फरवरी तक अखाड़ा में सभी शिष्य उपस्थित रहकर पूजा अर्चना और विभिन्न कार्यक्रम में भाग लेंगे। विदिन समाज के अनुसार सभी शिष्य पूर्णिमा लगने के बाद पहले सुबह गंगा में डुबकी लगाकर कांसा के लोटे में जल भरकर अखाड़ा पहुंचेंगे। अखाड़ा में अस्थाई माझी थान और जाहेर थान में स्थापित देवी देवताओं को जल अर्पण करते हुए आराधना करेंगे।
फोटो 17, धर्मगुरु अभिराम मरांडी
राजमहल। साफा होड़ समाज के धर्मगुरु श्याम बाबा, चंदोरा, ठाकुर गंगटी, गोड्डा उन्होंने बताया कि पिछले 40 सालों से माघी मेला में आ रहे हैं । अपना अखाड़ा लगाकर पूजा अर्चना करते हैं। अखाड़ा में नेपाल, पश्चिम बंगाल के मालदा, गाजोल,बिहार के पूर्णिया, अररिया, मधेपुरा सहित झारखंड के विभिन्न जिलों से करीब पांच हजार से भी अधिक संख्या में श्रद्धालु आते हैं। अपने समाज के परंपरा के अनुसार गंगा स्नान के बाद कंस के लोटे में जल भरकर अखाड़ा में आकर पूजा अर्चना व ध्यान करते हैं। उन्होंने बताया कि हम लोग श्री राम, मां गंगा और सरस्वती मां की आराधना करते हैं । अखाड़ा में मां गंगा और सरस्वती की मूर्ति बैठाकर विशेष पूजा अर्चना करते हैं। हमारे समाज में मन्नत पूरी होने पर पाठा, कबूतर आदि लूटाने की परम्परा है। लेकिन हमारे अखाड़े में जीव हत्या नहीं की जाती है। इसके बदले मन्नत पूरी होने पर हम लोग फल का दान करते हैं। 13 फरवरी को विधि विधान से मूर्ति विसर्जन के बाद अपने-अपने गंतव्य स्थान के लिए प्रस्थान करेंगे।
फोटो 18 , श्याम बाबा
राजमहल। साफा होड़ समाज के धर्मगुरु चोड़का मुर्मू, सोना जोड़ी, लिट्टीपाड़ा, पाकुड़ ने बताया कि लगभग 35 सालों से लगातार माघी मेला में गंगा स्नान के लिए आते हैं । यहां गंगा तट पर अखाड़ा लगाकर अपने समाज के रीति रिवाज के अनुसार पूजा अर्चना करते हैं । विशेष कर हम लोग का अखाड़ा में भगवान श्रीराम का स्मरण किया जाता है। अखाड़ा में विभिन्न जगह से करीब दो हजार से भी अधिक संख्या में श्रद्धालु पहुंचे हैं । 12 फरवरी को पूर्णिमा तिथि में गंगा स्नान के बाद अखाड़ा में आकर पूजार्चना करेंगे। 13 फरवरी को अपने-अपने गंतव्य स्थान के लिए प्रस्थान करेंगे।
फोटो 19, चोड़का मुर्मू
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